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चंबल तय करता है MP में जीत का फैक्टर! 2018 की हार से बीजेपी ने लिया सबक, ये है पूरी रणनीति

BJP Powerful Leader Hold Command in Chambal Area: एमपी में अब वोटिंग के लिए जब केवल पंद्रह दिन का समय बाकी है. तो बीजेपी ने इलाकावार अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया है. पीएम मोदी ने रतलाम में सभा की. पिछले चुनाव में बीजेपी के लिए कमजोर कड़ी साबित हुए ग्वालियर चंबल में अमित शाह और राजनाथ सिंह की सभाएं और रोड शो है. पिछले चुनाव में इसी इलाके मे मिली जीत की बदौलत कांग्रेस को सत्ता मिली थी. लिहाजा, बीजेपी इस इलाके पर खासी मेहनत कर रहीहै. उधर कांग्रेस में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने इस इलाके में चुनावी दौरे की शुरुआत भी नहीं की है.

BJP in Chambal
चंबल में बीजेपी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 5, 2023, 1:22 PM IST

Updated : Nov 5, 2023, 1:50 PM IST

ग्वालियर में बीजेपी का पूरा प्लान

ग्वालियर। चम्बल अंचल से मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत की चाबी पाने की होड़ में बीते एक महीने से भारतीय जनता पार्टी ने जहाँ अपनी जी जान झोंक रखी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह दोनों अंचल की एक एक सीट की हर गतिविधि पर टकटकी लगाए बैठें है. वे जहां खुद भी अंचल का दौरा कर रहे हैं. वहीं, जहां जिसकी जरूरत है. उसे भेजने का इंतजाम भी कर रहे है, यानी मोदी -शाह यहां अपनी हर कमजोर कड़ी जोड़कर जीत की राह आसान बनाने में लगे हैं, लेकिन प्रचार -प्रसार और नेताओं के दौरों के मामलों में फिलहाल कांग्रेस में सिर्फ सन्नाटा है. इससे उनके कार्यकर्ताओं में भी बेचैनी के साथ आशंका ही पनपने लगी है, कि कहीं उनका बना हुआ काम न बिगड़ जाए.

अंचल में हार -जीत तय करेगी सत्ता का भविष्य: ग्वालियर -चम्बल अंचल के परिणाम बीते तीन दशकों से मध्य प्रदेश की सत्ता के भाग्य का फैसला करते रहे हैं. अंचल की 34 विधानसभा सीटों में जिसकी बादशाहत कायम रही है. वहीं, भोपाल की गद्दी का हकदार बना था. 2003 ,2008 ,20013 में इस अंचल में भाजपा का परचम लहराया तो भोपाल की गद्दी पर भारतीय जनता पार्टी का कब्ज़ा रहा, लेकिन 2018 में भाजपा का यह अपराजेय गढ़ ढह गया.

अंचल की 34 में से भाजपा सिर्फ 7 सीट जीत सकी तो भोपाल की उसकी मजबूत सरकार गिर गई. हालांकि, कांग्रेस की पंद्रह महीने में ढह गई. इस बार मध्यप्रदेश के चुनावों की कमान खुद मोदी - शाह ने अपने हाथों में ले ली.

ग्वालियर चंबल अंचल की कमान सिंधिया के हाथ: भाजपा ने इस बार एक साथ अनेक फार्मूले लगाए हैं. पहले तो ज्योतिरादित्य सिंधिया. सिंधिया को कांग्रेस से निकालकर, भाजपा में शामिल करके कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश की. इसके बाद भाजपा के दिग्गजों और सिंधिया समर्थकों में छिड़ी बर्चस्व की लड़ाई को विराम देते हुए, चुनावों की कमान शिवराज सिंह की जगह खुद मोदी ने अपने हाथ में ले ली.

प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को विधानसभा चुनाव लड़ाने के फैसले में अंचल के अब तक के सबसे शक्तिशाली नेता केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी आ गए. अब वे दिमनी से प्रत्याशी हैं, लिहाजा सिंधिया स्टार प्रचारक के रूप में धुआंधार दौरे कर रहे हैं. उन्होंने भाजपा और अपने समर्थकों के बीच अनबन की खबरों के बीच, साठ से ज्यादा जातियों के सम्मेलन आयोजित कर अपनी शक्ति बढ़ाई. जिसके चलते भाजपा पर सिंधिया का प्रभाव बढ़ता गया.

अमित शाह के जयविलास में लंच और पीएम मोदी के सिंधिया स्कूल में दिए गए भाषण के जरिए, पार्टी हाईकमान ने यह सन्देश देने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि भविष्य की भाजपा की कमान सिंधिया के पास ही रहनी है. इससे सिंधिया समर्थकों की सक्रियता तो बढ़ी ही साथ ही भाजपा के कैडर ने भी उनके साथ जुड़ना तय कर लिया.

