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रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर हफ्तों तक समुद्र में भटकती नाव इंडोनेशिया पहुंची - आचे

महीने भर से समुद्र में फंसे 58 रोहिंग्या रविवार को इंडोनेशिया के इंद्रपात्र तट पर पहुंच गए. स्थानीय लोगों ने उन्हें नाव से उतारा और अधिकारियों की इसकी जानकारी दी. नाव में खराबी आ गई थी जिसके कारण वह दो हफ्तों से समुद्र में भटक रही थी. नाव में बैठे लोगों के पास खाना-पानी भी खत्म हो गया था. 25 दिसंबर को UN ने नाव के समुद्र में डूब जाने की आशंका जताई थी.

boat carrying rohingya
प्रतिकात्मक तस्वीर.
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Published : Dec 27, 2022, 8:28 AM IST

आचे (इंडोनेशिया) : रोहिंग्या शरणार्थियों को ले जाने वाली एक नाव जो एक महीने से समुद्र में भटक रही थी, आखिरकार इंडोनेशिया के आचे पहुंची. वीओए समाचार ने सोमवार को जहाज पर नजर रखने वाले दो अधिकार समूहों का हवाला देते हुए बताया. सोमवार दोपहर इंडोनेशिया के आचेह पहुंची नाव में 180 से अधिक जातीय रोहिंग्या पुरुष, महिलाएं और बच्चे सवार थे. एक दर्जन से अधिक के मरने की खबर है. इसके अलावा, रविवार को 57 रोहिंग्या पुरुषों को लेकर एक नाव इंडोनेशियाई द्वीपसमूह के सुदूर पश्चिम में सुमात्रा के उत्तरी सिरे पर आचे प्रांत में पहुंची. विशेष रूप से, पड़ोसी म्यांमार में उत्पीड़न से भागकर दस लाख से अधिक रोहिंग्या लोगों ने बांग्लादेश में शरण मांगी है.

मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, उस समय तक पूरी यात्रा के दौरान 20 यात्रियों की मौत हो सकती है. सोमवार तक वे मरने वालों की संख्या की पुष्टि करने में असमर्थ थे. वीओए न्यूज को मिले वीडियो में बचाए गए यात्रियों में से कुछ थके हुए और दुबले दिखाई दे रहे हैं. पिछले हफ्ते, शरणार्थी शिविरों में एक रोहिंग्या कार्यकर्ता ने वीओए को बताया कि नाव के कप्तान ने उसे फोन किया और कहा कि वे 'भूखे से मर रहे हैं'.

समंदर में फंसी रोहिंग्याओं से भरी नाव में 180 लोगों के मारे जाने की आशंका : नवंबर में बांग्लादेश छोड़ने के बाद हफ्तों तक समुद्र में फंसे 180 जातीय रोहिंग्या के मारे जाने की आशंका जताई गई है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने खबरों का हवाला देते हुए बताया कि समुद्र में न चलने योग्य नाव संभवत: समुद्र में लापता होने के बाद डूब गई है. यूएनएचसीआर ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, 'रिश्तेदारों ने संपर्क खो दिया है. जो आखिरी बार संपर्क में थे, उन्हें लगता है कि सभी मर चुके हैं.'

भारतीय जहाजों से किया गया था संपर्क : बीते दिनों फंसी हुई नाव ने मंगलवार देर रात भारतीय जहाजों से संपर्क किया था. भारतीय नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा था कि उनके पास इस बारे में साझा करने के लिए कोई जानकारी नहीं है. इस बीच अनुमान के मुताबिक, पिछले हफ्ते, म्यांमार के दो रोहिंग्या कार्यकर्ता समूहों ने कहा कि भारत के तट से दो सप्ताह तक समुद्र में फंसी एक नाव पर भूख या प्यास से 20 लोगों की मौत हो गई. अब कहा जा रहा है कि कम से कम 100 लोगों वाली नाव मलेशियाई जलक्षेत्र में थी.

'ये भयानक और अपमानजनक है': मानवाधिकार समूह 'द अराकान प्रोजेक्ट' की निदेशक क्रिस लेवा ने इस हादसे को लेकर कहा कि ये भयानक और अपमानजनक है. एशिया पैसिफिक रिफ्यूजी राइट्स नेटवर्क के रोहिंग्या वर्किंग ग्रुप ने कहा कि समूह दो सप्ताह से अधिक समय से भटक रहा था.'

