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कोरोना इलाज में स्टेरॉयड देने की वजह से हो रही ब्लैक फंगस बीमारी, डॉक्टर से जानिए कैसे करें बचाव - black-fungus-disease in haryana

देश में इस वक्त कोरोना से ठीक हो रहे लोगों में ब्लैक फंगस नाम की बीमारी देखने को मिल रही है. माना जा रहा है कि यह बीमारी कोरोना से भी ज्यादा घातक है. इस बीमारी को लेकर हमने चंडीगढ़ पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. अरुणालोक चक्रवर्ती से बात की.

ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण
ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण
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Published : May 11, 2021, 2:17 PM IST

चंडीगढ़: देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है. कोरोना देश में लाखों लोगों की जान ले चुका है. लेकिन जो लोग कोरोना से ठीक हो रहे हैं, उन्हें ब्लैक फंगस नाम की बीमारी अपनी चपेट में ले रही है और यह बीमारी कोरोना से भी ज्यादा घातक है. इस बीमारी को लेकर हमने चंडीगढ़ पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. अरुणालोक चक्रवर्ती से बात की.

ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

ब्लैक फंगस क्या है और यह कोरोना मरीजों को अपनी चपेट में क्यों ले रहा है?
डॉक्टर चक्रवर्ती ने बताया ब्लैक फंगस एक अलग ग्रुप है. इस बीमारी का नाम मयूकरमाइकोसिस है. यह बीमारी कोरोना के मरीजों को अपनी चपेट में ले रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि ये बीमारी पहली बार भारत में आई है. पहले भी इस बीमारी के मरीज सामने आ चुके हैं. यह बीमारी ज्यादातर उन मरीजों को होती है. जो डायबिटीज से पीड़ित हैं. कोरोना भी उन लोगों को आसानी से चपेट में ले लेता है, जिन लोगों को डायबिटीज है.

ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण
ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

इसके अलावा जब कोरोना के मरीजों का इलाज किया जाता है तो डॉक्टर उन्हें स्टेरॉयड देते हैं क्योंकि स्टेरॉयड कोरोना के इलाज में काफी कारगर साबित हो रहे हैं. लेकिन ज्यादा स्टेरॉयड लेने से मरीज के ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है. जिससे ये बीमारी पैदा होती है. अगर किसी मरीज को चेहरे में एक तरफ दर्द महसूस हो, दांत में दर्द हो, आंखों से धुंधला दिखाई देना शुरू हो, या दो चीजें दिखाई दे रही हो, या नाक बार-बार बंद हो रही हो तो व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण
ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

पढ़ें- कोरोना मरीजों को जकड़ रही है ब्लैक फंगस बीमारी

क्या ऑक्सीजन से फैलता है म्यूकरमायइकोसिस?
डॉक्टर चक्रवर्ती ने बताया कि लोगों में यह भ्रम भी फैल रहा है कि यह बीमारी ऑक्सीजन लेने से भी फैलती है. जबकि यह सही नहीं है क्योंकि म्यूकर पर्यावरण में भी मौजूद है और सांस के माध्यम से हमारे शरीर में जाता है. लेकिन इससे यह बीमारी नहीं फैलती. यह बीमारी मुख्यत स्टेरॉयड की वजह से फैलती है.

क्या स्टेरॉयड को लेकर कोई गाइडलाइन जारी की गई है?
डॉ. चक्रवर्ती के मुताबिक स्टेरॉयड के इस्तेमाल को लेकर आईसीएमआर की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है. इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय भी जल्द इसको लेकर गाइडलाइन जारी करने वाला है, ताकि मरीजों को स्टेरॉयड सही मात्रा में दी जाए और उन्हें इस बीमारी से बचाया जा सके.

क्या होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को भी हो सकता है म्यूकरमायइकोसिस?
इस समय कोरोना का इलाज करवा रहे काफी लोग होम आइसोलेशन में हैं. उन्हें भी एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड दिए जा रहे हैं जबकि इसकी जरूरत नहीं है. अगर मरीज को बुखार होता है तो वह पेरासिटामोल ले सकता है. अगर खांसी-जुकाम होता है तो वह ऐसी अन्य दवा ले सकता है.

होम आइसोलेशन में स्टेरॉयड नहीं दिया जाना चाहिए. अगर डायबिटीज का मरीज स्टेरॉयड लेगा तो उसे इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाएगी. जो लोग डायबिटिक नहीं भी हैं, अगर वह भी ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड लेते हैं तो उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है.

मरीज को कैसे पता चलेगा कि उसे किस डॉक्टर के पास जाना है?
अगर किसी मरीज को म्यूकरमायइकोसिस के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे पता नहीं चलेगा कि उसे यह बीमारी हो चुकी है. इसके लिए अस्पतालों में एक मैनेजमेंट टीम तैयार करनी पड़ेगी. जिसमें माइक्रोबायोलॉजिस्ट, ईएनटी स्पेशलिस्ट, आई स्पेशलिस्ट आदि कई डॉक्टर्स को जोड़ना पड़ेगा. अगर उनके पास ऐसा कोई मरीज आता है, तब आसानी से इस बीमारी को डायग्नोज किया जा सकता है. ऐसे मरीज का इलाज जल्दी करना जरूरी होता है.

क्या इस बीमारी का इलाज संभव है?
डॉक्टर चक्रवर्ती के मुताबिक इस बीमारी का इलाज संभव है. इसके लिए एक दवा आती है, लेकिन इस वक्त ज्यादातर राज्यों में वह दवा नहीं मिल रही है. इसलिए हमें यह भी डर है कि अगर यह बीमारी फैलती है तो इसके लिए दी जाने वाली दवा की कालाबाजारी शुरू ना हो जाए. अगर ऐसा हुआ तो स्थितियां बदतर हो जाएंगी. इसके लिए सरकार को गंभीर होना पड़ेगा ताकि दवा की कालाबाजारी ना हो और दवा समय पर मरीजों को मिल सके.

