नई दिल्ली : वैसे तो बंगाल में हर चुनाव से पहले हिंसा अब आम बात हों चुकी है मगर इस बार नॉमिनेशन की समय सीमा बढ़ाने को लेकर मामला कोर्ट तक पहुंच गया है. वैसे तो टीएमसी और बीजेपी के बीच की लड़ाई हर चुनाव से पहले काफी आक्रामक हो जाती है और इस बार भी बंगाल में जबसे पंचायत चुनाव की घोषणा हुई है राज्य के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा हो रही है.
बंगाल के सह प्रभारी और पार्टी के आईटी हेड अमित मालवीय (Amit Malviya) ने आरोप लगाया कि भाजपा के लोगों को नॉमिनेशन भरने नही दिया जा रहा. टीएमसी के कार्यकर्ता हिंसा पर उतारू हैं, लोकतंत्र की हत्या की जा रही है.
मालवीय ने कहा कि ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी घबरा गए हैं, क्योंकि राज्य में उनकी साख गिरी है. उन्होंने कहा कि अगर पंचायत चुनाव में बीजेपी अच्छा करती है तो 2024 के चुनाव में उनकी (टीएमसी) साख कम हो जाएगी. मालवीय ने आरोप लगाया कि बंगाल में ना तो पुलिस की व्यवस्था है और न ही चुनाव के लिए समुचित सुरक्षा या संवैधानिक व्यवस्था की गई है.
इस सवाल पर कि कांग्रेस, टीएमसी और लेफ्ट 2024 के लिए एक प्लेटफार्म पर आ रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर वही राज्य में एक दूसरे के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. भाजपा नेता अमित मालवीय का कहना है कि ऑप्शन यूनिटी बंगाल में मिथ्या है ऐसे में विपक्षी एकता की बात करने वाले कांग्रेस, टीएमसी, लेफ्ट एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं, मगर बाकी जगह यूनिटी दिखा रहे हैं, वो भ्रम है.
मालवीय ने कहा कि 'ममता बनर्जी को अपनी और अपने भतीजे की साख बचाना मुश्किल हो रहा है. यही नहीं हाल ही में एक कांग्रेस का कार्यकर्ता टीएमसी के कार्यकर्ता द्वारा मारा भी गया है इसलिए ये मात्र आई वाश है.'
उन्होंने कहा कि विपक्षी यूनिटी के नाम परदिखावा मात्र है. उन्होंने कहा कि रात दिन वहां टीएमसी के कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसा की रही है. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी लोकतंत्र की हत्या कर रहीं हैं.
कोटा पर भी उठाया सवाल : मालवीय ने पश्चिम बंगाल में मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया. ओबीसी आयोग द्वारा कोटा से ज्यादा मुस्लिमों को आरक्षण देने पर बोलते हुए बीजेपी के बंगाल सह प्रभारी अमित मालवीय का कहना है कि ओबीसी की सूची में 118 मुस्लिम जातियां हैं बाकी हिंदू जातियां हैं, लेकिन बंगाल में पूरी ओबीसी सूची को फेरबदल किया गया, पूरा रिजर्वेशन पचास प्रतिशत हो सकता है मगर बंगाल में मुसलमानों को 90 प्रतिशत से ज्यादा रिजर्वेशन दिया गया जबकि एसटी-एससी को सिर्फ 45 प्रतिशत ही कोटा भरा गया है. उन्होंने कहा कि ओबीसी की सूची में मुसलमानों की संख्या कहीं ज्यादा है.
उन्होंने कहा कि 2011 से पहले कुल 108 उपजातिया थीं, जिनमें 55 हिंदू थीं, बाकी मुसलमान लेकिन 2011 में जब ममता मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने 71 और जोड़ने का काम किया. उसमें 65 मुसलमान थीं, जबकि हिंदू सिर्फ छह. आज स्थिति ये है की कुल 179 ओबीसी की सूची में हैं जिनमे 118 मुसलमान हैं और बाकी हिंदू. कई बांग्लादेशी घुसपठिये और रोहिंग्या भी शामिल हो गए हैं.
दूसरी बात पश्चिम बंगाल में एससी और ओबीसी का आरक्षण पचास प्रतिशत तक हो सकता है मगर ये मात्र 45 प्रतिशत है और ओबीसी समाज का रिजर्वेशन सिर्फ 17 प्रतिशत है जो 22 प्रतिशत तक जा सकता था, लेकिन ममता ने क्यों नही दिया. किस आधार पर कैटेगरी और बनाई गईं. किस आधार पर मुस्लिमों की सभी जतियों को कैटेगरी में डाला गया. जबकि बंगाल हिंदू बहुल राज्य है.भाजपा ये मुद्दा बंगाल के पंचायत और लोकसभा चुनाव में भीं उठाएगी.