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बीजेपी के लिए यूपी चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल, 'गढ़' बचाने के लिए चल रहा मंथन - उत्तर प्रदेश

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक पार्टी का प्रदर्शन नहीं हाेने से निराश भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकार अगले साल चुनाव की तैयारियाें को लेकर मंथन में जुट गए हैं. इसमें मुख्य तौर पर देखा जाए ताे अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह चुनाव भाजपा के लिए कहीं न कहीं 2024 में हाेने वाली लोकसभा चुनाव के लिए एक टेस्ट की तरह होगा. इस चुनाव से पहले पार्टी अपनी रणनीति में आमूलचूल परिवर्तन करने पर विचार कर रही है. इसी विषय पर पेश है वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की खास रिपोर्ट.

उत्तर प्रदेश
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Published : May 26, 2021, 9:56 PM IST

नई दिल्ली : ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन ने पार्टी काे अंदर तक झकझोर दिया है, इसलिए पार्टी आने वाले चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.


इस लिहाज से बंगाल के बाद सबसे खास उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव है और इसे पार्टी अभी से लक्ष्य बनाकर चल रही है. पार्टी हर हाल में चाहती है कि 2024 से पहले होने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जीत हासिल करें. कहीं न कहीं कोरोना महामारी में तमाम विपक्षी पार्टियां लामबंद होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इमेज पर सोची-समझी रणनीति के तहत सवालिया निशान खड़े कर रही है और यह पार्टी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.

भारत की एक गलत छवि बनाई जा रही

विपक्ष न सिर्फ राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी लगातार कोविड-19 से निपटने काे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की याेजनाओं पर सवाल उठा रही है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एक गलत छवि प्रस्तुत करने की कोशिश की जा रही है.

इसलिए उत्तर प्रदेश के चुनाव में यदि पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें, तो बीजेपी के रणनीतिकार फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं और रणनीति में बदलाव पर विचार कर रहे हैं. पार्टी की जिन राज्यों में जीत हुई है, उनकी रणनीति पर ज्यादा तरजीह देने पर विचार कर रही है. जिसमें असम मॉडल मुख्य रूप से शामिल होगा.

किसे दें तरजीह, चल रहा मंथन

इसके बाद कर्नाटक, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के राज्यों के विकास कार्यों से सम्बंधित विषयों को भी कैंपेन में शामिल किया जाएगा. यही नहीं पश्चिम बंगाल में 77 सीटों पर मिली जीत काे वामपंथी राज्य में सेंध के तौर पर दिखाए जाने की याेजना है. पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी पश्चिम बंगाल में टीएमसी की जीत के बाद हुई हिंसा को प्रमुख रूप से प्रचारित करेगी. हालांकि पार्टी इस बात पर जोर शोर से मंथन कर रही कि राज्य के चुनाव में इस बार मोदी-शाह के चेहरे पर दोबारा प्रचार को केंद्रित किया जाए या राज्य की उपलब्धियों और मुख्यमंत्री के चेहरे को तरजीह दी जाए.

इसके अलावा इसमें ये भी गौर करने वाली बात है कि बंगाल, दिल्ली और कई अन्य राज्यों में मुख्यमंत्री के चेहरा नहीं देने की वजह से पार्टी को काफी नुकसान झेलना पड़ा है, इसलिए अभी से पार्टी इस बात को भी ध्यान में रखकर चल रही है और शीर्ष नेताओं के साथ इस मुद्दे पर लगातार मंथन कर रही है. इसके लिए एक गैर आधिकारिक समूह भी तैयार किया गया है, लेकिन फिलहाल पार्टी इस पर आधिकारिक तौर पर हामी नहीं भर रही.

यूपी का चुनाव काफी अहम
पार्टी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि उत्तर प्रदेश का चुनाव पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण है और पार्टी इसमें कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती. उन्होंने यह भी दावा किया कि गांवों में कोविड-19 को फैलने से रोकने को लेकर डब्ल्यूएचओ ने उत्तर प्रदेश की सराहना की है और यह एक राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है. साथ ही उक्त नेता का यह भी कहा कि बड़े स्तर पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से प्रधानमंत्री की छवि को खराब करने की साजिश चल रही है, लेकिन पार्टी इसे सफल नहीं होने देगी.

वहीं पार्टी के उत्तर प्रदेश के नेता और राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला का कहना है कि कोविड-19 में जिस तरह से केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत सभी बीजेपी शासित राज्य में मुख्यमंत्रियों ने काम किया है वह काबिले तारीफ है.

'बीजेपी को ही वोट देगी जनता'

उन्हाेंने उम्मीद जताई कि आने वाले साल में जिन राज्याें में चुनाव होने हैं उसमें विपक्ष की तमाम साजिश के बावजूद भाजपा की इतनी उपलब्धियां हैं, जिसकी वजह से राज्य की जनता बीजेपी को ही वोट करेगी. शुक्ला का कहना है कि जिस तरह महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में कोरोना वायरस को लेकर काेहराम मचा है, ऐसा उत्तर प्रदेश और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में नहीं हुआ, जिसे जनता देख रही है.

पार्टी को उपलब्धियां गिनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल चुनाव के बाद से ही सभी विपक्षी पार्टियां लामबंद होकर कोरोना वायरस और किसान आंदोलन पर राजनीति कर रही हैं, मगर पार्टी इसे सफल नहीं होने देगी और जनता को यह मालूम है कि कौन सी सरकार क्या काम कर रही है.

