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संयोजक बनाने पर मान जाएंगे नीतीश? कुछ घंटे में पिक्चर हो जाएगा साफ, जानें अंदरखाने क्या चल रहा - मल्लिकार्जुन खड़गे

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं. अब तक इंडिया गठबंधन की चार बैठकें हो चुकीं हैं लेकिन संयोजक बनाने पर अब तक फैसला नहीं हुआ है. किसी भी बैठक में नीतीश कुमार के नाम पर चर्चा तक नहीं हुई. हाल ही में बदली परिस्थितियों में नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने की चर्चा शुरू है.

सूत्रधार बनेगा संयोजक?
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 2, 2024, 8:25 PM IST

देखें रिपोर्ट.

पटना : इंडिया गठबंधन की बैठक सबसे पहले पटना में नीतीश कुमार की पहल पर हुई थी. उस समय तो गठबंधन का नाम भी तय नहीं हुआ था. नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एक मंच पर इकट्ठा किया था. लेकिन संयोजक के नाम पर उस बैठक में कोई फैसला नहीं हो पाया. यहां तक कि नीतीश कुमार के नाम पर चर्चा भी नहीं हुई. जबकि कयास लगातार लगाया जा रहे थे कि नीतीश कुमार को संयोजक बना दिया जाएगा.

ईटीवी भारत GFX.
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'सूत्रधार बनेगा संयोजक' : दूसरी बैठक बेंगलुरु में हुई और तीसरी बैठक इंडिया गठबंधन की मुंबई में हुई. अभी हाल ही में दिल्ली में चौथी बैठक हुई है, इन बैठकों में भी नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. ममता बनर्जी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे जरूर किया गया है, जिस पर कोई भी फैसला नहीं हो पाया. अब कांग्रेस से ही नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने की चर्चा हो रही है.


नीतीश के कमान संभालते ही बदला परिदृश्य : राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती इसका बड़ा कारण यह बताते हैं कि अभी हाल ही में नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाली है. ललन सिंह को जिस प्रकार से इस्तीफा देना पड़ा है, उसके बाद कई तरह के कयास लग रहे हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए में पलटी मार लेंगे. कयास के रूप में इसी को वजह समझा जा रहा है. लेकिन संयोजक बनाए जाने पर अभी तक कुछ साफ तस्वीर सामने नहीं आई है.


राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि ''अभी तक आधिकारिक रूप से नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने की कोई घोषणा नहीं हुई है. कांग्रेस खेमे से कुछ लोगों के कहने का क्या औचित्य है यह स्पष्ट नहीं है. दूसरी तरफ बीजेपी के साथ नेगोशिएशन को लेकर भी जो चर्चा हो रही है, वह भी स्पष्ट नहीं है. जो भी होना होगा 14 जनवरी के बाद ही होगा. जहां तक इंडिया गठबंधन की बात है तो केवल कांग्रेस के फैसले से तय हो जाएगा, यह भी संभव नहीं है. अन्य घटक दल नीतीश कुमार के संयोजक के नाम पर सहमति देंगे इसकी संभावना कम है.''

अब नीतीश के नाम की सुगबुगाहट : जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने के किसी प्रस्ताव से अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं. मंत्री संजय झा ने भी कहा कि मुझे कोई जानकारी नहीं है. लेकिन मंत्री जाम खान ने कहा कि ''नीतीश कुमार के संयोजक को लेकर जो लोग बोल रहे हैं, समझदार लोग हैं. नीतीश कुमार क्यों नहीं बन सकते हैं बनेंगे तो काम भी करेंगे.'' वहीं आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि ''नीतीश कुमार सबसे एक्सपीरियंस मुख्यमंत्री हैं. एक बिहारी होने के नाते संयोजक क्या उससे ऊपर का भी पद उन्हें मिले, हम लोग चाहेंगे. लेकिन जो भी फैसला होगा इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच ही होगा.''

''नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री किसी का भी सामना करने में सक्षम है. विपक्षी गठबंधन में जल्द से जल्द सीटों का बंटवारा हो जाना चाहिए था. जितनी देरी होगी, उतना नुकसान होगा.'' - विजय चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

बीजेपी पर सॉफ्ट कॉर्नर मोड में जेडीयू : नीतीश कुमार की नजदीकी भाजपा की तरफ बढ़ रही है. इसका बड़ा उदाहरण जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो प्रस्ताव पास हुए उसमें बीजेपी के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया है. नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में भी बीजेपी और प्रधानमंत्री के खिलाफ कुछ नहीं कहा. यही नहीं विशेष राज्य के दर्जे की मांग तक की चर्चा नहीं की. एक तरह से जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी में ही नीतीश कुमार के सुर बदल गए हैं. ललन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा है. ललन सिंह के इस्तीफा के बाद नीतीश कुमार की कोर टीम में कोई भी ऐसा नहीं है जो बीजेपी विरोधी हो.