आपको बता दें कि म्यांमार के 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में भीड़-भाड़ वाले शिविरों में रह रहे हैं, जिनमें 2017 में सेना द्वारा घातक कार्रवाई किए जाने के बाद म्यांमार से भागे दसियों हजार लोग भी शामिल हैं. बौद्ध-बहुसंख्यक म्यांमार में, अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता से वंचित कर दिया जाता है और उन्हें दक्षिण एशिया से घुसपैठियों, अवैध प्रवासियों के रूप में देखा जाता है.

माडिया की रिपोर्ट के अनुसार उनकी लकड़ी की नाव का इंजन खराब हो गया था. समुद्र में फंसे होने की वजह से ये लोग भूखे और कमजोर हो गए थे. तीन लोगों को इलाज के लिए हॉस्पिटल लेकर जाया गया. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह वही रोहिंग्या हैं जो हफ्तों से अंडमान के पास समुद्र में फंसे हुए थे.

सरकारी आवाज में रखे जाएंगे रोहिंग्या शरणार्थी : रोहिंग्याओं से भरी नाव रविवार सुबह हवा के बहाव में बहकर आचे बेसर जिले के के समुद्र तट पर पहुंची थी. उन्होंने बताया कि वे एक महीने से समुद्र में भटक रहे थे. इंडोनेशिया के अधिकारियों के मुताबिक इन शरणार्थियों को अस्थाई रूप से सरकारी आवास में रखा जाएगा.

यूएन ने जताई नाव डूब जाने की आशंका : पिछले हफ्ते खबर सामने आई थी कि अंडमान के पास 150 से ज्यादा रोहिंग्याओं को लेकर जा रही एक नाव फंसी हुई है. उस नाव में भी खराबी आ गई थी जिसके कारण वह दो हफ्तों से समुद्र में भटक रही थी. नाव में बैठे लोगों के पास खाना-पानी भी खत्म हो गया था. 25 दिसंबर को UN ने नाव के समुद्र में डूब जाने की आशंका जताई है.

बांग्लादेश के रिफ्यूजी कैंपों में नहीं रहना चाहते रोहिंग्या : लाखों की संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार शहर में बने रिफ्यूजी कैंपों में रहते हैं, लेकिन वहां उन्हें उच्च शिक्षा और रोजगार के लिए नौकरी करने की अनुमति नहीं है. इनके आने-जाने पर भी सख्त नियंत्रण होता है. इसलिए कई रोहिंग्या समुद्र के रास्ते अवैध तरीके से दक्षिण पूर्व एशिया में जाने की कोशिश करते हैं. पिछले महीनों में ऐसे रोहिंग्याओं की संख्या बढ़ी है.

(इनपुट एजेंसियां)

आचे (इंडोनेशिया) : रोहिंग्या शरणार्थियों को ले जाने वाली एक नाव जो एक महीने से समुद्र में भटक रही थी, आखिरकार इंडोनेशिया के आचे पहुंची. वीओए समाचार ने सोमवार को जहाज पर नजर रखने वाले दो अधिकार समूहों का हवाला देते हुए बताया. सोमवार दोपहर इंडोनेशिया के आचेह पहुंची नाव में 180 से अधिक जातीय रोहिंग्या पुरुष, महिलाएं और बच्चे सवार थे. एक दर्जन से अधिक के मरने की खबर है. इसके अलावा, रविवार को 57 रोहिंग्या पुरुषों को लेकर एक नाव इंडोनेशियाई द्वीपसमूह के सुदूर पश्चिम में सुमात्रा के उत्तरी सिरे पर आचे प्रांत में पहुंची. विशेष रूप से, पड़ोसी म्यांमार में उत्पीड़न से भागकर दस लाख से अधिक रोहिंग्या लोगों ने बांग्लादेश में शरण मांगी है.

मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, उस समय तक पूरी यात्रा के दौरान 20 यात्रियों की मौत हो सकती है. सोमवार तक वे मरने वालों की संख्या की पुष्टि करने में असमर्थ थे. वीओए न्यूज को मिले वीडियो में बचाए गए यात्रियों में से कुछ थके हुए और दुबले दिखाई दे रहे हैं. पिछले हफ्ते, शरणार्थी शिविरों में एक रोहिंग्या कार्यकर्ता ने वीओए को बताया कि नाव के कप्तान ने उसे फोन किया और कहा कि वे 'भूखे से मर रहे हैं'.

