बेंगलुरु: कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनाव 2023 को 100 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही बीजेपी ने किसी विपक्षी नेता की नियुक्ति नहीं की है. वकील एनपी अमृतेश ने बीजेपी के इस कदम पर आपत्ति जताई है और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष नलीन कुमार कतील को कानूनी नोटिस भेजा है. इस नोटिस में मांग की गई है कि बीजेपी को विपक्ष के नेता का चयन करने के लिए विधायी बैठक बुलाने का निर्देश दिया जाए. इसके अलावा कानूनी नोटिस की प्रतियां राष्ट्रपति, राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष और मुख्य सचिव को भी भेजी गई हैं. साथ ही नोटिस में कहा गया है कि यदि विपक्षी नेता के चयन का निर्देश देने में विफल रहते हैं तो संबंधित प्राधिकारी और अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा.
लोकतंत्र में विपक्ष और उसके नेता की बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. यदि जनता को अपनी समस्याओं को लेकर सरकार से गुहार लगानी है तो अंततः उसे विपक्ष के नेता के पास से ही जाना होता है. हालांकि, भाजपा ने विपक्षी नेता का चयन न करके एक संवैधानिक शून्य पैदा कर दिया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता के पास कई शक्तियां और कर्तव्य होते हैं. वकील ने नोटिस में कहा- लोकायुक्त, उप लोकायुक्त, केपीएससी सदस्य, आरटीआई आयुक्त, उपभोक्ता संघ, प्रशासनिक न्याय बोर्ड और अन्य संवैधानिक पदों की नियुक्तियों में विपक्षी नेता का शामिल होना जरूरी है.
जब चुनी हुई सरकार सक्रिय रूप से काम नहीं कर रही हो तो विधानसभा में विपक्ष के नेता को जनता की आवाज बनकर काम करना होता है. विपक्ष के नेता को सरकार द्वारा दुर्व्यवहार, भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग आदि के मामले में अपनी आवाज उठाने का अधिकार है. विपक्षी नेता का चयन नहीं करना लोगों के लिए परेशानी का सबब है. राज्य में नई सरकार को सत्ता में आए सौ दिन पूरे हो गए हैं. अभी भी बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष पद के लिए किसी विधायक का नामांकन नहीं किया है. वकील ने कहा कि कि जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए एक विपक्षी नेता को नियुक्त करना भाजपा का कर्तव्य है.
वकील अमृतेश ने नोटिस में बताया कि भाजपा ने संविधान के तहत विपक्षी नेता का चयन किए बिना विरोध और धरना देकर सत्तारूढ़ दल को पलटने की कोशिश की है. विपक्ष के नेता के पद को कैबिनेट स्तर का दर्जा प्राप्त होता है और इसमें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ होती हैं. विधानसभा के बाहर और अंदर सरकार की अवैधता, अधर्म, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, सत्ता के दुरुपयोग के बारे में लोगों की ओर से आवाज उठाई जानी चाहिए. लेकिन बीजेपी ने विपक्षी नेता का चुनाव न करके एक संवैधानिक शून्य पैदा कर दिया है.