मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह राज्य के सभी कलेक्टर और मजिस्ट्रेट को अपने-अपने क्षेत्राधिकार का सर्वेक्षण करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने का निर्देश देगा, जहां बाल विवाह के मामले प्रचलित थे. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम.एस. कार्णिक (Chief Justice Dipankar Datta and Justice M S Karnik) की पीठ ने कहा कि इन सर्वेक्षण में उन इलाकों की भी पहचान की जाए, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में जहां कुपोषण के कारण बच्चों की मौत के मामले सामने आए हों.
पीठ जनहित याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुपोषण के कारण आदिवासियों की मौत रोकने के लिए अदालत के हस्तक्षेप और 'राज्य की उदासीनता' को लेकर निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. पीठ ने याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील, उदय वरुंजिकर को सोमवार शाम तक अदालत में उन जिलों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जहां लोग इन समस्याओं का सामना कर रहे हैं.
मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, 'मुझे मेरे सूत्रों से पता चला है कि अब महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में भी लड़कियों की कम उम्र में शादी कराई जा रही है. 15 साल की उम्र में उनकी शादी करा दी जाती है और फिर वे जल्दी गर्भवती हो जाती हैं. ऐसे में कई बार मां और बच्चे की मौत हो जाती है. हमें इसे रोकना होगा.' उन्होंने कहा, 'हमारे सभी प्रयास तब तक बेकार होते रहेंगे, जब तक कि हम उन्हें यह ना समझाएं कि शादी कराने की कानूनी उम्र 18 है. हम ऐसा होने तक लड़कियों की रक्षा नहीं कर पाएंगे.'
'आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण के कारण कोई मौत न हो'
महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि ने अदालत को बताया कि राज्य आदिवासी आबादी को संवेदनशील बनाने और स्वास्थ्य सेवा को और अधिक सुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है. कुंभकोणि ने कहा, 'हम उन्हें उनकी परम्पराओं को बनाए रखने दे रहे हैं...उन्हें फ्लैट में आकर रहने को नहीं कह रहे. साथ ही, हम यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठा रहे हैं कि आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण के कारण कोई मौत न हो.'
अदालत ने इसके बाद कहा कि राज्य की आदिवासी आबादी की अपनी परम्पराएं हो सकती हैं, लेकिन यह जरूरी है कि आदिवासियों को कानून के बारे में संवेदनशील बनाया जाए. पीठ ने कहा, 'कलेक्टर और मजिस्ट्रेट अपने जिलों में चिन्हित क्षेत्रों में जाकर सर्वेक्षण करें (बाल विवाह और कुपोषण के कारण बच्चों की मृत्यु की जांच के लिए). आप वरुंजिकर शाम तक जिलों की पहचान करते हुए एक सूची जमा करें और फिर हम एक आदेश पारित करेंगे.
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(पीटीआई-भाषा)