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हर कमजोर कड़ी जोड़ने की कोशिश: भाजपा ने ग्वालियर चम्बल अंचल में भाजपा की खराब स्थिति के सर्वे आने के बाद यहां पूरी ताकत झोंक दी. प्रधानमंत्री मोदी महज 19 दिन के भीतर दो बार ग्वालियर आए. अमित शाह एक साल से ग्वालियर चम्बल अंचल में आते जाते रहे. बीते चार महीने में तो वे चार बार यहां आ चुके. उनके दौरे की खास बात ये रही कि उन्होंने शुरुवाती दौरे महज संगठन की दृष्टी से किए.

वे देश प्रभारी भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैश्य को लेकर यहां आए. भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में वे आए तो उसी दिन उन्होंने एक अलग होटल में ग्वालियर -चम्बल संभाग के सैकड़ों पुराने नेताओं के साथ बातचीत कर फीडबैक लिया. उसके बाद उन्होंने बैठक बुलाई, जिसमें उन्होंने विधानसभावार तैयारियों की समीक्षा की और जीत के लिए मन्त्र भी दिए.

इसके बाद वे जनसभा रोड और रोड शो कर रहे हैं. इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ सीटों को छोड़कर ज्यादातर जगह पर विद्रोह नहीं हुआ.

नेताओं को अंचल में पटका: बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता ब्रजराज सिंह का कहना है कि भाजपा ने राष्ट्रीय नेताओं की पूरी फ़ौज ग्वालियर चम्बल-अंचल में पटक रखी है. प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भिंड जिले में नामांकन भरवाने पहुंचे. सिंधिया हर रोज आठ से दस मीटिंग कर रहे हैं. राजनाथ सिंह, रविशंकर प्रसाद सहित अनेक सांसद ग्वालियर में डेरा डाले हुए हैं. नाराज कहे जाने वाले जयभान सिंह पवैया भी सक्रिय हो गए हैं.

कांग्रेस में फिलहाल सन्नाटा: उधर सर्वे में ग्वालियर चम्बल अंचल में अच्छी स्थिति की खबरों के बाद कांग्रेस अति आत्मविश्वास में डूबी नजर आ रही है. दतिया को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर जगहों पर कोई बड़ा नेता नामांकन भरवाने नहीं आया. बीते एक माह से किसी बड़े नेता का कोई दौरा या सभा नहीं हुई. एक तरफ यहां मोदी ,शाह ,राजनाथ जैसे नेता अपने उड़नखटोला से गांव गांव घूम हैं.

वहीं, कांग्रेस कॉन्फ्रेंस करके ही अपना प्रचार अभियान चला रही है. भाजपा ने अपना सुविधासम्पन्न संभागीय मीडिया सेंटर खोलकर सूचनाएं भेजने की व्यवस्था कर दी तो कांग्रेस ने ऐसा कोई प्रयास ही नहीं किया. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि उनका काम रणनीति के तहत जमीन पर चल रहा है. भाजपा शोर शराबा और दिखावे में लगी है और हमारे प्रत्याशी घर- घर जाकर जनसमपर्क का एक नहीं दो चरण पूरा कर चुके हैं.

अब बड़े नेताओं के दौरों की भी शुरुआत हो चुकी है. जल्द ही खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित अनेक बड़े नेता सभाएं और रोड शो करने के लिए अंचल में आने वाले हैं.

ग्वालियर में बीजेपी का पूरा प्लान

ग्वालियर। चम्बल अंचल से मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत की चाबी पाने की होड़ में बीते एक महीने से भारतीय जनता पार्टी ने जहाँ अपनी जी जान झोंक रखी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह दोनों अंचल की एक एक सीट की हर गतिविधि पर टकटकी लगाए बैठें है. वे जहां खुद भी अंचल का दौरा कर रहे हैं. वहीं, जहां जिसकी जरूरत है. उसे भेजने का इंतजाम भी कर रहे है, यानी मोदी -शाह यहां अपनी हर कमजोर कड़ी जोड़कर जीत की राह आसान बनाने में लगे हैं, लेकिन प्रचार -प्रसार और नेताओं के दौरों के मामलों में फिलहाल कांग्रेस में सिर्फ सन्नाटा है. इससे उनके कार्यकर्ताओं में भी बेचैनी के साथ आशंका ही पनपने लगी है, कि कहीं उनका बना हुआ काम न बिगड़ जाए.

अंचल में हार -जीत तय करेगी सत्ता का भविष्य: ग्वालियर -चम्बल अंचल के परिणाम बीते तीन दशकों से मध्य प्रदेश की सत्ता के भाग्य का फैसला करते रहे हैं. अंचल की 34 विधानसभा सीटों में जिसकी बादशाहत कायम रही है. वहीं, भोपाल की गद्दी का हकदार बना था. 2003 ,2008 ,20013 में इस अंचल में भाजपा का परचम लहराया तो भोपाल की गद्दी पर भारतीय जनता पार्टी का कब्ज़ा रहा, लेकिन 2018 में भाजपा का यह अपराजेय गढ़ ढह गया.

अंचल की 34 में से भाजपा सिर्फ 7 सीट जीत सकी तो भोपाल की उसकी मजबूत सरकार गिर गई. हालांकि, कांग्रेस की पंद्रह महीने में ढह गई. इस बार मध्यप्रदेश के चुनावों की कमान खुद मोदी - शाह ने अपने हाथों में ले ली.