चंडीगढ़: देश इस समय कोरोना महामारी से जूझ रहा है. कोरोना देश में लाखों लोगों की जान ले चुका है. लेकिन जो लोग कोरोना से ठीक हो रहे हैं, उन्हें ब्लैक फंगस नाम की बीमारी अपनी चपेट में ले रही है और यह बीमारी कोरोना से भी ज्यादा घातक है. इस बीमारी को लेकर हमने चंडीगढ़ पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. अरुणालोक चक्रवर्ती से बात की.

ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

ब्लैक फंगस क्या है और यह कोरोना मरीजों को अपनी चपेट में क्यों ले रहा है?
डॉक्टर चक्रवर्ती ने बताया ब्लैक फंगस एक अलग ग्रुप है. इस बीमारी का नाम मयूकरमाइकोसिस है. यह बीमारी कोरोना के मरीजों को अपनी चपेट में ले रही है, लेकिन ऐसा नहीं है कि ये बीमारी पहली बार भारत में आई है. पहले भी इस बीमारी के मरीज सामने आ चुके हैं. यह बीमारी ज्यादातर उन मरीजों को होती है. जो डायबिटीज से पीड़ित हैं. कोरोना भी उन लोगों को आसानी से चपेट में ले लेता है, जिन लोगों को डायबिटीज है.

ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण
ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

इसके अलावा जब कोरोना के मरीजों का इलाज किया जाता है तो डॉक्टर उन्हें स्टेरॉयड देते हैं क्योंकि स्टेरॉयड कोरोना के इलाज में काफी कारगर साबित हो रहे हैं. लेकिन ज्यादा स्टेरॉयड लेने से मरीज के ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है. जिससे ये बीमारी पैदा होती है. अगर किसी मरीज को चेहरे में एक तरफ दर्द महसूस हो, दांत में दर्द हो, आंखों से धुंधला दिखाई देना शुरू हो, या दो चीजें दिखाई दे रही हो, या नाक बार-बार बंद हो रही हो तो व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.

ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण
ब्लैक फंगस इंफेक्शन के लक्षण

पढ़ें- कोरोना मरीजों को जकड़ रही है ब्लैक फंगस बीमारी

क्या ऑक्सीजन से फैलता है म्यूकरमायइकोसिस?
डॉक्टर चक्रवर्ती ने बताया कि लोगों में यह भ्रम भी फैल रहा है कि यह बीमारी ऑक्सीजन लेने से भी फैलती है. जबकि यह सही नहीं है क्योंकि म्यूकर पर्यावरण में भी मौजूद है और सांस के माध्यम से हमारे शरीर में जाता है. लेकिन इससे यह बीमारी नहीं फैलती. यह बीमारी मुख्यत स्टेरॉयड की वजह से फैलती है.

क्या स्टेरॉयड को लेकर कोई गाइडलाइन जारी की गई है?
डॉ. चक्रवर्ती के मुताबिक स्टेरॉयड के इस्तेमाल को लेकर आईसीएमआर की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है. इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय भी जल्द इसको लेकर गाइडलाइन जारी करने वाला है, ताकि मरीजों को स्टेरॉयड सही मात्रा में दी जाए और उन्हें इस बीमारी से बचाया जा सके.

क्या होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को भी हो सकता है म्यूकरमायइकोसिस?
इस समय कोरोना का इलाज करवा रहे काफी लोग होम आइसोलेशन में हैं. उन्हें भी एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड दिए जा रहे हैं जबकि इसकी जरूरत नहीं है. अगर मरीज को बुखार होता है तो वह पेरासिटामोल ले सकता है. अगर खांसी-जुकाम होता है तो वह ऐसी अन्य दवा ले सकता है.

होम आइसोलेशन में स्टेरॉयड नहीं दिया जाना चाहिए. अगर डायबिटीज का मरीज स्टेरॉयड लेगा तो उसे इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाएगी. जो लोग डायबिटिक नहीं भी हैं, अगर वह भी ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड लेते हैं तो उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है.

मरीज को कैसे पता चलेगा कि उसे किस डॉक्टर के पास जाना है?
अगर किसी मरीज को म्यूकरमायइकोसिस के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे पता नहीं चलेगा कि उसे यह बीमारी हो चुकी है. इसके लिए अस्पतालों में एक मैनेजमेंट टीम तैयार करनी पड़ेगी. जिसमें माइक्रोबायोलॉजिस्ट, ईएनटी स्पेशलिस्ट, आई स्पेशलिस्ट आदि कई डॉक्टर्स को जोड़ना पड़ेगा. अगर उनके पास ऐसा कोई मरीज आता है, तब आसानी से इस बीमारी को डायग्नोज किया जा सकता है. ऐसे मरीज का इलाज जल्दी करना जरूरी होता है.

क्या इस बीमारी का इलाज संभव है?
डॉक्टर चक्रवर्ती के मुताबिक इस बीमारी का इलाज संभव है. इसके लिए एक दवा आती है, लेकिन इस वक्त ज्यादातर राज्यों में वह दवा नहीं मिल रही है. इसलिए हमें यह भी डर है कि अगर यह बीमारी फैलती है तो इसके लिए दी जाने वाली दवा की कालाबाजारी शुरू ना हो जाए. अगर ऐसा हुआ तो स्थितियां बदतर हो जाएंगी. इसके लिए सरकार को गंभीर होना पड़ेगा ताकि दवा की कालाबाजारी ना हो और दवा समय पर मरीजों को मिल सके.

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