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह लगातार हमलावर हैं, उन्होंने कहा, "लालू यादव का ये मकड़जाल है. वह नीतीश कुमार को जाल में फंसाकर रखना चाहते हैं, उनका पहला प्रयोग है कि वह किसी ढंग से नीतीश कुमार को संयोजक बना दें ताकि वो हमारे गठबंधन में रहें और अपने बेटे को मुख्यमंत्री बना दें...तब तक वो तैयारी करेंगे कि कैसे नीतीश कुमार की पार्टी को तोड़ कर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाए"

ललन और बिजेन्द्र से नाराज हैं सीएम? : ललन सिंह और मंत्री बिजेंद्र यादव ने 2017 में उस वक्त भी विरोध किया था जब नीतीश कुमार पाला बदले थे. बिजेंद्र यादव की चर्चा जिस प्रकार से पिछले दिनों हुई है, उससे भी नीतीश कुमार खासे नाराज हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान नीतीश ने जिस प्रकार से संभाली है, कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. इंडिया गठबंधन के खेमे में भी यह मैसेज जा रहा है. संभव है यह मैसेज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के माध्यम से जा रहा होगा.

क्या लालू का दबाव काम कर रहा? : लालू प्रसाद यादव की तरफ से भी यह दबाव होगा कि नीतीश कुमार को संयोजक बना दिया जाए. क्योंकि, नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने के बाद बिहार में तेजस्वी के लिए कुछ रास्ता बन सकता है. हालांकि संयोजक को लेकर चर्चा जरूर हो रही है. लेकिन आधिकारिक रूप से अभी तक प्रस्ताव नहीं आया है. नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने की चर्चा उस समय शुरू हुई, जब जदयू में बड़े बदलाव किए गए हैं.

3 जनवरी को इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक : इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक भी होने जा रही है. अभी हाल ही में कांग्रेस ने सीट शेयरिंग को लेकर कमेटी बनाई थी, उसकी भी रिपोर्ट कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्राप्त होने वाली है. इन हालात में अब देखना है कि कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेताओं की कोई पहल होती है या नहीं? इंडिया गठबंधन के घटक दलों की उस पर सहमति बनती है या फिर संयोजक बनाए जाने का कोई प्रस्ताव भेजा जाता है? या फिर ये सबकुछ होने से पहले ही नीतीश कुमार कुछ फैसला लेते हैं.

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पटना : इंडिया गठबंधन की बैठक सबसे पहले पटना में नीतीश कुमार की पहल पर हुई थी. उस समय तो गठबंधन का नाम भी तय नहीं हुआ था. नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एक मंच पर इकट्ठा किया था. लेकिन संयोजक के नाम पर उस बैठक में कोई फैसला नहीं हो पाया. यहां तक कि नीतीश कुमार के नाम पर चर्चा भी नहीं हुई. जबकि कयास लगातार लगाया जा रहे थे कि नीतीश कुमार को संयोजक बना दिया जाएगा.

ईटीवी भारत GFX.
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'सूत्रधार बनेगा संयोजक' : दूसरी बैठक बेंगलुरु में हुई और तीसरी बैठक इंडिया गठबंधन की मुंबई में हुई. अभी हाल ही में दिल्ली में चौथी बैठक हुई है, इन बैठकों में भी नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. ममता बनर्जी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम आगे जरूर किया गया है, जिस पर कोई भी फैसला नहीं हो पाया. अब कांग्रेस से ही नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने की चर्चा हो रही है.


नीतीश के कमान संभालते ही बदला परिदृश्य : राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती इसका बड़ा कारण यह बताते हैं कि अभी हाल ही में नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाली है. ललन सिंह को जिस प्रकार से इस्तीफा देना पड़ा है, उसके बाद कई तरह के कयास लग रहे हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए में पलटी मार लेंगे. कयास के रूप में इसी को वजह समझा जा रहा है. लेकिन संयोजक बनाए जाने पर अभी तक कुछ साफ तस्वीर सामने नहीं आई है.


राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि ''अभी तक आधिकारिक रूप से नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने की कोई घोषणा नहीं हुई है. कांग्रेस खेमे से कुछ लोगों के कहने का क्या औचित्य है यह स्पष्ट नहीं है. दूसरी तरफ बीजेपी के साथ नेगोशिएशन को लेकर भी जो चर्चा हो रही है, वह भी स्पष्ट नहीं है. जो भी होना होगा 14 जनवरी के बाद ही होगा. जहां तक इंडिया गठबंधन की बात है तो केवल कांग्रेस के फैसले से तय हो जाएगा, यह भी संभव नहीं है. अन्य घटक दल नीतीश कुमार के संयोजक के नाम पर सहमति देंगे इसकी संभावना कम है.''