ग्वालियर चंबल अंचल की कमान सिंधिया के हाथ: भाजपा ने इस बार एक साथ अनेक फार्मूले लगाए हैं. पहले तो ज्योतिरादित्य सिंधिया. सिंधिया को कांग्रेस से निकालकर, भाजपा में शामिल करके कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश की. इसके बाद भाजपा के दिग्गजों और सिंधिया समर्थकों में छिड़ी बर्चस्व की लड़ाई को विराम देते हुए, चुनावों की कमान शिवराज सिंह की जगह खुद मोदी ने अपने हाथ में ले ली.

प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को विधानसभा चुनाव लड़ाने के फैसले में अंचल के अब तक के सबसे शक्तिशाली नेता केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी आ गए. अब वे दिमनी से प्रत्याशी हैं, लिहाजा सिंधिया स्टार प्रचारक के रूप में धुआंधार दौरे कर रहे हैं. उन्होंने भाजपा और अपने समर्थकों के बीच अनबन की खबरों के बीच, साठ से ज्यादा जातियों के सम्मेलन आयोजित कर अपनी शक्ति बढ़ाई. जिसके चलते भाजपा पर सिंधिया का प्रभाव बढ़ता गया.

अमित शाह के जयविलास में लंच और पीएम मोदी के सिंधिया स्कूल में दिए गए भाषण के जरिए, पार्टी हाईकमान ने यह सन्देश देने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि भविष्य की भाजपा की कमान सिंधिया के पास ही रहनी है. इससे सिंधिया समर्थकों की सक्रियता तो बढ़ी ही साथ ही भाजपा के कैडर ने भी उनके साथ जुड़ना तय कर लिया.

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हर कमजोर कड़ी जोड़ने की कोशिश: भाजपा ने ग्वालियर चम्बल अंचल में भाजपा की खराब स्थिति के सर्वे आने के बाद यहां पूरी ताकत झोंक दी. प्रधानमंत्री मोदी महज 19 दिन के भीतर दो बार ग्वालियर आए. अमित शाह एक साल से ग्वालियर चम्बल अंचल में आते जाते रहे. बीते चार महीने में तो वे चार बार यहां आ चुके. उनके दौरे की खास बात ये रही कि उन्होंने शुरुवाती दौरे महज संगठन की दृष्टी से किए.

वे देश प्रभारी भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैश्य को लेकर यहां आए. भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में वे आए तो उसी दिन उन्होंने एक अलग होटल में ग्वालियर -चम्बल संभाग के सैकड़ों पुराने नेताओं के साथ बातचीत कर फीडबैक लिया. उसके बाद उन्होंने बैठक बुलाई, जिसमें उन्होंने विधानसभावार तैयारियों की समीक्षा की और जीत के लिए मन्त्र भी दिए.

इसके बाद वे जनसभा रोड और रोड शो कर रहे हैं. इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ सीटों को छोड़कर ज्यादातर जगह पर विद्रोह नहीं हुआ.

नेताओं को अंचल में पटका: बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता ब्रजराज सिंह का कहना है कि भाजपा ने राष्ट्रीय नेताओं की पूरी फ़ौज ग्वालियर चम्बल-अंचल में पटक रखी है. प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भिंड जिले में नामांकन भरवाने पहुंचे. सिंधिया हर रोज आठ से दस मीटिंग कर रहे हैं. राजनाथ सिंह, रविशंकर प्रसाद सहित अनेक सांसद ग्वालियर में डेरा डाले हुए हैं. नाराज कहे जाने वाले जयभान सिंह पवैया भी सक्रिय हो गए हैं.

कांग्रेस में फिलहाल सन्नाटा: उधर सर्वे में ग्वालियर चम्बल अंचल में अच्छी स्थिति की खबरों के बाद कांग्रेस अति आत्मविश्वास में डूबी नजर आ रही है. दतिया को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर जगहों पर कोई बड़ा नेता नामांकन भरवाने नहीं आया. बीते एक माह से किसी बड़े नेता का कोई दौरा या सभा नहीं हुई. एक तरफ यहां मोदी ,शाह ,राजनाथ जैसे नेता अपने उड़नखटोला से गांव गांव घूम हैं.

वहीं, कांग्रेस कॉन्फ्रेंस करके ही अपना प्रचार अभियान चला रही है. भाजपा ने अपना सुविधासम्पन्न संभागीय मीडिया सेंटर खोलकर सूचनाएं भेजने की व्यवस्था कर दी तो कांग्रेस ने ऐसा कोई प्रयास ही नहीं किया. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत का कहना है कि उनका काम रणनीति के तहत जमीन पर चल रहा है. भाजपा शोर शराबा और दिखावे में लगी है और हमारे प्रत्याशी घर- घर जाकर जनसमपर्क का एक नहीं दो चरण पूरा कर चुके हैं.

अब बड़े नेताओं के दौरों की भी शुरुआत हो चुकी है. जल्द ही खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित अनेक बड़े नेता सभाएं और रोड शो करने के लिए अंचल में आने वाले हैं.

Last Updated : Nov 5, 2023, 1:50 PM IST
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