नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) असम विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन करने के अपने मध्यप्रदेश के फार्मूले पर अड़ी हुई है. भाजपा सांसद रामेन डेका ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं करती है. जैसे हमने मध्य प्रदेश में घोषणा नहीं की. चुनाव के बाद केवल हमारी पार्टी ही सरकार बनाएगी.
डेका असम के मोंगलोदोई निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं. पिछले साल मार्च में मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन करने में लगभग एक सप्ताह का समय लिया. भले ही शिवराज सिंह चौहान शीर्ष पद के लिए सबसे आगे थे लेकिन भाजपा को उनके नाम की घोषणा करने में कई दिन लग गए.
हेमंत बिस्वा शर्मा का नाम आगे
असम के मामले में मौजूदा मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल सीएम पद के लिए सबसे अच्छे धावक हो सकते हैं लेकिन वे एकमात्र उम्मीदवार नहीं हैं. राज्य में राजनीतिक हलकों का मानना है कि स्वास्थ्य मंत्री और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) के संयोजक हेमंत बिस्वा शर्मा हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों के करीबी हैं, राज्य में शीर्ष पद के लिए फ्रंट रनर हैं. वास्तव में कांग्रेस के साथ अपने कार्यकाल के दौरान हेमंत ने मुख्यमंत्री पद के लिए राज्य नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह किया था.
पूर्वाेत्तर में सक्रिय हैं हेमंत
हालांकि जब उनकी अपील को नहीं माना गया तो शर्मा ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए. जब से वे भाजपा में शामिल हुए हैं, पूर्वोत्तर में पार्टी के लिए संकट मोचक के रूप में काम कर रहे हैं. यह शर्मा ही थे जिन्होंने मणिपुर में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हाल ही में संपन्न बोडोलैंड आतंकवाद क्षेत्र (बीटीआर) के चुनाव में, शर्मा ने भाजपा के पूर्व राज्य सहयोगी बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ अपने संबंधों को समाप्त करने का काम किया. पार्टी में अंदरूनी सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि शर्मा असम के मुख्यमंत्री पद के लिए भी आशावादी हैं.
गठबंधन को मिलेगी जीत
असम में बीजेपी की संभावना पर बात करते हुए डेका ने कहा कि पार्टी एक बार फिर सत्ता में वापसी करेगी. डेका ने कहा कि हम इस गठबंधन के साथ 100+ बहुमत हासिल करेंगे. विधानसभा चुनाव में भाजपा असोम गण परिषद (एजीपी) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन कर चुकी है. उन्होंने दावा किया कि गठबंधन को बोडोलैंड क्षेत्र से सभी 12 सीटें मिलेंगी. बीटीआर के पास 126 असम विधानसभा में 12 क्षेत्र हैं. बीजेपी ने अपने पूर्व सहयोगी (बीपीएफ) के साथ पूर्व चुनाव गठबंधन में आने से पहले ही अपने संबंधों को तोड़ लिया है.
क्षेत्रीय दलों से खतरा नहीं
डेका ने कहा कि बीपीएफ महागठबंधन में शामिल होने से पार्टी की संभावना पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हमें विश्वास है कि हमारे गठबंधन को सभी 12 सीटें मिलेंगी. उन्होंने दावा किया कि विपक्षी दलों (कांग्रेस, AIUDF, BPF, वामपंथी दलों) का महागठबंधन सीट वितरण को लेकर आपस में लड़ रहा है. ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) पर बात करते हुए डेका ने कहा कि पार्टी का अपना अल्पसंख्यक वोट बैंक है. डेका ने कहा कि एआईयूडीएफ का वोट बैंक बिल्कुल अलग है और वे केवल उसी क्षेत्र में सीमित हैं.
कांग्रेस से आए लोगों को टिकट
इस मुद्दे का जिक्र करते हुए कि भाजपा के 12 मौजूदा विधायकों को इस बार टिकट नहीं दिया गया है. डेका ने कहा कि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. यह सभी दलों के साथ होता रहता है. सभी को खुश करना संभव नहीं है. टिकट देने से पहले पार्टी कई पहलुओं पर गौर करती है और सर्वेक्षण करती है. इसलिए टिकट नहीं पाने वाले नेताओं को यह नहीं सोचना चाहिए कि पार्टी में उनकी संभावना खत्म हो गई है. दिलचस्प बात यह है कि पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि इस बार टिकट बंटवारे की प्रक्रिया में कांग्रेस के दलबदुओं को प्राथमिकता मिली है जो चिंता का विषय है.
हेमंत के करीबियों को टिकट
कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता अजंता नेग और गौतम रॉय जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं, को टिकट मिला है. दोनों नेता 2011 से 2016 के बीच कांग्रेस सरकार में 12 साल से अधिक समय तक मंत्री रहे हैं. इसका कारण हेमंत बिस्वा शर्मा के वफादारों को माना जाता है.
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एक अन्य कांग्रेसी नेता और शर्मा के वफादार जयंत मल्ला बुझबरुवा को भाजपा के मौजूदा विधायक अशोक सरमा के स्थान पर नलबाड़ी असम्फ निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मिला. डेका का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि इस बार भी असम चुनाव में काम करेगी.