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कोरोना : बयानवीर भाजपा नेता लिख रहे सरकार का 'फजीहतनामा'

भाजपा ने अपने नेताओं को चेतावनी दी है कि वह कोरोना से संबंधित कोई भी बयान सोच समझ कर दें. बावजूद इसके इन नेताओं पर कोई असर नहीं हो रहा है. वह आए दिन कुछ न कुछ बयान दे रहे हैं, जिससे सरकार की फजीहत हो रही है. आइए जानते हैं कि यह नेता कैसे-कैसे बयान देकर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

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Published : May 18, 2021, 8:58 PM IST

Updated : May 18, 2021, 9:14 PM IST

नई दिल्ली : एक तरफ वैसे ही सरकार विपक्षियों के आरोपों से हर दिन घिरती नजर आ रही है, जिससे सरकार और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को बार-बार सफाई देनी पड़ रही है. ऐसे में बीजेपी के महत्वपूर्ण नेताओं द्वारा की जा रही बेलगाम टिप्पणियां पार्टी के लिए और मुश्किलें खड़ी कर रही हैं.

कोविड-19 की दूसरी लहर जब से आई है तब से सरकार भी विपक्षियों के निशाने पर है और केंद्र सरकार की तमाम मशक्कत के बावजूद भी आए दिन सरकार की किसी न किसी मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से फजीहत की जा रही है, ऐसे में पार्टी के नेताओं की फिसलती जुबान और एक से बढ़कर एक टिप्पणी ने पार्टी की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं. छोटे से लेकर बड़े नेता तक बढ़-चढ़कर टिप्पणियों से बाज नहीं आ रहे.

पिछले साल मार्च 2020 में जब महामारी देश में पांव पसार रही थी तब सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसदों और विधायकों ने से शुरुआती दौर में ही इसे काफी हल्के में लिया था और कोविड-19 पर एक के बाद एक गलत टिप्पणियां कीं. एक साल बीत जाने के बावजूद महामारी का रूप अब विकराल रूप धारण कर चुका है, लेकिन इन नेताओं की गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी पर अभी तक लगाम नहीं लगा है.

2020 में जब कोरोना की शुरुआत हुई, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सार्वजनिक सभा में कहा की योग और स्वस्थ दिमाग कोरोना वायरस के लिए दवा का काम कर सकता है. योगी ने आगे बढ़कर यहां तक कह दिया कि यदि कोई भी व्यक्ति दिमागी तनाव से दूर रहे तो उसे हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, किडनी लीवर किसी तरह की बीमारी नहीं होगी और वह कोरोना वायरस से दूर रहेगा एक जिम्मेदार पद पर बैठे जिम्मेदार नेता के द्वारा दिया गया यह बयान कहीं ना कहीं लोगों में लापरवाही को बढ़ाने में जरूर बल देने वाला था.

इसके बाद बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने यह कहकर लोगों को असमंजस में डाल दिया गोमूत्र पीने में कोई बुराई नहीं है और वह खुद गोमूत्र का सेवन करते हैं. दिलीप घोष ने यह बात अपनी ही पार्टी के एक राज्य स्तर के नेता नारायण चटर्जी की तरफ से गौ मूत्र से संबंधित आयोजित किए गए कार्यक्रम के बचाव में कही थी.

असम चुनाव प्रचार के दौरान असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने भी यही कहा कि आसाम की अगर बात करें तो यहां कहीं भी कोविड-19 नहीं है और वह खुद बिहू फेस्टिवल को धूमधाम से मनाएंगे. यही नहीं जब मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई जा रहा थी, तो स्वास्थ्य विभाग सहित कई मंत्री बगैर मास्क के शपथ लेते हुए नजर आए.

इतना ही नहीं खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार से अपील का जवाब देते हुए इस साल के मार्च में आनन-फानन में यह दावा कर दिया कि कोविड अब भारत से रवानगी की ओर है और इस पर नेताओं को राजनीति नहीं करनी चाहिए.

यही नहीं असाम की एक विधायक सुमन प्रिया ने तो लोगों को कोविड-19 के लिए गोबर के उपले जलाने और गोमूत्र पीने तक की सलाह दे दी.

इस कड़ी में कई और नेताओं ने भी अपने बयानों से चार चांद लगाया. इसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के बयान भी लंबे समय तक याद किए जाएंगे. उन्होंने कुंभ मेला में आने वाले साधुओं और श्रद्धालुओं के लिए यह कहा था कि श्रद्धालु मां गंगा के नजदीक होते हैं और उनके साथ मां गंगा के आशीर्वाद है. उनकी तुलना तबलीगी जमात से ना की जाए. उन्होंने तो यह तक दावा कर दिया कि कुम्भ से कोरोना नहीं फैल रहा जबकि उसके बाद कई साधुओं की भी मौत कोरोना से हुई और दर्जनों पोसिटिव केस का खुलासा हुआ.

