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Bihar Sipahi Bharti Paper Leak: फिर फजीहत.. क्या शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने के लिए मौजूदा कानूनी प्रावधान पर्याप्त नहीं?

एक बार फिर बिहार में पेपर लीक हुआ है. जिस वजह से सिपाही भर्ती परीक्षा को रद्द कर दिया गया है. इससे पहले बीपीएससी 67वीं की प्रीलिम्स परीक्षा, बीएसएससी सीजीएल 3 की परीक्षा, अमीन और फूड कॉरपोरेशन एग्जाम समेत कई परीक्षा इन्हीं वजहों से रद्द करना पड़ा. सवाल है कि क्यों बार-बार बिहार में ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है. क्यों नहीं इस पर पूरी तरह से रोक लग पाती है? आखिर क्यों नहीं इसके लिए कड़े कानून बनाए जाते हैं? पढ़े स्पेशल रिपोर्ट..

बिहार में पेपर लीक
बिहार में पेपर लीक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 4, 2023, 8:11 PM IST

देखें रिपोर्ट

पटना: बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते दिनों अमीन बहाली परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक हुआ था. अभी इस पर कानूनी कार्रवाई चल ही रही थी कि इसी बीच 1 अक्टूबर को आयोजित बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक हो गया. इसकी पुष्टि हुई और सीएसबीसी को यह परीक्षा रद्द करनी पड़ी. इसके साथ ही 7 अक्टूबर और 15 अक्टूबर को होने वाली लिखित परीक्षा को भी अगले आदेश के लिए स्थगित कर दिया गया है. ऐसे में अब बिहार में आए दिन भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के कारण गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी विधानसभा से शिक्षा माफियाओं के लिए कठोर कानून बनाने की मांग तेज हो गई है. विपक्ष के साथ-साथ शिक्षा विद् भी मानते हैं कि कड़े कानून की जरूरत है. हालांकि सत्ता पक्ष का कहना है कि कानून में मौजूद प्रावधान के तहत हर मामले में सख्ती से कार्रवाई हो रही है.

ये भी पढ़ें: Sipahi Bharti Paper Leak:'सिपाही भर्ती परीक्षा में जो कुछ हुआ, वह सरकार की सोची समझी रणनीति'- विजय सिन्हा

पेपर लीक पर क्या बोले शिक्षा विद्?: बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले शिक्षा विद गुरु रहमान के मुताबिक सिपाही की भर्ती परीक्षा में अमीरों के बच्चे नहीं, बल्कि गरीब और मजदूरों के बच्चे परीक्षा देने बैठते हैं. ऐसे में जब परीक्षा का क्वेश्चन पेपर लीक हो जाता है तो गरीब मासूम बच्चों के मन में बहुत पीड़ा उत्पन्न होती है और उनका सिस्टम से भरोसा उठता है. बिहार में अब तक जितने भी पेपर लीक मामले में कार्रवाई हुई है, उसमें सिर्फ छोटी मछली पकड़े गए हैं और बड़ा मगरमच्छ अभी भी पकड़ में नहीं आया है.

"हर बार पेपर लीक मामले में छोटे-मोटे सॉल्वर पकड़े जाते हैं लेकिन बड़ा माफिया पकड़ से बाहर रहता है. मेरी राज्य सरकार से मांग है कि गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने के लिए कोई कठोर कानून विधानसभा से पास करें, ताकि कोई भी शिक्षा माफिया मासूम मेधावी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की सोच ना सके"- गुरु रहमान, शिक्षा विद

'शिक्षा माफियाओं को 10 साल की सजा हो': वहीं, छात्रों और युवाओं के हर मुद्दे पर प्रमुखता से आवाज उठाने वाले छात्र एकता मंच के अध्यक्ष और छात्र नेता दिलीप ने कहा कि आए दिन बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं के क्वेश्चन पेपर लीक हो रहे हैं. कुछ की परीक्षाएं रद्द हो रही है तो कुछ पर अभी भी जांच चल रही है. इससे बेरोजगार नौजवानों का आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है. सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और कड़े कानून बनाने चाहिए.

