नई दिल्ली: कैश फॉर सवाल मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर लगे आरोपों को लेकर बीजेपी हमलावर है. पार्टी का कहना है कि टीएमसी सांसद पर जब तक जांच पूरी नहीं होती, उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि ये मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है और टीएमसी सांसद को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए.
बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ सबूतों के साथ स्पीकर को पत्र लिखकर मांग की है कि वो टीएमसी सांसद की सांसद मान्यता खत्म करें. उन्होंने अपने पत्र में आरोप लगाए हैं कि महुआ मोइत्रा ने एक उद्योगपति के इशारे पर संसद में सवाल पूछे, जिसके एवज में उन्हें फायदा पहुंचाया गया. हालांकि इस आरोप पर महुआ मोइत्रा ने भी निशिकांत दुबे के खिलाफ लीगल नोटिस भेजे हैं. मगर ये मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. बीजेपी इस मुद्दे पर हमलावर है.
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि यह मामला गंभीर है और सीधे-सीधे सांसद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, इसलिए जब तक जांच चल रही है, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि नैतिकता का आधार है. साथ ही इस सवाल पर कि क्या टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी को इस मामले में कोई कदम उठाना चाहिए, बीजेपी नेता का कहना है कि उन्हें मानता बनर्जी से कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि पार्टी में कई नेता भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे हुए हैं.
उन्होंने कहा की खुद ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, मगर पार्टी ने कोई कारवाई नहीं की. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में कहा था कि उन्हें ये उम्मीद है कि अब केंद्र उनके खिलाफ भी करवाई करेगी, क्योंकि एक-एक कर उनके नेताओं को फंसाया जा रहा. इस सवाल पर कि विरोधी पार्टियों पर केंद्र सरकार द्वारा बदले की कर्रवाई के आरोप लग रहे हैं, सिंह ने कहा कि केजरीवाल को जब भी सपना आता है, कि उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है, कोई न कोई सबूत सामने आता है.
उन्होंने कहा कि जिस तरह दिल्ली में हुए लिकर स्कैम में आम आदमी पार्टी के नेता गिरफ्तार हुए हैं, उसे देखकर लगता है कि इन सबके मास्टरमाइंड खुद अरविंद केजरीवाल हैं. इसलिए आजकल उन्हें डर सता रहा है. बहरहाल मामला जांच का विषय है, मगर ऐसे में जब चुनाव की तैयारी चल रही है, इस तरह के मामले कहीं न कहीं विरोधियों को परेशान जरूर कर रहे हैं, जिसका खामियाजा चुनावी मैदान में इन पार्टियों को उठाना पड़ सकता है.