वाराणसी: 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में हर राजनीतिक दल अभी से तैयारियों में जुट गई है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर है. जिसकी शुरूआत उन्होंने दक्षिण भारत से की. अब भारतीय जनता पार्टी ने भी एक ऐसा मास्टर प्लान तैयार किया है. जिसका इंप्लीमेंट अगर सही तरीके से हो गया तो उत्तर से दक्षिण साधने का बीजेपी का यह सपना साकार हो जाएगा.
गौरतलब है कि गुरुवार यानी आज से बनारस में काशी तमिल संगमम् की शुरुआत होने जा रही है. पूरे 1 महीने चलने वाले इस आयोजन में 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद शिरकत करेंगे. इस कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत करेंगे. लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर उत्तर भारत से दक्षिण भारत की संस्कृति को सभ्यता को और खानपान के साथ शिक्षा को जोड़ना बीजेपी ने क्यों सही समझा? क्यों पहली बार इस तरह के आयोजन की जरूरत पड़ी? क्यों बनारस जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक शहर से तमिल संस्कृति के कनेक्शन को आगे बढ़ा कर बीजेपी इस प्लान को सफल करना चाहती है?
क्या कहते है विशेषज्ञः इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए ईटीवी भारत ने राजनीतिक विशेषज्ञों से उनकी राय जानी. इसमें बहुत हद तक साफ कर दिया कि काशी तमिल संगमम् उत्तर से दक्षिण को साधने का एक बड़ा मास्टर प्लान माना जा सकता है. यह मास्टर प्लान अगर सफल हुआ तो बीजेपी के लिए 24 की राह ना सिर्फ आसान होगी बल्कि उत्तर के साथ हमेशा से बीजेपी से दूर रहने वाला दक्षिण का हिस्सा भी कनेक्ट होकर बीजेपी को बड़ा फायदा पहुंचा देगा.
इस बारे में ईटीवी भारत ने अपने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर हेमंत कुमार मालवीय से बातचीत की. मालवीय ने सीधे तौर पर कहा कि बीजेपी हर छोटे बड़े प्लान को बड़े अच्छे तरीके से इंप्लीमेंट करना जानती हैं, उसका यही मोटिव होता है कि एक इलेक्शन खत्म ना हो और दूसरे की शुरुआत शुरू कर दी जाए. इसी प्लानिंग के तहत बीजेपी अपने इस प्लान को इंप्लीमेंट करने की सोच रही है, जो उत्तर भारत से दक्षिण भारत को साधने का महत्वपूर्ण जरिया बन सकता है.
एक तीर कई निशानाः काशी में तमिल संगमम् के जरिए बीजेपी एक तीर से कई निशाना साधना चाह रही है. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी पिछले दिनों काशी में यह स्पष्ट कर दिया था कि काशी से दक्षिण भारत को जोड़ने में अहम योगदान धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का है. इसी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ शिक्षा को जोड़कर बीजेपी उत्तर से दक्षिण को साधने की बड़ी कोशिश करने जा रही है और इस प्लानिंग को मूर्त रूप देने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी पहुंचने वाले हैं.
प्रोफेसर मालवीय का कहना है कि बीजेपी सबका साथ सबका विकास एक भारत श्रेष्ठ भारत जैसे नारे लेकर आगे चल रही है और अपने एजेंडे को पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है. अन्य राजनीतिक दलों का भी अपना एजेंडा होता है. जैसे कांग्रेस दक्षिण से पदयात्रा कर रही है. आम आदमी पार्टी अपने स्तर पर प्रयास कर रही है, लेकिन बीजेपी सरकार में होते हुए सरकारी विभागों के बल पर सांस्कृतिक राजनैतिक और वहां के रहन-सहन के साथ ही धार्मिक विरासत के बल पर दोनों राज्यों को एक करके बड़ा प्लान तैयार कर रही है.
बीजेपी है मजबूतः साल 2014 में लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा चुनाव उत्तर भारत में बीजेपी काफी मजबूत दिखाई देती है. लेकिन एक बड़ी पार्टी के तौर पर कुछ राज्यों में बीजेपी अभी काफी पीछे रह जा रही है. इसमें तमिलनाडु का हिस्सा महत्वपूर्ण माना जा सकता है. तमिलनाडु में बीजेपी अपने पैर नहीं जमा पा रही है और अपनी बातों को वहां पहुंचा भी नहीं पा रही है.