"मेरी सरकार से मांग है कि शिक्षा माफियाओं पर नकल करने के लिए कठोर कानून बनाएं. जिसमें शिक्षा माफियाओं को न्यूनतम 10 साल की सजा हो. यदि कोई सरकारी कर्मचारी और अधिकारी इसमें संलिप्त पाए जाते हैं तो उन्हें अभिलंब सेवा से बर्खास्त कर उनकी संपत्ति अटैच की जाए. अभी के समय जो शिक्षा माफिया हैं, वह पकड़े जाते हैं और 6 से 7 महीने जेल में रहकर छूट जाते हैं. फिर दोबारा इस काम में संलिप्त हो जाते हैं"- दिलीप कुमार, अध्यक्ष, छात्र एकता मंच

कब-कब हुई बिहार में परीक्षा रद्द?: इससे पहले 8 मई 2022 को बीपीएससी 67वीं की प्रीलिम्स परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी. दोबारा परीक्षा आयोजित. इसमें कई प्रशासनिक अधिकारी भी संलिप्त पाए गए थे, जिन पर कानूनी कार्रवाई हुई थी. वहीं, 23 दिसंबर 2022 को बीएसएससी सीजीएल 3 की परीक्षा में प्रश्न पत्र वायरल होने के बाद परीक्षा रद्द करते हुए दोबारा से परीक्षा आयोजित हुई थी. इस मामले में कई लोग पकड़े भी गए. 23 मार्च 2023 को बीसीईसीई ने फूड कॉरपोरेशन की परीक्षा आयोजित की थी. परीक्षा के दौरान पटना के एक ऑनलाइन परीक्षा केंद्र पर क्वेश्चन लीक हुआ था. अमीन के लिए अगस्त के महीने में आयोजित परीक्षा के दौरान पटना के एक परीक्षा केंद्र से क्वेश्चन पेपर लीक हो गया था. इसके अलावे 4 सितंबर से 15 सितंबर के बीच बीएसईबी ने STET परीक्षा का आयोजन किया. शुरुआत के समय में ही मुजफ्फरपुर के कुछ परीक्षा केंद्रों पर धांधली के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी.

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बिहार में पेपर लीक करने पर सजा?: बिहार में किसी भी परीक्षा के दौरान पेपर लीक करने पर सख्त सजा का प्रावधान है. बिहार लोक सेवा आयोग की 67वीं प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक मामले में कई धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए थे. आईपीसी की धारा 420/467/468/120(b) और आईटी एक्ट की धारा 66 और बिहार परीक्षा नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 3/10 के तहत भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

झारखंड में पेपर लीक करने पर क्या सजा?: पेपर लीक को रोकने के लिए हालिया दिनों में झारखंड सरकार ने कड़े कानून बनाए हैं. जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति पेपर लीक करने का दोषी पाया जाता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है. इसके साथ ही 2 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. जुर्माना नहीं भरने पर 3 साल अतिरिक्त सजा मिलेगी. इसके अलावे नकल करने पर भी सजा का प्रावधान है.

उत्तर प्रदेश में एनएसए का प्रावधान: पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां पेपर लीक करने को संगठित अपराध की श्रेणी में रखा गया है. ऐसे मामले में एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज हो सकती है. दोषी पाए जाने पर संपत्ति भी जब्त हो जाती है. वहीं बुलडोजर से मकान भी ध्वस्त कर दिए जाते हैं. इसके अलावे दोषी के परीक्षा देने पर रोक लगा दी जाती है.

गुजरात में पेपर लीक करने पर 10 साल की कैद: पेपर लीक के मामले में गुजरात में सख्त सजा का प्रावधान है. वहां दोषी पाए जाने पर 3 से 10 साल की सजा हो सकती है. साथ ही एक लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक जुर्माना वसूला जाता है. वहीं पेपर खरीदने वाले को भी 2 से 10 साल की कैद हो सकती है.