इसे भी पढ़ें : सोशल मीडिया पर लगाम : कांग्रेस ने पूछा- क्या हम तानाशाही शासन में रह रहे हैं?

उन्होंने कहा कि विपक्ष में कोई भी ऐसा नेता नहीं है जो हमारे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के विकल्प के रूप में जनता को दिखे. इसलिए वे आश्वस्त हैं कि उत्तर प्रदेश में दोबारा भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार बनेगी.

नई दिल्ली : ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन ने पार्टी काे अंदर तक झकझोर दिया है, इसलिए पार्टी आने वाले चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती.


इस लिहाज से बंगाल के बाद सबसे खास उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव है और इसे पार्टी अभी से लक्ष्य बनाकर चल रही है. पार्टी हर हाल में चाहती है कि 2024 से पहले होने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी जीत हासिल करें. कहीं न कहीं कोरोना महामारी में तमाम विपक्षी पार्टियां लामबंद होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इमेज पर सोची-समझी रणनीति के तहत सवालिया निशान खड़े कर रही है और यह पार्टी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.

भारत की एक गलत छवि बनाई जा रही

विपक्ष न सिर्फ राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी लगातार कोविड-19 से निपटने काे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की याेजनाओं पर सवाल उठा रही है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की एक गलत छवि प्रस्तुत करने की कोशिश की जा रही है.

इसलिए उत्तर प्रदेश के चुनाव में यदि पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें, तो बीजेपी के रणनीतिकार फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं और रणनीति में बदलाव पर विचार कर रहे हैं. पार्टी की जिन राज्यों में जीत हुई है, उनकी रणनीति पर ज्यादा तरजीह देने पर विचार कर रही है. जिसमें असम मॉडल मुख्य रूप से शामिल होगा.

किसे दें तरजीह, चल रहा मंथन

इसके बाद कर्नाटक, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के राज्यों के विकास कार्यों से सम्बंधित विषयों को भी कैंपेन में शामिल किया जाएगा. यही नहीं पश्चिम बंगाल में 77 सीटों पर मिली जीत काे वामपंथी राज्य में सेंध के तौर पर दिखाए जाने की याेजना है. पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी पश्चिम बंगाल में टीएमसी की जीत के बाद हुई हिंसा को प्रमुख रूप से प्रचारित करेगी. हालांकि पार्टी इस बात पर जोर शोर से मंथन कर रही कि राज्य के चुनाव में इस बार मोदी-शाह के चेहरे पर दोबारा प्रचार को केंद्रित किया जाए या राज्य की उपलब्धियों और मुख्यमंत्री के चेहरे को तरजीह दी जाए.

इसके अलावा इसमें ये भी गौर करने वाली बात है कि बंगाल, दिल्ली और कई अन्य राज्यों में मुख्यमंत्री के चेहरा नहीं देने की वजह से पार्टी को काफी नुकसान झेलना पड़ा है, इसलिए अभी से पार्टी इस बात को भी ध्यान में रखकर चल रही है और शीर्ष नेताओं के साथ इस मुद्दे पर लगातार मंथन कर रही है. इसके लिए एक गैर आधिकारिक समूह भी तैयार किया गया है, लेकिन फिलहाल पार्टी इस पर आधिकारिक तौर पर हामी नहीं भर रही.

यूपी का चुनाव काफी अहम
पार्टी के एक वरिष्ठ राष्ट्रीय महासचिव ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि उत्तर प्रदेश का चुनाव पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण है और पार्टी इसमें कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती. उन्होंने यह भी दावा किया कि गांवों में कोविड-19 को फैलने से रोकने को लेकर डब्ल्यूएचओ ने उत्तर प्रदेश की सराहना की है और यह एक राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है. साथ ही उक्त नेता का यह भी कहा कि बड़े स्तर पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से प्रधानमंत्री की छवि को खराब करने की साजिश चल रही है, लेकिन पार्टी इसे सफल नहीं होने देगी.

वहीं पार्टी के उत्तर प्रदेश के नेता और राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला का कहना है कि कोविड-19 में जिस तरह से केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत सभी बीजेपी शासित राज्य में मुख्यमंत्रियों ने काम किया है वह काबिले तारीफ है.

'बीजेपी को ही वोट देगी जनता'

उन्हाेंने उम्मीद जताई कि आने वाले साल में जिन राज्याें में चुनाव होने हैं उसमें विपक्ष की तमाम साजिश के बावजूद भाजपा की इतनी उपलब्धियां हैं, जिसकी वजह से राज्य की जनता बीजेपी को ही वोट करेगी. शुक्ला का कहना है कि जिस तरह महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में कोरोना वायरस को लेकर काेहराम मचा है, ऐसा उत्तर प्रदेश और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में नहीं हुआ, जिसे जनता देख रही है.

पार्टी को उपलब्धियां गिनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल चुनाव के बाद से ही सभी विपक्षी पार्टियां लामबंद होकर कोरोना वायरस और किसान आंदोलन पर राजनीति कर रही हैं, मगर पार्टी इसे सफल नहीं होने देगी और जनता को यह मालूम है कि कौन सी सरकार क्या काम कर रही है.

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उन्होंने कहा कि विपक्ष में कोई भी ऐसा नेता नहीं है जो हमारे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के विकल्प के रूप में जनता को दिखे. इसलिए वे आश्वस्त हैं कि उत्तर प्रदेश में दोबारा भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार बनेगी.

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