समंदर में फंसी रोहिंग्याओं से भरी नाव में 180 लोगों के मारे जाने की आशंका : नवंबर में बांग्लादेश छोड़ने के बाद हफ्तों तक समुद्र में फंसे 180 जातीय रोहिंग्या के मारे जाने की आशंका जताई गई है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने खबरों का हवाला देते हुए बताया कि समुद्र में न चलने योग्य नाव संभवत: समुद्र में लापता होने के बाद डूब गई है. यूएनएचसीआर ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, 'रिश्तेदारों ने संपर्क खो दिया है. जो आखिरी बार संपर्क में थे, उन्हें लगता है कि सभी मर चुके हैं.'

भारतीय जहाजों से किया गया था संपर्क : बीते दिनों फंसी हुई नाव ने मंगलवार देर रात भारतीय जहाजों से संपर्क किया था. भारतीय नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा था कि उनके पास इस बारे में साझा करने के लिए कोई जानकारी नहीं है. इस बीच अनुमान के मुताबिक, पिछले हफ्ते, म्यांमार के दो रोहिंग्या कार्यकर्ता समूहों ने कहा कि भारत के तट से दो सप्ताह तक समुद्र में फंसी एक नाव पर भूख या प्यास से 20 लोगों की मौत हो गई. अब कहा जा रहा है कि कम से कम 100 लोगों वाली नाव मलेशियाई जलक्षेत्र में थी.

'ये भयानक और अपमानजनक है': मानवाधिकार समूह 'द अराकान प्रोजेक्ट' की निदेशक क्रिस लेवा ने इस हादसे को लेकर कहा कि ये भयानक और अपमानजनक है. एशिया पैसिफिक रिफ्यूजी राइट्स नेटवर्क के रोहिंग्या वर्किंग ग्रुप ने कहा कि समूह दो सप्ताह से अधिक समय से भटक रहा था.'

आपको बता दें कि म्यांमार के 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में भीड़-भाड़ वाले शिविरों में रह रहे हैं, जिनमें 2017 में सेना द्वारा घातक कार्रवाई किए जाने के बाद म्यांमार से भागे दसियों हजार लोग भी शामिल हैं. बौद्ध-बहुसंख्यक म्यांमार में, अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता से वंचित कर दिया जाता है और उन्हें दक्षिण एशिया से घुसपैठियों, अवैध प्रवासियों के रूप में देखा जाता है.

माडिया की रिपोर्ट के अनुसार उनकी लकड़ी की नाव का इंजन खराब हो गया था. समुद्र में फंसे होने की वजह से ये लोग भूखे और कमजोर हो गए थे. तीन लोगों को इलाज के लिए हॉस्पिटल लेकर जाया गया. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या यह वही रोहिंग्या हैं जो हफ्तों से अंडमान के पास समुद्र में फंसे हुए थे.

सरकारी आवाज में रखे जाएंगे रोहिंग्या शरणार्थी : रोहिंग्याओं से भरी नाव रविवार सुबह हवा के बहाव में बहकर आचे बेसर जिले के के समुद्र तट पर पहुंची थी. उन्होंने बताया कि वे एक महीने से समुद्र में भटक रहे थे. इंडोनेशिया के अधिकारियों के मुताबिक इन शरणार्थियों को अस्थाई रूप से सरकारी आवास में रखा जाएगा.

यूएन ने जताई नाव डूब जाने की आशंका : पिछले हफ्ते खबर सामने आई थी कि अंडमान के पास 150 से ज्यादा रोहिंग्याओं को लेकर जा रही एक नाव फंसी हुई है. उस नाव में भी खराबी आ गई थी जिसके कारण वह दो हफ्तों से समुद्र में भटक रही थी. नाव में बैठे लोगों के पास खाना-पानी भी खत्म हो गया था. 25 दिसंबर को UN ने नाव के समुद्र में डूब जाने की आशंका जताई है.

बांग्लादेश के रिफ्यूजी कैंपों में नहीं रहना चाहते रोहिंग्या : लाखों की संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार शहर में बने रिफ्यूजी कैंपों में रहते हैं, लेकिन वहां उन्हें उच्च शिक्षा और रोजगार के लिए नौकरी करने की अनुमति नहीं है. इनके आने-जाने पर भी सख्त नियंत्रण होता है. इसलिए कई रोहिंग्या समुद्र के रास्ते अवैध तरीके से दक्षिण पूर्व एशिया में जाने की कोशिश करते हैं. पिछले महीनों में ऐसे रोहिंग्याओं की संख्या बढ़ी है.

(इनपुट एजेंसियां)

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