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बिहार: जम्मू कश्मीर के हालात से अपनों के लिए चिंतित पड़घड़ी के लोग - जम्मू कश्मीर के हालात

जम्मू और कश्मीर में आतंकियों के हाथों बिहार के अरविंद कुमार साह की हत्या के बाद से बांका जिले के पड़घड़ी के लोग अपने परिजनों के लिए चिंतित हैं. यहां के लोग अपने घर के सदस्यों को जल्द घर लौटने को कह रहे हैं.

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Published : Oct 18, 2021, 12:21 PM IST

बांका : जम्मू और कश्मीर में अब बिहार के लोग आतंकियों के निशाने पर हैं. हाल ही में, श्रीनगर में ईदगाह के पास ठेला लगाकर 10 सालों से गोलगप्पा बेचने वाले अरविंद कुमार साह की आतंकवादियों ने हत्या (Arvind Kumar Sah killed by Terrorists) कर दी. अरविंद बांका जिले का निवासी था. इस वारदात के बाद वहां रह रहे बिहार के अन्य लोगों में दहशत है.

उल्लेखनीय है कि बिहार के बांका जिले का जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) से पुराना नाता है. तकरीबन 20 वर्षों से पड़घड़ी के तकरीबन 200 लोग जम्मू और कश्मीर में रोजी-रोटी के लिए रहते हैं. अरविंद की हत्या के बाद वहां रह रहे लोग भय के कारण अपने आप को घरों में बंद कर लिया है. ज्यादातर लोग घर वापसी की जुगत में हैं और कुछ लोगों ने घर वापसी के लिए ट्रेन भी पकड़ ली है.

जम्मू के हालातों से पड़घड़ी के लोग चिंतित

कश्मीर में पड़घड़ी गांव के महेंद्र प्रसाद ने बताया कि उनके परिवार के सात सदस्य जम्मू कश्मीर में रहते हैं. सभी हलवाई से लेकर खोमचा लगाने का काम करते हैं. अरविंद की हत्या के बाद से कश्मीर में रहने वाले अन्य परिवारों से बात हुई है. वहां सभी दहशत में है. हम लोगों ने सभी को घर आने के लिए कहा है. वहां के हालात अभी ठीक नहीं है, इसलिए वहां रहना किसी भी कीमत पर उचित नहीं है.

पढ़ें : जम्मू-कश्मीर : बिहार के दो मजदूर टारगेट किलिंग के शिकार, आतंकियों ने की हत्या

वहीं, घनश्याम साह ने बताया कि उनका बेटा, बहू और उनके बच्चे सभी कश्मीर के पुलवामा में रहते हैं. पिछले कई वर्षों से वहीं नौकरी कर रहे हैं, लेकिन हालात ऐसे बन पड़े हैं कि घर से निकलना मुश्किल हो गया है. हमारी सरकार से मांग है कि सभी को सकुशल घर भेजने की व्यवस्था करें. उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं है. इससे उनको परेशानी हो रही है.

पड़घड़ी गांव के नीरज कुमार साह ने बताया कि उनके परिवार के 12 सदस्य जम्मू और कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में रहकर रोजगार करते हैं. जहां कुछ लोग ठेला लगाने का काम करते हैं और कुछ हलवाई का काम करते हैं. लेकिन जिस तरह से आधार कार्ड देखकर नॉन कश्मीरी अरविंद की हत्या के बाद सभी डर गए हैं. हमारे लोगों में दहशत का माहौल है. सभी लोग वहां से निकलने की तैयारी में हैं. हमारे गांव के 15 से 20 लोग घर वापसी के लिए ट्रेन भी पकड़ लिये हैं.

समाजसेवी ओम प्रकाश यादव ने मृतक के परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि जिस प्रकार से जम्मू-कश्मीर में आधार कार्ड देखकर लोगों की हत्या की जा रही है, यह बहुत ही गंभीर मसला है. जम्मू और कश्मीर की सरकार और केंद्र सरकार की विधि व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहा है. सरकार मृतक के परिजनों को 40 लाख का अविलंब मुआवजा दे और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे.

बांका : जम्मू और कश्मीर में अब बिहार के लोग आतंकियों के निशाने पर हैं. हाल ही में, श्रीनगर में ईदगाह के पास ठेला लगाकर 10 सालों से गोलगप्पा बेचने वाले अरविंद कुमार साह की आतंकवादियों ने हत्या (Arvind Kumar Sah killed by Terrorists) कर दी. अरविंद बांका जिले का निवासी था. इस वारदात के बाद वहां रह रहे बिहार के अन्य लोगों में दहशत है.

उल्लेखनीय है कि बिहार के बांका जिले का जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) से पुराना नाता है. तकरीबन 20 वर्षों से पड़घड़ी के तकरीबन 200 लोग जम्मू और कश्मीर में रोजी-रोटी के लिए रहते हैं. अरविंद की हत्या के बाद वहां रह रहे लोग भय के कारण अपने आप को घरों में बंद कर लिया है. ज्यादातर लोग घर वापसी की जुगत में हैं और कुछ लोगों ने घर वापसी के लिए ट्रेन भी पकड़ ली है.

जम्मू के हालातों से पड़घड़ी के लोग चिंतित

कश्मीर में पड़घड़ी गांव के महेंद्र प्रसाद ने बताया कि उनके परिवार के सात सदस्य जम्मू कश्मीर में रहते हैं. सभी हलवाई से लेकर खोमचा लगाने का काम करते हैं. अरविंद की हत्या के बाद से कश्मीर में रहने वाले अन्य परिवारों से बात हुई है. वहां सभी दहशत में है. हम लोगों ने सभी को घर आने के लिए कहा है. वहां के हालात अभी ठीक नहीं है, इसलिए वहां रहना किसी भी कीमत पर उचित नहीं है.

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वहीं, घनश्याम साह ने बताया कि उनका बेटा, बहू और उनके बच्चे सभी कश्मीर के पुलवामा में रहते हैं. पिछले कई वर्षों से वहीं नौकरी कर रहे हैं, लेकिन हालात ऐसे बन पड़े हैं कि घर से निकलना मुश्किल हो गया है. हमारी सरकार से मांग है कि सभी को सकुशल घर भेजने की व्यवस्था करें. उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं है. इससे उनको परेशानी हो रही है.

पड़घड़ी गांव के नीरज कुमार साह ने बताया कि उनके परिवार के 12 सदस्य जम्मू और कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में रहकर रोजगार करते हैं. जहां कुछ लोग ठेला लगाने का काम करते हैं और कुछ हलवाई का काम करते हैं. लेकिन जिस तरह से आधार कार्ड देखकर नॉन कश्मीरी अरविंद की हत्या के बाद सभी डर गए हैं. हमारे लोगों में दहशत का माहौल है. सभी लोग वहां से निकलने की तैयारी में हैं. हमारे गांव के 15 से 20 लोग घर वापसी के लिए ट्रेन भी पकड़ लिये हैं.

समाजसेवी ओम प्रकाश यादव ने मृतक के परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि जिस प्रकार से जम्मू-कश्मीर में आधार कार्ड देखकर लोगों की हत्या की जा रही है, यह बहुत ही गंभीर मसला है. जम्मू और कश्मीर की सरकार और केंद्र सरकार की विधि व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहा है. सरकार मृतक के परिजनों को 40 लाख का अविलंब मुआवजा दे और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे.

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