लखनऊ : उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में बड़ी हलचल की आहट है. लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए सबसे बड़ा बदलाव जिला अधिकारियों के तौर पर किया जा रहा है. पिछले एक महीने में सरकार 25 जिलों के जिला अधिकारी बदल चुकी है. जबकि अगले एक महीने में 25 और कुर्सियों पर निगाह बनी हुई है. सूची तैयार की जा रही है. ऐसे में लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर सरकार जिलों की सूरत को पूरी तरह से बदलना चाहती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फीडबैक सिस्टम सक्रिय है. वह संबंधित अधिकारियों के बारे में अपने तंत्र के माध्यम से जानकारियां ले रहे हैं. जल्द ही वे निर्णय करेंगे.
पिछले करीब डेढ़ महीने में उत्तर प्रदेश में बड़ा बदलाव हुआ है. लगभग दो दर्जन से अधिक जिलों के डीएम बदले जा चुके हैं. जहां-जहां भी डीएम बदले गए हैं, वहां मुख्यमंत्री को मिले फीडबैक के आधार पर परिवर्तन किया गया है. लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए माना जा रहा है कि मतदाताओं पर सबसे अधिक प्रभाव जिले में जिलाधिकारी के व्यवहार का होता है. जिलाधिकारी जिस तरह की व्यवस्था बनाता है उससे मतदाता सरकार के प्रति अपना रवैया बना लेते हैं. जिसको देखते हुए इसी पद पर सबसे अधिक परिवर्तन किए जा रहे हैं. ब्यूरोक्रेसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगले एक से दो महीने में 50 ऐसे जिले होंगे जहां नए जिलाधिकारी काम करेंगे. इसलिए 25 बदलावों के बाद 25 और जिलाधिकारी की सूची तैयार की जा रही है. सरकार अपने विश्वासपात्र अफसर को छांट रही है. जिनके जरिए लोकसभा चुनाव तक जिलों का संचालन किया जाएगा.
जिलाधिकारियों का लिया जा रहा फीडबैक और हो रहे परिवर्तन : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ त्रिस्तरीय व्यवस्था के तहत जिलों में डीएम का फीडबैक लेते हैं. जिसमें एक व्यवस्था जनप्रतिनिधियों की है. जनप्रतिनिधि अधिकारी के विषय में सकारात्मक या नकारात्मक रिपोर्ट मुख्यमंत्री तक पहुंचाते हैं. दूसरी व्यवस्था विश्वास पात्र उच्च स्तरीय अधिकारियों की है. यह अधिकारी अपने तंत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री तक अधिकारियों की प्रतिक्रिया पहुंचते हैं. जिसके आधार पर मुख्यमंत्री अपना निर्णय करते हैं. तीसरी व्यवस्था सोशल मीडिया और मीडिया संबंधित है. सोशल मीडिया और मीडिया में जिन अधिकारियों के विषय में नकारात्मक या सकारात्मक टिप्पणी की जाती है उसे संबंध में भी मुख्यमंत्री अपने मीडिया सलाहकारों के माध्यम से फीडबैक लेते हैं. मीडिया सलाहकार संबंधित जिले में उसे विषय में जानकारी जुटाते हैं. जिसके आधार पर यह निर्णय लिया जाता है कि अधिकारी के संबंध में क्या निर्णय लिया जाना चाहिए. आमतौर पर सोशल मीडिया पर आने वाली सूचनाओं की बहुत गहराई से जांच की जाती है. मुख्यमंत्री के स्तर से माना जाता है कि सोशल मीडिया पर कई बार पेशबंदी के आधार पर अधिकारियों के खिलाफ माफिया मनगढ़ंत बातें भी फैलता है. हर स्तर से जांच के बाद जब सच्चाई सामने आती है तभी उसे पर कोई निर्णय होता है.
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