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बिहार: इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में कोरोना संक्रमित को हुआ 'ब्लैक फंगस', इलाज जारी

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Published : May 13, 2021, 2:43 AM IST

बिहार में कोरोना से हर जगह तबाही मचा रखी है. ये तबाही अभी थमी भी नहीं थी कि अब एक और नई मुसीबत ने बिहार में दस्तक दे दी है. कोरोना महामारी के बाद अब राज्य में ब्लैक फंगस बीमारी के भी मरीज मिलने शुरू हो गए हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

बिहार में मिला ब्लैक फंगस का पहला मरीज
बिहार में मिला ब्लैक फंगस का पहला मरीज

पटना: बिहार में ब्लैक फंगस बीमारी के मिले पहले मरीज मुजफ्फरपुर की 52 वर्षीय एक महिला को पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया है. संस्थान के अधीक्षक के अनुसार ये महिला पहले से ही कोरोना से पीड़ित है. इसका इलाज संस्थान में चल रहा है. जांच के बाद इस बीमारी का पता चला है.

बिहार में ब्लैक फंगस
मनीष मंडल, अधीक्षक, आइजीआइएमएस पटना

''यह बीमारी उन्हीं लोगों को होती है, जो पहले से किसी न किसी बीमारी के शिकार होते हैं और जिनका शरीर कमजोर हो गया है. ब्लैक फंगस बीमारी फंगस से होने वाली बीमारी है, जिसकी शुरुआत नाक से होती है.''- मनीष मंडल, अधीक्षक, आइजीआइएमएस पटना

देखें रिपोर्ट

ब्लैक फंगस जानलेवा बीमारी

संस्थान के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि इस बीमारी के होने के बाद मरीज पूरी तरह से सांस नहीं ले पाता है. यह बीमारी खतरनाक है, लेकिन मुजफ्फरपुर से आई इस महिला का इलाज किया जा रहा रहे है और उसकी स्थिति में सुधार भी हो रहा है. जानलेवा संक्रमण ब्लैक फंगस का वैज्ञानिक नाम ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ है. इस बीमारी के चलते लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है और कुछ मामलों में मौत तक हो जा रही है. ये बीमारी जानलेवा है लेकिन इसका इलाज संभव है.

डॉ. सुनील सिंह, चिकित्सक

क्या है ब्लैक फंगस?

यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ें आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षण

इस बीमारी की शुरूआत नाक से होती है. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति के साथ आंखों या नाक के आसपास दर्द होने लगता है. इसके साथ ही स्किन पर ये इंफेक्शन होने से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं और इंफेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है. हालांकि, हर बार नाक ब्लॉक होने की वजह ब्लैक फंगस ही हो ये भी जरूरी नहीं है, इसलिए इसे लेकर लापरवाही ना बरतें.

ये भी पढ़ें- जानिए ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के क्या हैं लक्षण

बचाव के लिए करें ये उपाय

  • लक्षण महसूस होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें.
  • समय पर इलाज से एंटीफंगल दवाओं से हो सकते हैं ठीक.
  • गंभीर स्थिति में प्रभावित मृत टिशू को हटाने के लिए करनी पड़ सकती है सर्जरी.
  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं.

पटना: बिहार में ब्लैक फंगस बीमारी के मिले पहले मरीज मुजफ्फरपुर की 52 वर्षीय एक महिला को पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया है. संस्थान के अधीक्षक के अनुसार ये महिला पहले से ही कोरोना से पीड़ित है. इसका इलाज संस्थान में चल रहा है. जांच के बाद इस बीमारी का पता चला है.

बिहार में ब्लैक फंगस
मनीष मंडल, अधीक्षक, आइजीआइएमएस पटना

''यह बीमारी उन्हीं लोगों को होती है, जो पहले से किसी न किसी बीमारी के शिकार होते हैं और जिनका शरीर कमजोर हो गया है. ब्लैक फंगस बीमारी फंगस से होने वाली बीमारी है, जिसकी शुरुआत नाक से होती है.''- मनीष मंडल, अधीक्षक, आइजीआइएमएस पटना

देखें रिपोर्ट

ब्लैक फंगस जानलेवा बीमारी

संस्थान के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने कहा कि इस बीमारी के होने के बाद मरीज पूरी तरह से सांस नहीं ले पाता है. यह बीमारी खतरनाक है, लेकिन मुजफ्फरपुर से आई इस महिला का इलाज किया जा रहा रहे है और उसकी स्थिति में सुधार भी हो रहा है. जानलेवा संक्रमण ब्लैक फंगस का वैज्ञानिक नाम ‘म्यूकोरमाइकोसिस’ है. इस बीमारी के चलते लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है और कुछ मामलों में मौत तक हो जा रही है. ये बीमारी जानलेवा है लेकिन इसका इलाज संभव है.

डॉ. सुनील सिंह, चिकित्सक

क्या है ब्लैक फंगस?

यह फंगस आम लोगों के भी साइनस में रहता है. लेकिन सामान्यतः शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते कोई असर नहीं होता. इस वक्त यह फंगस इसलिए खतरनाक होता जा रहा है. क्योंकि कोरोना से जूझ रहे गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए चिकित्सक हाई डोज स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके कारण शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा तेजी से बढ़ती है. कोई व्यक्ति डायबिटीज से जूझ रहा है तो ब्लैक फंगस तेजी से बढ़ता है. यह फंगस साइनस, फेफड़ें आंख और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है.

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ईटीवी भारत GFX

ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षण

इस बीमारी की शुरूआत नाक से होती है. इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, खूनी उल्टी और बदली हुई मानसिक स्थिति के साथ आंखों या नाक के आसपास दर्द होने लगता है. इसके साथ ही स्किन पर ये इंफेक्शन होने से फुंसी या छाले पड़ सकते हैं और इंफेक्शन वाली जगह काली पड़ सकती है. हालांकि, हर बार नाक ब्लॉक होने की वजह ब्लैक फंगस ही हो ये भी जरूरी नहीं है, इसलिए इसे लेकर लापरवाही ना बरतें.

ये भी पढ़ें- जानिए ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के क्या हैं लक्षण

बचाव के लिए करें ये उपाय

  • लक्षण महसूस होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें.
  • समय पर इलाज से एंटीफंगल दवाओं से हो सकते हैं ठीक.
  • गंभीर स्थिति में प्रभावित मृत टिशू को हटाने के लिए करनी पड़ सकती है सर्जरी.
  • बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं.
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