गुजरात की तर्ज पर कानून बनना चाहिए: मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी कड़े पेपर लीक करने वालों के खिलाफ कड़े कानून की मांग की है. प्रवक्ता योगेंद्र पासवान का कहना है कि बिहार सरकार की अक्षमता है कि वह एक प्रतियोगी परीक्षा भी सही से संपन्न नहीं कर पा रही है. बिहार सरकार में शिक्षा माफिया फल फूल रहे हैं. शिक्षा माफियाओं पर कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता है और वह चाहेंगे कि गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने के लिए कड़ा कानून बनाया जाए.

"बिहार सरकारी परीक्षा सुनिश्चित कराने में फेल साबित हुई है. पेपर लीक में जो भी लोग शामिल हैं, उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. परीक्षा का आयोजन कराने वाली संस्था को भी जिम्मेदारी लेनी होगी. गुजरात की तरह कड़े कानून बनाना चाहिए, क्योंकि इस प्रकार के पेपर लीक से मेधावी छात्रों का मनोबल टूटता है"- योगेंद्र पासवान, प्रवक्ता, बीजेपी

'पेपर लीक को रोकने के लिए बिहार में पर्याप्त कानून': हालांकि सरकार में शामिल आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में पहले से पर्याप्त कानून है. जिसके तहत शिक्षा माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है. बीते दिनों बीपीएससी परीक्षा के पेपर लीक में कुछ बड़े अधिकारी भी संलिप्त पाए गए थे, जोकि अभी जेल में हैं. यह सरकार न किसी को फंसाती है ना किसी को बचाती है. बिहार में कानून का राज है. यही वजह है कि जैसे ही पता चला कि पेपर लीक हुआ तो मेधावी छात्रों का भविष्य बर्बाद ना हो और जालसाज सिपाही ना बन जाए, इसके लिए फौरन परीक्षा को रद्द कर दिया गया. आशंका को देखते हुए 7 और 15 अक्टूबर को आयोजित होने वाली परीक्षा को भी फिलहाल स्थगित कर दिया गया है.

"कानून के हिसाब से कार्रवाई हो रही है. एक्शन में सरकार है और एक्शन दिख भी रहा है. इसी का असर है कि पिछली बार बीपीएससी की परीक्षा स्वच्छ माहौल में हुई. पेपर लीक मामलों में दोषियों को जेल भेजकर सजा दिलाई जा रही है"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी

ये भी पढ़ें: Bihar Constable Recruitment Exam का पर्चा नहीं हुआ लीक, एसके सिंघल बोले- 'बरामद आंसर Key से पेपर मैच नहीं'

देखें रिपोर्ट

पटना: बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते दिनों अमीन बहाली परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक हुआ था. अभी इस पर कानूनी कार्रवाई चल ही रही थी कि इसी बीच 1 अक्टूबर को आयोजित बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक हो गया. इसकी पुष्टि हुई और सीएसबीसी को यह परीक्षा रद्द करनी पड़ी. इसके साथ ही 7 अक्टूबर और 15 अक्टूबर को होने वाली लिखित परीक्षा को भी अगले आदेश के लिए स्थगित कर दिया गया है. ऐसे में अब बिहार में आए दिन भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के कारण गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी विधानसभा से शिक्षा माफियाओं के लिए कठोर कानून बनाने की मांग तेज हो गई है. विपक्ष के साथ-साथ शिक्षा विद् भी मानते हैं कि कड़े कानून की जरूरत है. हालांकि सत्ता पक्ष का कहना है कि कानून में मौजूद प्रावधान के तहत हर मामले में सख्ती से कार्रवाई हो रही है.

