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बिहार में BJP की रणनीति, नीतीश की अवसरवादिता को बनाएगी चुनावी हथियार - Bjp mega plan against mahagathbandhan in bihar

बिहार में जेडीयू के साथ गठबंधन टूटने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने 2024 और 2025 की रणनीतियों पर अभी से चर्चा शुरू कर दी है. बीजेपी इस 'विश्वासघात' में भी अवसर तलाश रही है. वह इस 'विश्वासघात' को ही जेडीयू के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बनाएगी. 'ईटीवी भारत' की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

Bjp plan against mahagath bandhan in bihar
बिहार में BJP की रणनीति
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Published : Aug 11, 2022, 8:33 PM IST

Updated : Aug 11, 2022, 9:17 PM IST

नई दिल्ली : बीजेपी को जातीय समीकरण देखते हुए ये अहसास हो चुका है कि बगैर गठबंधन के बिहार की राह इतनी आसान नहीं है. यही वजह है की बीजेपी के दिग्गज अभी से बिहार पर रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं. जेडीयू और महागठबंधन की पार्टियों के खिलाफ अवसरवाद और विश्वासघात पार्टी का सबसे बड़ा फॉर्मूला और हथियार होगा. हल्लाबोल तरीके से बीजेपी नेताओं के कार्यक्रम तय किए जाएंगे.

पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि पार्टी बिहार में लगातार सक्रिय रहेगी. बीजेपी अपने नेताओं और इस्तीफा दे चुके मंत्रियों को भी ये निर्देश दे चुकी है कि वह निरंतर अपने क्षेत्र और मुख्य विपक्षी नेताओं के निर्वाचन क्षेत्रों में जाकर जनता से संपर्क साधें. नए बिहार और पुराने बिहार में क्या अंतर आया है उन्हें समझाएं. यही नहीं सूत्रों की मानें तो राजद के समय हुई घटना को भी याद करवाते हुए कानून व्यवस्था की तुलनात्मक बातें जनता तक पहुंचने के निर्देश नेताओं को दिए गए हैं. 'जंगलराज' का नाम देते हुए आरजेडी और महागठबंधन व लालू यादव के शासनकाल की घटनाओं को लोगों को दोबारा याद दिलाने का काम भी पार्टी के नेता करेंगे.

बीजेपी अब बिहार में कार्यकर्ताओं की मांग के अनुरूप पीएम मोदी के केंद्रीय नेतृत्व में अकेले चुनाव लड़ने के लिए जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू कर रही है. संगठन को मजबूत कर बगैर किसी सहयोगी के बीजेपी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. हालांकि पार्टी को ये मालूम है की जातीय अंकगणित के नाते और बिहार में बगैर किसी बड़े चेहरे को दिए पार्टी के लिए ये राह आसान नहीं होगी.

बीजेपी का मेगा प्लान : इन परिस्थितियों को देखते हुए ही 2024 और 2025 के बिहार चुनाव के लिए पार्टी अब मेगा प्लान बनाने में जुट रही है. क्योंकि उन्हें मालूम है की संभवत इन दोनों ही चुनावों में उन्हें प्रशांत किशोर सरीखे दिग्गज रणनीतिकारों का सामना करना पड़ सकता है. पार्टी नेता इस बात को भी मुद्दा बनाने में लगे हैं की भाजपा ने अपनी जूनियर पार्टी जेडीयू को आगे बढ़ाते हुए कम सीटें होने के बावजूद सीएम की कुर्सी नीतीश कुमार को दी फिर भी जेडीयू ने 'विश्वासघात' किया.

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न लेने की शर्त पर ये कहा कि ये जनादेश बीजेपी और जेडीयू को मिला था, जिसके साथ जेडीयू ने विश्वासघात किया है. इसका खामियाजा जेडीयू को भुगतना पड़ सकता है.

बीजेपी का प्लान बी ये भी है कि वो जेडीयू के विश्वासघात को और अवसरवादिता को ज्यादा से ज्यादा जनता के सामने रखेगी. पार्टी के एक नेता का कहना है कि आरजेडी और कांग्रेस की कार्यशैली से बिहार की जनता खुद त्रस्त रही है. पार्टी जनता को ये बताएगी कि सुशासन बाबू होने का दावा करने वाले नीतीश कुमार ने कैसे अवसर देखते ही विपक्षियों से हाथ मिलाया. जिन्हे वो जंगलराज के नेता कहा करते थे कैसे उसी में शामिल हो गए. इन बातों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा जाएगा. इन तमाम बातों पर मंथन और आगे की रणनीति पर मुहर लगाने के लिए बीजेपी ने सोमवार को कोर ग्रुप की बैठक भी बुलाई है, जिसमें बिहार के प्रमुख नेताओं के साथ रणनीति तैयार की जाएगी.