अब नीतीश के नाम की सुगबुगाहट : जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने के किसी प्रस्ताव से अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं. मंत्री संजय झा ने भी कहा कि मुझे कोई जानकारी नहीं है. लेकिन मंत्री जाम खान ने कहा कि ''नीतीश कुमार के संयोजक को लेकर जो लोग बोल रहे हैं, समझदार लोग हैं. नीतीश कुमार क्यों नहीं बन सकते हैं बनेंगे तो काम भी करेंगे.'' वहीं आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि ''नीतीश कुमार सबसे एक्सपीरियंस मुख्यमंत्री हैं. एक बिहारी होने के नाते संयोजक क्या उससे ऊपर का भी पद उन्हें मिले, हम लोग चाहेंगे. लेकिन जो भी फैसला होगा इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच ही होगा.''

''नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री किसी का भी सामना करने में सक्षम है. विपक्षी गठबंधन में जल्द से जल्द सीटों का बंटवारा हो जाना चाहिए था. जितनी देरी होगी, उतना नुकसान होगा.'' - विजय चौधरी, मंत्री, बिहार सरकार

बीजेपी पर सॉफ्ट कॉर्नर मोड में जेडीयू : नीतीश कुमार की नजदीकी भाजपा की तरफ बढ़ रही है. इसका बड़ा उदाहरण जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो प्रस्ताव पास हुए उसमें बीजेपी के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया है. नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में भी बीजेपी और प्रधानमंत्री के खिलाफ कुछ नहीं कहा. यही नहीं विशेष राज्य के दर्जे की मांग तक की चर्चा नहीं की. एक तरह से जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी में ही नीतीश कुमार के सुर बदल गए हैं. ललन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा है. ललन सिंह के इस्तीफा के बाद नीतीश कुमार की कोर टीम में कोई भी ऐसा नहीं है जो बीजेपी विरोधी हो.

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह लगातार हमलावर हैं, उन्होंने कहा, "लालू यादव का ये मकड़जाल है. वह नीतीश कुमार को जाल में फंसाकर रखना चाहते हैं, उनका पहला प्रयोग है कि वह किसी ढंग से नीतीश कुमार को संयोजक बना दें ताकि वो हमारे गठबंधन में रहें और अपने बेटे को मुख्यमंत्री बना दें...तब तक वो तैयारी करेंगे कि कैसे नीतीश कुमार की पार्टी को तोड़ कर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाए"

ललन और बिजेन्द्र से नाराज हैं सीएम? : ललन सिंह और मंत्री बिजेंद्र यादव ने 2017 में उस वक्त भी विरोध किया था जब नीतीश कुमार पाला बदले थे. बिजेंद्र यादव की चर्चा जिस प्रकार से पिछले दिनों हुई है, उससे भी नीतीश कुमार खासे नाराज हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान नीतीश ने जिस प्रकार से संभाली है, कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. इंडिया गठबंधन के खेमे में भी यह मैसेज जा रहा है. संभव है यह मैसेज राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के माध्यम से जा रहा होगा.

क्या लालू का दबाव काम कर रहा? : लालू प्रसाद यादव की तरफ से भी यह दबाव होगा कि नीतीश कुमार को संयोजक बना दिया जाए. क्योंकि, नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने के बाद बिहार में तेजस्वी के लिए कुछ रास्ता बन सकता है. हालांकि संयोजक को लेकर चर्चा जरूर हो रही है. लेकिन आधिकारिक रूप से अभी तक प्रस्ताव नहीं आया है. नीतीश कुमार के संयोजक बनाए जाने की चर्चा उस समय शुरू हुई, जब जदयू में बड़े बदलाव किए गए हैं.

3 जनवरी को इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक : इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक भी होने जा रही है. अभी हाल ही में कांग्रेस ने सीट शेयरिंग को लेकर कमेटी बनाई थी, उसकी भी रिपोर्ट कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्राप्त होने वाली है. इन हालात में अब देखना है कि कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेताओं की कोई पहल होती है या नहीं? इंडिया गठबंधन के घटक दलों की उस पर सहमति बनती है या फिर संयोजक बनाए जाने का कोई प्रस्ताव भेजा जाता है? या फिर ये सबकुछ होने से पहले ही नीतीश कुमार कुछ फैसला लेते हैं.

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