नई दिल्ली : आयकर विभाग ने सोमवार को कहा कि कंपनियों से पिछली तिथि से कर मांग को समाप्त करने के लिए कराधान विधि संशोधन विधेयक से निवेशकों में भरोसा जगेगा और भारत के 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को गति मिलेगी.
लोकसभा ने विधेयक को छह अगस्त को पारित किया जबकि राज्यसभा ने सोमवार को विधेयक को मंजूरी दे दी. उच्च सदन से पारित होने के बाद विधेयक को अधिनियम बनने के लिए लोकसभा उसे मंजूरी देगी.
‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ के तहत भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के लिए पिछली तिथि से लागू कर कानून, 2012 का इस्तेमाल करके की गई मांगों को वापस लिया जाएगा. साथ ही इसके तहत जो कर राशि ली गयी है, वह बिना किसी ब्याज के संबंधित कंपनियों को लौटा दी जाएगी.
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उच्च सदन में विधेयक के पारित होने के बाद आयकर विभाग ने ट्विटर पर विधेयक की विशेषताओं और लाभ के बारे में जानकारी दी. विधेयक में उस कर नियम को समाप्त करने का प्रस्ताव है जिसने कर विभाग को 50 साल पुराने उन मामले को खोलने और पूंजी लाभ पर कर लगाने का अधिकार दे दिया था, जहां विदेशों में मालिकाना हक बदला था लेकिन कारोबारी संपत्ति भारत में थी.
आयकर विभाग ने विधेयक के पांच लाभों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे वे कंपनियां भारत में निवेश के लिये प्रेरित होंगी जो इस बारे में निर्णय लेने के करीब हैं. विभाग के अनुसार यह अनावश्यक मुकदमेबाजी को समाप्त करेगा और सरकार के समय और खर्च को बचाएगा. साथ ही इससे एक भरोसेमंद कर व्यवस्था की नीति को बढ़ावा मिलेगा.
आयकर विभाग ने कहा कि यह विधेयक देश के 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को गति प्रदान करेगा. साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी और घरेलू निवेशकों के भरोसे को भी बढ़ाएगा.
(पीटीआई-भाषा)