कोविड-19 बयान बाजी की श्रृंखला में मध्य प्रदेश के एक मंत्री प्रेम सिंह पटेल भी पीछे नहीं रहे उन्होंने कहा कि मृतकों को मरने से कोई नहीं रोक सकता जब लोग वृद्ध होंगे, तो वह मरेगे ही संसार में प्रतिदिन लोग मर रहे हैं.

पढ़ें - 'फर्जी टूलकिट' के मामले में कांग्रेस ने नड्डा समेत कई नेताओं के खिलाफ पुलिस में की शिकायत

इसके अलावा बलिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह का वीडियो ही वायरल हो गया, जिसमें वह गोमूत्र को पानी में मिलाकर पी रहे हैं और यह दावा करते नजर आ रहे हैं कि यह पेय लोगों को कोरोना से बचा सकता है.

बयानबाजी की होड़ में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी कूद पड़े और बयान दिया कि वायरस एक जीवाणु है और उसे भी जीने का हक है. हम सभी जीवित प्राणी हैं और हम अपने आप को इन सबसे ऊपर मानते हैं, लेकिन यह वायरस भी अपने म्यूटेशन को तलाश रहा है और जीवित रहना चाहता है.

हाल ही में प्रज्ञा ठाकुर ने यह कहकर लोगों को चौंका दिया कि वह रोज गोमूत्र का सेवन करती हैं. इसलिए कोरोना वायरस से उनका बचाव हो पाया है. उन्होंने यहां तक कहा कि गोमूत्र जीवनदायिनी है और इससे फेफड़ों का इन्फेक्शन दूर होता है, जिसका समर्थन करते हुए मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि प्रज्ञा सिंह के बयान सही हैं और गोमूत्र से कैंसर भी ठीक होता है. प्रज्ञा ठाकुर ने आगे कहा कि गौ मूत्र से कोरोना वायरस का इलाज होता है, जिस पर कांग्रेस ने यहां तक तंज किया कि अस्पताल में सरकार द्वारा गोमूत्र वार्ड खोले जाने चाहिए.

सूत्रों की मानें तो पार्टी ने कई बार मुख्यालय से यह चेतावनी जारी की है कि जनप्रतिनिधि कोरोना वायरस से संबंधित कोई भी असंवेदनशील टिप्पणी ना करें, बावजूद इसके एक के बाद एक लगातार इन नेताओं द्वारा टिप्पणी की जा रही है. इससे कहीं ना कहीं पार्टी और सरकार दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

नई दिल्ली : एक तरफ वैसे ही सरकार विपक्षियों के आरोपों से हर दिन घिरती नजर आ रही है, जिससे सरकार और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को बार-बार सफाई देनी पड़ रही है. ऐसे में बीजेपी के महत्वपूर्ण नेताओं द्वारा की जा रही बेलगाम टिप्पणियां पार्टी के लिए और मुश्किलें खड़ी कर रही हैं.

कोविड-19 की दूसरी लहर जब से आई है तब से सरकार भी विपक्षियों के निशाने पर है और केंद्र सरकार की तमाम मशक्कत के बावजूद भी आए दिन सरकार की किसी न किसी मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से फजीहत की जा रही है, ऐसे में पार्टी के नेताओं की फिसलती जुबान और एक से बढ़कर एक टिप्पणी ने पार्टी की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं. छोटे से लेकर बड़े नेता तक बढ़-चढ़कर टिप्पणियों से बाज नहीं आ रहे.

पिछले साल मार्च 2020 में जब महामारी देश में पांव पसार रही थी तब सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसदों और विधायकों ने से शुरुआती दौर में ही इसे काफी हल्के में लिया था और कोविड-19 पर एक के बाद एक गलत टिप्पणियां कीं. एक साल बीत जाने के बावजूद महामारी का रूप अब विकराल रूप धारण कर चुका है, लेकिन इन नेताओं की गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी पर अभी तक लगाम नहीं लगा है.

2020 में जब कोरोना की शुरुआत हुई, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सार्वजनिक सभा में कहा की योग और स्वस्थ दिमाग कोरोना वायरस के लिए दवा का काम कर सकता है. योगी ने आगे बढ़कर यहां तक कह दिया कि यदि कोई भी व्यक्ति दिमागी तनाव से दूर रहे तो उसे हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, किडनी लीवर किसी तरह की बीमारी नहीं होगी और वह कोरोना वायरस से दूर रहेगा एक जिम्मेदार पद पर बैठे जिम्मेदार नेता के द्वारा दिया गया यह बयान कहीं ना कहीं लोगों में लापरवाही को बढ़ाने में जरूर बल देने वाला था.