पढ़ें- बिहार विधानसभा में 24 अगस्त को बहुमत साबित करेंगे नीतीश कुमार

नई दिल्ली : बीजेपी को जातीय समीकरण देखते हुए ये अहसास हो चुका है कि बगैर गठबंधन के बिहार की राह इतनी आसान नहीं है. यही वजह है की बीजेपी के दिग्गज अभी से बिहार पर रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं. जेडीयू और महागठबंधन की पार्टियों के खिलाफ अवसरवाद और विश्वासघात पार्टी का सबसे बड़ा फॉर्मूला और हथियार होगा. हल्लाबोल तरीके से बीजेपी नेताओं के कार्यक्रम तय किए जाएंगे.

पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि पार्टी बिहार में लगातार सक्रिय रहेगी. बीजेपी अपने नेताओं और इस्तीफा दे चुके मंत्रियों को भी ये निर्देश दे चुकी है कि वह निरंतर अपने क्षेत्र और मुख्य विपक्षी नेताओं के निर्वाचन क्षेत्रों में जाकर जनता से संपर्क साधें. नए बिहार और पुराने बिहार में क्या अंतर आया है उन्हें समझाएं. यही नहीं सूत्रों की मानें तो राजद के समय हुई घटना को भी याद करवाते हुए कानून व्यवस्था की तुलनात्मक बातें जनता तक पहुंचने के निर्देश नेताओं को दिए गए हैं. 'जंगलराज' का नाम देते हुए आरजेडी और महागठबंधन व लालू यादव के शासनकाल की घटनाओं को लोगों को दोबारा याद दिलाने का काम भी पार्टी के नेता करेंगे.

बीजेपी अब बिहार में कार्यकर्ताओं की मांग के अनुरूप पीएम मोदी के केंद्रीय नेतृत्व में अकेले चुनाव लड़ने के लिए जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू कर रही है. संगठन को मजबूत कर बगैर किसी सहयोगी के बीजेपी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. हालांकि पार्टी को ये मालूम है की जातीय अंकगणित के नाते और बिहार में बगैर किसी बड़े चेहरे को दिए पार्टी के लिए ये राह आसान नहीं होगी.

बीजेपी का मेगा प्लान : इन परिस्थितियों को देखते हुए ही 2024 और 2025 के बिहार चुनाव के लिए पार्टी अब मेगा प्लान बनाने में जुट रही है. क्योंकि उन्हें मालूम है की संभवत इन दोनों ही चुनावों में उन्हें प्रशांत किशोर सरीखे दिग्गज रणनीतिकारों का सामना करना पड़ सकता है. पार्टी नेता इस बात को भी मुद्दा बनाने में लगे हैं की भाजपा ने अपनी जूनियर पार्टी जेडीयू को आगे बढ़ाते हुए कम सीटें होने के बावजूद सीएम की कुर्सी नीतीश कुमार को दी फिर भी जेडीयू ने 'विश्वासघात' किया.

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न लेने की शर्त पर ये कहा कि ये जनादेश बीजेपी और जेडीयू को मिला था, जिसके साथ जेडीयू ने विश्वासघात किया है. इसका खामियाजा जेडीयू को भुगतना पड़ सकता है.

बीजेपी का प्लान बी ये भी है कि वो जेडीयू के विश्वासघात को और अवसरवादिता को ज्यादा से ज्यादा जनता के सामने रखेगी. पार्टी के एक नेता का कहना है कि आरजेडी और कांग्रेस की कार्यशैली से बिहार की जनता खुद त्रस्त रही है. पार्टी जनता को ये बताएगी कि सुशासन बाबू होने का दावा करने वाले नीतीश कुमार ने कैसे अवसर देखते ही विपक्षियों से हाथ मिलाया. जिन्हे वो जंगलराज के नेता कहा करते थे कैसे उसी में शामिल हो गए. इन बातों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा जाएगा. इन तमाम बातों पर मंथन और आगे की रणनीति पर मुहर लगाने के लिए बीजेपी ने सोमवार को कोर ग्रुप की बैठक भी बुलाई है, जिसमें बिहार के प्रमुख नेताओं के साथ रणनीति तैयार की जाएगी.

पढ़ें- बिहार विधानसभा में 24 अगस्त को बहुमत साबित करेंगे नीतीश कुमार

Last Updated : Aug 11, 2022, 9:17 PM IST
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