कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सोमवार को दावा किया कि अब तक 'जाति और पंथ की राजनीति' करने वाली भाजपा को सीपीएम और कांग्रेस के रूप से में दो दोस्त मिल गए हैं.
टीएमसी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कोलकाता में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि रविवार को ब्रिगेड परेड ग्राउंड में वाम, कांग्रेस और नवनिर्मित इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) की संयुक्त सभा से यह तथ्य स्थापित हो गया कि विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियां भाजपा की तरह बांटने वाली राजनीति कर रही हैं.
बंगाल में सत्ता से बाहर होने के एक दशक बाद वाम दलों ने कांग्रेस और मुस्लिम धर्म गुरु अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएफएस से गठबंधन किया है. गठबंधन ने रविवार को जनसभा के दौरान बंगाल में टीएमसी बनाम भाजपा की राजनीति उभरने के बीच खुद को 'तीसरी वैकल्पिक ताकत' के तौर पर पेश किया.
मुखर्जी ने कहा कि हम हमेशा से जानते थे कि सीपीएम और कांग्रेस जाति व पंथ की राजनीति नहीं करती हैं. ब्रिगेड परेड ग्राउंड की सभा के बाद वह विश्वास बदल गया. सीपीएम और कांग्रेस के रूप में भाजपा को अब दो दोस्त मिल गए हैं.
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टीएमसी नेता ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि चुनाव की तैयारियों को देखने के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में एक चुनाव समिति गठित की गई है. समिति में सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और अभिषेक बनर्जी समेत अन्य सदस्य हैं. इसकी पहली बैठक सोमवार को हुई.
पंचायत मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं, जैसे स्वास्थ साथी, खाद्य साथी और कन्याश्री ने राज्य में लाखों लोगों के जीवन को बेहतर किया है.
बंगाल में 23 लाख नौकरियों का हुआ सृजन
मुखर्जी ने कहा कि पिछले एक साल में, बैंकों ने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को 63,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया है, जिससे लगभग 23 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं. उन्होंने कहा कि टीएमसी सरकार की ओर से शुरू की गई योजनाएं देश में कहीं और नहीं हैं. कोई अन्य राज्य सरकार इतने बड़े स्तर पर लोगों को लाभ नहीं पहुंचा सकी है.