इसके बाद बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने यह कहकर लोगों को असमंजस में डाल दिया गोमूत्र पीने में कोई बुराई नहीं है और वह खुद गोमूत्र का सेवन करते हैं. दिलीप घोष ने यह बात अपनी ही पार्टी के एक राज्य स्तर के नेता नारायण चटर्जी की तरफ से गौ मूत्र से संबंधित आयोजित किए गए कार्यक्रम के बचाव में कही थी.

असम चुनाव प्रचार के दौरान असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने भी यही कहा कि आसाम की अगर बात करें तो यहां कहीं भी कोविड-19 नहीं है और वह खुद बिहू फेस्टिवल को धूमधाम से मनाएंगे. यही नहीं जब मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई जा रहा थी, तो स्वास्थ्य विभाग सहित कई मंत्री बगैर मास्क के शपथ लेते हुए नजर आए.

इतना ही नहीं खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की सरकार से अपील का जवाब देते हुए इस साल के मार्च में आनन-फानन में यह दावा कर दिया कि कोविड अब भारत से रवानगी की ओर है और इस पर नेताओं को राजनीति नहीं करनी चाहिए.

यही नहीं असाम की एक विधायक सुमन प्रिया ने तो लोगों को कोविड-19 के लिए गोबर के उपले जलाने और गोमूत्र पीने तक की सलाह दे दी.

इस कड़ी में कई और नेताओं ने भी अपने बयानों से चार चांद लगाया. इसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के बयान भी लंबे समय तक याद किए जाएंगे. उन्होंने कुंभ मेला में आने वाले साधुओं और श्रद्धालुओं के लिए यह कहा था कि श्रद्धालु मां गंगा के नजदीक होते हैं और उनके साथ मां गंगा के आशीर्वाद है. उनकी तुलना तबलीगी जमात से ना की जाए. उन्होंने तो यह तक दावा कर दिया कि कुम्भ से कोरोना नहीं फैल रहा जबकि उसके बाद कई साधुओं की भी मौत कोरोना से हुई और दर्जनों पोसिटिव केस का खुलासा हुआ.

कोविड-19 बयान बाजी की श्रृंखला में मध्य प्रदेश के एक मंत्री प्रेम सिंह पटेल भी पीछे नहीं रहे उन्होंने कहा कि मृतकों को मरने से कोई नहीं रोक सकता जब लोग वृद्ध होंगे, तो वह मरेगे ही संसार में प्रतिदिन लोग मर रहे हैं.

पढ़ें - 'फर्जी टूलकिट' के मामले में कांग्रेस ने नड्डा समेत कई नेताओं के खिलाफ पुलिस में की शिकायत

इसके अलावा बलिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह का वीडियो ही वायरल हो गया, जिसमें वह गोमूत्र को पानी में मिलाकर पी रहे हैं और यह दावा करते नजर आ रहे हैं कि यह पेय लोगों को कोरोना से बचा सकता है.

बयानबाजी की होड़ में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी कूद पड़े और बयान दिया कि वायरस एक जीवाणु है और उसे भी जीने का हक है. हम सभी जीवित प्राणी हैं और हम अपने आप को इन सबसे ऊपर मानते हैं, लेकिन यह वायरस भी अपने म्यूटेशन को तलाश रहा है और जीवित रहना चाहता है.

हाल ही में प्रज्ञा ठाकुर ने यह कहकर लोगों को चौंका दिया कि वह रोज गोमूत्र का सेवन करती हैं. इसलिए कोरोना वायरस से उनका बचाव हो पाया है. उन्होंने यहां तक कहा कि गोमूत्र जीवनदायिनी है और इससे फेफड़ों का इन्फेक्शन दूर होता है, जिसका समर्थन करते हुए मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि प्रज्ञा सिंह के बयान सही हैं और गोमूत्र से कैंसर भी ठीक होता है. प्रज्ञा ठाकुर ने आगे कहा कि गौ मूत्र से कोरोना वायरस का इलाज होता है, जिस पर कांग्रेस ने यहां तक तंज किया कि अस्पताल में सरकार द्वारा गोमूत्र वार्ड खोले जाने चाहिए.

सूत्रों की मानें तो पार्टी ने कई बार मुख्यालय से यह चेतावनी जारी की है कि जनप्रतिनिधि कोरोना वायरस से संबंधित कोई भी असंवेदनशील टिप्पणी ना करें, बावजूद इसके एक के बाद एक लगातार इन नेताओं द्वारा टिप्पणी की जा रही है. इससे कहीं ना कहीं पार्टी और सरकार दोनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

Last Updated : May 18, 2021, 9:14 PM IST
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