प्रो. मालवीय का कहना है कि तमिलनाडु एक ऐसा हिस्सा है जहां पर आज भी हिंदी भाषियों का विरोध होता है. इसे लेकर अमित शाह भी भाषा और शिक्षा के जरिए तमिल को हिंदी से जोड़ने का पूरा प्रयास करते रहे हैं. यही वजह कि उन्होंने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में तमिल भाषा को मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसी पढ़ाई में भी तवज्जो देने की बात कही थी. एक अलग लैंग्वेज कोर्स भी बनाने के लिए बोला था.
बीजेपी के लिए योजना महत्वपूर्णः बीजेपी के लिए यह प्लान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दक्षिण भारत में राहुल गांधी के प्रभाव को कम करके आंका नहीं जा सकता. कांग्रेस राहुल गांधी को आगे करके दक्षिण भारत के जरिए लोकसभा चुनावों को मजबूती से लड़ने की तैयारी कर रही है. और वहीं, से पदयात्रा की शुरुआत भी हुई है. इस लिए कांग्रेस के प्लान को समझते हुए बीजेपी ने भी उत्तर से दक्षिण को साधने का प्लान तैयार किया है. और इस प्लान में बनारस बड़ी भूमिका में है.
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण राज्यों में अपनी पैठ मजबूत करने और कांग्रेस को करारा जवाब देने के लिए बनारस मॉडल को सामने रखकर बीजेपी कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक होने की तैयारी कर रही है. राहुल गांधी ने जब भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत दक्षिण भारत से की तो बीजेपी इस बात को लेकर निश्चित तौर पर एक ऐसे प्लान की तैयारी में थी जो उत्तर से शुरू हो और दक्षिण तक उसका प्रभाव समझ में आए.
1 महीने का पूरा प्लान तैयारः भारत जोड़ो यात्रा के लंबे सफर के तर्ज पर बीजेपी ने उत्तर से दक्षिण साधने का 1 महीने का पूरा प्लान तैयार किया है. इस प्लान में ना सिर्फ तमिलनाडु से एक बड़ा बुद्धिजीवी वर्ग बनारस पहुंचेगा, बल्कि वहां के छात्र वहां की संस्कृति सभ्यता और गीत संगीत के साथ वहां से जुड़े तमाम कलाकार और खान-पान से लेकर उद्योग और व्यापार से जुड़े लोग काशी आएंगे, जो एक तरफ जहां सांस्कृतिक धार्मिक विरासत के जरिए उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का काम करेगा. वहीं, व्यापारिक और शैक्षणिक दृष्टि से भी इन दोनों राज्यों की कनेक्टिविटी बढ़ेगी.
इसी मास्टर प्लान के जरिए बीजेपी अपनी बातों को उत्तर से दक्षिण में लोगों तक पहुंचाने की प्लानिंग कर रही है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बीजेपी का तमिल समेत अन्य दक्षिण हिस्से में अपना पैर मजबूती से ना जमा पाना उसे दक्षिण भारत से दूर होकर उत्तर से दक्षिण को जोड़ने की प्लानिंग के तौर पर देखा जा सकता है. अगर बीजेपी का यह प्लान सफल हुआ तो बीजेपी इस बार 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़ा कारनामा कर दिखाएगी. प्रधानमंत्री मोदी समेत बीजेपी का यह मास्टर प्लान निश्चित तौर पर सफल माना जाएगा.
इस बारे में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी पिछले दिनों स्पष्ट कर दिया था कि इस पूरे कार्यक्रम का उद्देश्य ही अपनी बातों को दक्षिण में रहने वाले लोगों तक पहुंचाना है. शैक्षणिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से दोनों राज्यों को एक करना है. बीजेपी ने बनारस से 1 महीने के इस कार्यक्रम के जरिए की है, जो निश्चित तौर पर बीजेपी को एक बड़ा पॉलिटिकल एडवांटेज दे सकता है.
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