मुंबई: बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने शुक्रवार को मुंबई के मध क्षेत्र में एक कथित 'अवैध रूप से निर्मित' फिल्म स्टूडियो को तोड़ दिया (Illegal Film Studios Demolished). नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मड द्वीप में पांच स्टूडियो के विध्वंस पर रोक हटा दी है. एनजीटी ने स्टूडियो संचालकों द्वारा दायर याचिका को भी खारिज कर दिया. नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने मलाड में मड, मरवे, भाटी और एरांगल गांवों में फिल्म स्टूडियो के खिलाफ जांच का आदेश दिया था.
वहीं, भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि 'ये जानते हुए भी कि निर्माण अवैध है, बीएमसी आयुक्त कार्रवाई नहीं कर रहे थे. 11 स्टूडियो में से छह को पिछले अतिक्रमण हटाओ अभियान में ध्वस्त कर दिया गया था, जबकि पांच के संचालकों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था.'
सोमैया ने कहा, राज्य सरकार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया जिसने बीएमसी से सवाल किया कि अवैध निर्माण की अनुमति कैसे दी गई. सोमैया ने कहा कि अदालत ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से अवैध रूप से बनाए गए स्टूडियो की जांच का आदेश देने का भी अनुरोध किया. इससे पहले, सोमैया ने कहा था कि स्टूडियो एनजीटी द्वारा निर्धारित मानदंडों के घोर उल्लंघन में बनाए गए थे.
सोमैया ने आरोप लगाया कि हालांकि स्टूडियो मालिकों ने अपने खर्च पर स्टूडियो को हटाने के लिए कुछ समय मांगा, लेकिन उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आशीर्वाद से लगभग 1,000 करोड़ रुपये के अवैध फिल्म स्टूडियो का निर्माण किया गया था.
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि बीएमसी और महाराष्ट्र कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी ने उन्हें सिर्फ इलाके में अस्थायी ढांचे बनाने की इजाजत दी थी. हालांकि, फिल्म स्टूडियो ने क्षेत्र में स्टील और कंक्रीट सामग्री का उपयोग करके विशाल संरचनाएं स्थापित की थीं.
आदेश में कहा गया कि बीएमसी सर्कुलर जिसके तहत फिल्म स्टूडियो को अस्थायी संरचनाएं बनाने की अनुमति दी गई थी, उस पर पहले से ही अतिरिक्त नगर आयुक्त द्वारा रोक लगा दी गई थी. ऐसी खबरें थीं कि मध-मारवे में 'नो-डेवलपमेंट ज़ोन (एनडीजेड)' और तटीय नियामक क्षेत्र (सीआरजेड) में कई अवैध स्टूडियो का निर्माण किया गया था.