ये भी पढ़ें: Sipahi Bharti Paper Leak:'सिपाही भर्ती परीक्षा में जो कुछ हुआ, वह सरकार की सोची समझी रणनीति'- विजय सिन्हा

पेपर लीक पर क्या बोले शिक्षा विद्?: बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले शिक्षा विद गुरु रहमान के मुताबिक सिपाही की भर्ती परीक्षा में अमीरों के बच्चे नहीं, बल्कि गरीब और मजदूरों के बच्चे परीक्षा देने बैठते हैं. ऐसे में जब परीक्षा का क्वेश्चन पेपर लीक हो जाता है तो गरीब मासूम बच्चों के मन में बहुत पीड़ा उत्पन्न होती है और उनका सिस्टम से भरोसा उठता है. बिहार में अब तक जितने भी पेपर लीक मामले में कार्रवाई हुई है, उसमें सिर्फ छोटी मछली पकड़े गए हैं और बड़ा मगरमच्छ अभी भी पकड़ में नहीं आया है.

"हर बार पेपर लीक मामले में छोटे-मोटे सॉल्वर पकड़े जाते हैं लेकिन बड़ा माफिया पकड़ से बाहर रहता है. मेरी राज्य सरकार से मांग है कि गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने के लिए कोई कठोर कानून विधानसभा से पास करें, ताकि कोई भी शिक्षा माफिया मासूम मेधावी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की सोच ना सके"- गुरु रहमान, शिक्षा विद

'शिक्षा माफियाओं को 10 साल की सजा हो': वहीं, छात्रों और युवाओं के हर मुद्दे पर प्रमुखता से आवाज उठाने वाले छात्र एकता मंच के अध्यक्ष और छात्र नेता दिलीप ने कहा कि आए दिन बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं के क्वेश्चन पेपर लीक हो रहे हैं. कुछ की परीक्षाएं रद्द हो रही है तो कुछ पर अभी भी जांच चल रही है. इससे बेरोजगार नौजवानों का आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है. सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और कड़े कानून बनाने चाहिए.

"मेरी सरकार से मांग है कि शिक्षा माफियाओं पर नकल करने के लिए कठोर कानून बनाएं. जिसमें शिक्षा माफियाओं को न्यूनतम 10 साल की सजा हो. यदि कोई सरकारी कर्मचारी और अधिकारी इसमें संलिप्त पाए जाते हैं तो उन्हें अभिलंब सेवा से बर्खास्त कर उनकी संपत्ति अटैच की जाए. अभी के समय जो शिक्षा माफिया हैं, वह पकड़े जाते हैं और 6 से 7 महीने जेल में रहकर छूट जाते हैं. फिर दोबारा इस काम में संलिप्त हो जाते हैं"- दिलीप कुमार, अध्यक्ष, छात्र एकता मंच

कब-कब हुई बिहार में परीक्षा रद्द?: इससे पहले 8 मई 2022 को बीपीएससी 67वीं की प्रीलिम्स परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी. दोबारा परीक्षा आयोजित. इसमें कई प्रशासनिक अधिकारी भी संलिप्त पाए गए थे, जिन पर कानूनी कार्रवाई हुई थी. वहीं, 23 दिसंबर 2022 को बीएसएससी सीजीएल 3 की परीक्षा में प्रश्न पत्र वायरल होने के बाद परीक्षा रद्द करते हुए दोबारा से परीक्षा आयोजित हुई थी. इस मामले में कई लोग पकड़े भी गए. 23 मार्च 2023 को बीसीईसीई ने फूड कॉरपोरेशन की परीक्षा आयोजित की थी. परीक्षा के दौरान पटना के एक ऑनलाइन परीक्षा केंद्र पर क्वेश्चन लीक हुआ था. अमीन के लिए अगस्त के महीने में आयोजित परीक्षा के दौरान पटना के एक परीक्षा केंद्र से क्वेश्चन पेपर लीक हो गया था. इसके अलावे 4 सितंबर से 15 सितंबर के बीच बीएसईबी ने STET परीक्षा का आयोजन किया. शुरुआत के समय में ही मुजफ्फरपुर के कुछ परीक्षा केंद्रों पर धांधली के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी.

