नई दिल्ली : बिहार लोकसेवा आयोग (BPSC) के पूर्व विशेष सचिव प्रभात कुमार सिन्हा के खिलाफ सृजन घोटाला मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. इस घोटाले में राज्य सरकार का धन कथित तौर पर एक एनजीओ के खातों में भेजा गया था.
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता सिन्हा के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. उच्चतम न्यायालय द्वारा नौ अगस्त को जारी आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता के वकील और मामले में प्रतिवादी भारत सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल को सुनने के बाद, याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत दी जाती है. मुकदमे की सुनवाई पूरी होने तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं जाएगी.
उपरोक्त निर्देश के साथ विशेष अनुमति याचिका का निस्तारण किया जाता है. यह आदेश न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने दिया. सुनवाई के दौरान सिन्हा का पक्ष शोएब आलम और फौजिया शकील ने रखा. उन्होंने कहा कि मामले की जांच के दौरान याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया और अदालत पहले ही इसे संज्ञान में ले चुकी है. उन्होंने कहा कि इसलिए अभी उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत नहीं है. अत: उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए.
आलम ने कहा कि उच्च न्यायालय ने यह मानकर गलती की है कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. सीबीआई और केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि यह आर्थिक अपराध है और इससे राजकोष को नुकसान हुआ है.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने चार दिसंबर को निर्देश दिया था कि बीपीएससी के पूर्व विशेष सचिव सिन्हा के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए. गौरतलब है कि अगस्त 2017 को सीबीआई ने सृजन घोटाले की जांच अपने हाथ में ली. आरोप है कि सरकारी कोष से एक हजार करोड़ रुपये गैर सरकारी संगठन के खाते में भेजे गए.
(पीटीआई-भाषा)