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भाजपा सांसद कमलेश पासवान को 15 दिन में एसीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण का आदेश, जानिए क्या है वजह

गोरखपुर में बांसगांव संसदीय क्षेत्र से सांसद कमलेश पासवान को एसीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण का आदेश दिया गया है. करीब 15 वर्ष पहले कमलेश पासवान ने शिवपाल यादव के समर्थन में प्रदर्शन किया था. इस मामले में चौकी इंचार्ज ने सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.

भाजपा सांसद कमलेश पासवान
भाजपा सांसद कमलेश पासवान
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Published : Apr 11, 2023, 8:26 AM IST

गोरखपुर: भारतीय जनता पार्टी के बांसगांव संसदीय क्षेत्र से सांसद कमलेश पासवान को 15 दिन के अंदर गोरखपुर की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट यानी कि एसीजेएम के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा. ऐसा आदेश एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश ने दिया है. करीब 15 वर्ष पहले समाजवादी पार्टी में रहते हुए कमलेश पासवान ने अपने साथियों के साथ बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के गेट पर सड़क पर जाम लगाकर शिवपाल यादव के समर्थन में उग्र प्रदर्शन किया था. इस मामले में स्थानीय चौकी इंचार्ज ने सांसद के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया था. इस मामले में सांसद सहित छह लोगों के खिलाफ पहले डेढ़ साल की सजा सुनाई गई थी. इस फैसले के खिलाफ सांसद विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट चले गए थे. इस फैसले को कोर्ट ने सोमवार की शाम को निरस्त करते हुए सांसद सहित छह साथियों को आत्मसमर्पण का आदेश दिया है, जिससे सांसद के खेमे में हलचल मची हुई है.

जाम और धरना प्रदर्शन के मामले में नवंबर 2022 में सांसद कमलेश पासवान और उनके पांच सहयोगियों को कोर्ट ने डेढ़ साल की सजा और दो-दो हजार रुपये का अर्थदंड लगाया था. सांसद के अलावा सजा पाने वालों में गुलरिहा थाना क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज निवासी रामवृक्ष यादव, महेश पासवान, चंद्रेश पासवान रामाश्रय, सुनील पासवान और खुद्दुस शामिल हैं. इसमें दोष सिद्ध होने पर अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट ने जुर्म पर सजा सुनाई थी. इस सजा के खिलाफ सांसद ने जो अपनी अपील एमपी एमएलए कोर्ट में दायर की थी, उसे कोर्ट ने निरस्त करते हुए 15 दिन में सरेंडर करने का आदेश दिया है.

16 जनवरी वर्ष 2008 के मामले में सांसद और उनके सहयोगियों को यह सजा सुनाई गई है. जब समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदेश भर में पार्टी कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. उसी दौरान कमलेश पासवान और उनके साथियों ने मेडिकल कॉलेज गेट पर प्रदर्शन किया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री का पुतला फूंकने का कार्य भी किया था. इस मामले में तत्कालीन मेडिकल कॉलेज चौकी इंचार्ज जगदीश मौर्य ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसमें न्यायालय ने पत्रावली में पर्याप्त साक्ष्य पाए जाने पर उक्त निर्णय दिया था.

यह भी पढ़ें: भगवान शिव को लेकर फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्‍ट के मामले में आपराधिक कार्रवाई रद्द करने से किया इनकार

गोरखपुर: भारतीय जनता पार्टी के बांसगांव संसदीय क्षेत्र से सांसद कमलेश पासवान को 15 दिन के अंदर गोरखपुर की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट यानी कि एसीजेएम के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा. ऐसा आदेश एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश ने दिया है. करीब 15 वर्ष पहले समाजवादी पार्टी में रहते हुए कमलेश पासवान ने अपने साथियों के साथ बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के गेट पर सड़क पर जाम लगाकर शिवपाल यादव के समर्थन में उग्र प्रदर्शन किया था. इस मामले में स्थानीय चौकी इंचार्ज ने सांसद के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया था. इस मामले में सांसद सहित छह लोगों के खिलाफ पहले डेढ़ साल की सजा सुनाई गई थी. इस फैसले के खिलाफ सांसद विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट चले गए थे. इस फैसले को कोर्ट ने सोमवार की शाम को निरस्त करते हुए सांसद सहित छह साथियों को आत्मसमर्पण का आदेश दिया है, जिससे सांसद के खेमे में हलचल मची हुई है.

जाम और धरना प्रदर्शन के मामले में नवंबर 2022 में सांसद कमलेश पासवान और उनके पांच सहयोगियों को कोर्ट ने डेढ़ साल की सजा और दो-दो हजार रुपये का अर्थदंड लगाया था. सांसद के अलावा सजा पाने वालों में गुलरिहा थाना क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज निवासी रामवृक्ष यादव, महेश पासवान, चंद्रेश पासवान रामाश्रय, सुनील पासवान और खुद्दुस शामिल हैं. इसमें दोष सिद्ध होने पर अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट ने जुर्म पर सजा सुनाई थी. इस सजा के खिलाफ सांसद ने जो अपनी अपील एमपी एमएलए कोर्ट में दायर की थी, उसे कोर्ट ने निरस्त करते हुए 15 दिन में सरेंडर करने का आदेश दिया है.

16 जनवरी वर्ष 2008 के मामले में सांसद और उनके सहयोगियों को यह सजा सुनाई गई है. जब समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदेश भर में पार्टी कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. उसी दौरान कमलेश पासवान और उनके साथियों ने मेडिकल कॉलेज गेट पर प्रदर्शन किया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री का पुतला फूंकने का कार्य भी किया था. इस मामले में तत्कालीन मेडिकल कॉलेज चौकी इंचार्ज जगदीश मौर्य ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इसमें न्यायालय ने पत्रावली में पर्याप्त साक्ष्य पाए जाने पर उक्त निर्णय दिया था.

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