नई दिल्ली : केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के बीच अब तनातनी इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि एक तरफ केंद्र फैसला लेता है तो दूसरी तरफ राज्य सरकार उस फैसले को पलट देती है. दोनों के रुख को देखकर ऐसा लग रहा है यह लड़ाई लंबी चलेगी. इसके चलते भाजपा ने बंगाल चुनाव के बाद हुई बंगाल में हिंसा को लेकर 1 से 3 जून तक टीएमसी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
वर्चुअल माध्यम से 300 से 400 लोगों को जोड़ रही भाजपा
इस दौरान भाजपा कई वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित कर रही है जिसमें बंगाल चुनाव परिणाम के बाद हुई हिंसा और उसमें मारे गए बीजेपी के कार्यकर्ताओं को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन आदि के बारे में बताने के साथ कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना है. हालांकि इन तमाम कार्यक्रमों में एक जगह पर 300 से 400 लोगों वर्चुअल माध्यम से जोड़ा जा रहा है और कोविड-19 के प्रोटोकोल के तहत ही इन कार्यक्रमों को तैयार किया गया है.
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पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के मामले पर जिस तरह केंद्र और बंगाल सरकार के बीच लड़ाई छिड़ी है, उसे देखकर लगता है कि यह लड़ाई अब न सिर्फ राजनीतिक बल्कि प्रशासनिक भी हो चुकी है. क्योंकि इस लड़ाई के बीच ही ममता ने देश के सभी विपक्षी मुख्यमंत्रियों से केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की भी अपील करने के साथ ही यहां तक कह दिया कि जो डरते हैं वह मरते हैं. हालांकि विधानसभा का चुनाव तो ममता जीत चुकी हैं, लेकिन अब उनके रुख से ऐसा लगता है कि वह किसी हालत में भी केंद्र के अत्यधिक हस्तक्षेप को आगे भी स्वीकार नहीं करेंगी.
बंगाल में बीजेपी फिलहाल हार मानने को तैयार नहीं
ममता के अड़ियल रवैए ने कहीं न कहीं केंद्र और सत्ताधारी पार्टी के लिए मुसीबतें खड़ी कर दी हैं, लेकिन चुनाव हार जाने के बाद भी ऐसा लगता है कि बीजेपी फिलहाल हार मानने को तैयार नहीं है. वह एक सशक्त विपक्षी पार्टी के तौर पर पूरे कार्यकाल की कहे या फिर लोकसभा चुनाव तक ही सही, लगातार ममता सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन और विरोध की रणनीति तैयार कर रही है. हालांकि इसे नाम एक सशक्त विपक्ष की भूमिका के रूप में दिया जा रहा है लेकिन कहीं ना कहीं पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम के बाद जो हिंसा हुई है और उसके बाद कुछ नेताओं ने वापस बीजेपी छोड़कर टीएमसी का दामन थामना शुरू किया था यह बातें भी पार्टी को चिंतित कर रही थीं.
बंगाल में हिंसा से अवगत कराने अन्य राज्यों में भी वर्चुअल कार्यक्रम करने की भाजपा की योजना
भाजपा ना सिर्फ पश्चिम बंगाल बल्कि ऐसे कार्यक्रम को बाकी राज्यों में भी आयोजित कर बंगाल में हुई हिंसा के बारे में लोगों को अवगत कराएगी और 3 जून के बाद पश्चिम बंगाल के अलावा बाकी राज्यों में भी वर्चुअल माध्यम के द्वारा पार्टी अन्य राज्यों में भी ऐसे कार्यक्रम कर सोशल मीडिया से जुड़े लोगों और बाकी कार्यकर्ताओं और आम लोगों को सेमिनार आयोजित कर पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा से अवगत कराने की योजना बना रही है.
यास तूफान का ब्योरा लेने पहुंचे पीएम की बैठक में देरी से पहुंचने पर शुरू हुआ विवाद
यह सारा विवाद बीते सप्ताह तब शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यास तूफान से हुए बंगाल में नुकसान का ब्योरा लेने पश्चिम बंगाल पहुंचे थे. इस दौरान हुई बैठक में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्यायऔर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दोनों ही 30 मिनट बाद पहुंचे जिसके बाद केंद्र सरकार और केंद्र सरकार के तमाम मंत्रियों ने ममता बनर्जी पर हमला बोल दिया था.
बाद में केंद्र सरकार ने मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय का ट्रांसफर दिल्ली कर दिया मगर ममता बनर्जी ने उन्हें कार्यमुक्त नही किया और अलपन बंद्योपाध्याय ने अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी जिसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें ममता बनर्जी का मुख्य सलाहकार नियुक्त कर लिया. इसी क्रम में केंद्र सरकार के डीओपीटी विभाग ने अलपन बंद्योपाध्याय को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया. बहरहाल राजनीतिक लड़ाई से शुरू हुआ यह मुद्दा कहीं ना कहीं प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंच चुका है और दोनों ही पार्टियां किसी भी हालत में पीछे हटने को तैयार नहीं है
प्रधानमंत्री भाजपा के नहीं बल्कि पूरे देश के हैं
इस मामले पर पूछे जाने पर ज्यादातर भाजपा के प्रवक्ता कुछ भी टिप्पणी करने से मना कर रहे हैं, लेकिन अपने नाम नही बताने की शर्त पर बंगाल से जुड़े एक राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि ममता बनर्जी लगातार पीएम पद की गरिमा की अवहेलना कर रही हैं जो एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए काफी खतरनाक है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से पश्चिम बंगाल के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री के पद की अवहेलना की गई, प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया, वह संघीय ढांचे के खिलाफ है. क्योंकि वह भाजपा के प्रधानमंत्री नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री हैं और इससे कहीं ना कहीं ना सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेशों में भी एक गलत मैसेज जाता है.
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