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बिहार में पेपर लीक करने पर सजा?: बिहार में किसी भी परीक्षा के दौरान पेपर लीक करने पर सख्त सजा का प्रावधान है. बिहार लोक सेवा आयोग की 67वीं प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक मामले में कई धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए थे. आईपीसी की धारा 420/467/468/120(b) और आईटी एक्ट की धारा 66 और बिहार परीक्षा नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 3/10 के तहत भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

झारखंड में पेपर लीक करने पर क्या सजा?: पेपर लीक को रोकने के लिए हालिया दिनों में झारखंड सरकार ने कड़े कानून बनाए हैं. जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति पेपर लीक करने का दोषी पाया जाता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है. इसके साथ ही 2 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. जुर्माना नहीं भरने पर 3 साल अतिरिक्त सजा मिलेगी. इसके अलावे नकल करने पर भी सजा का प्रावधान है.

उत्तर प्रदेश में एनएसए का प्रावधान: पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां पेपर लीक करने को संगठित अपराध की श्रेणी में रखा गया है. ऐसे मामले में एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज हो सकती है. दोषी पाए जाने पर संपत्ति भी जब्त हो जाती है. वहीं बुलडोजर से मकान भी ध्वस्त कर दिए जाते हैं. इसके अलावे दोषी के परीक्षा देने पर रोक लगा दी जाती है.

गुजरात में पेपर लीक करने पर 10 साल की कैद: पेपर लीक के मामले में गुजरात में सख्त सजा का प्रावधान है. वहां दोषी पाए जाने पर 3 से 10 साल की सजा हो सकती है. साथ ही एक लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक जुर्माना वसूला जाता है. वहीं पेपर खरीदने वाले को भी 2 से 10 साल की कैद हो सकती है.

गुजरात की तर्ज पर कानून बनना चाहिए: मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी कड़े पेपर लीक करने वालों के खिलाफ कड़े कानून की मांग की है. प्रवक्ता योगेंद्र पासवान का कहना है कि बिहार सरकार की अक्षमता है कि वह एक प्रतियोगी परीक्षा भी सही से संपन्न नहीं कर पा रही है. बिहार सरकार में शिक्षा माफिया फल फूल रहे हैं. शिक्षा माफियाओं पर कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता है और वह चाहेंगे कि गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने के लिए कड़ा कानून बनाया जाए.

"बिहार सरकारी परीक्षा सुनिश्चित कराने में फेल साबित हुई है. पेपर लीक में जो भी लोग शामिल हैं, उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. परीक्षा का आयोजन कराने वाली संस्था को भी जिम्मेदारी लेनी होगी. गुजरात की तरह कड़े कानून बनाना चाहिए, क्योंकि इस प्रकार के पेपर लीक से मेधावी छात्रों का मनोबल टूटता है"- योगेंद्र पासवान, प्रवक्ता, बीजेपी

'पेपर लीक को रोकने के लिए बिहार में पर्याप्त कानून': हालांकि सरकार में शामिल आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में पहले से पर्याप्त कानून है. जिसके तहत शिक्षा माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है. बीते दिनों बीपीएससी परीक्षा के पेपर लीक में कुछ बड़े अधिकारी भी संलिप्त पाए गए थे, जोकि अभी जेल में हैं. यह सरकार न किसी को फंसाती है ना किसी को बचाती है. बिहार में कानून का राज है. यही वजह है कि जैसे ही पता चला कि पेपर लीक हुआ तो मेधावी छात्रों का भविष्य बर्बाद ना हो और जालसाज सिपाही ना बन जाए, इसके लिए फौरन परीक्षा को रद्द कर दिया गया. आशंका को देखते हुए 7 और 15 अक्टूबर को आयोजित होने वाली परीक्षा को भी फिलहाल स्थगित कर दिया गया है.

"कानून के हिसाब से कार्रवाई हो रही है. एक्शन में सरकार है और एक्शन दिख भी रहा है. इसी का असर है कि पिछली बार बीपीएससी की परीक्षा स्वच्छ माहौल में हुई. पेपर लीक मामलों में दोषियों को जेल भेजकर सजा दिलाई जा रही है"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी

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