रांचीः भारत में हर साल खदान में आपदाएं होती आयी हैं. इन हादसों में सैकड़ों की संख्या में खनिक मारे गये हैं. कोयला और हार्ड रॉक खनन काफी जोखिम भरा होता है. खदान के अंदर काम करने के दौरान कई समस्याएं आती हैं, जिसकी वजह से ये हादसे कई कारणों से होते हैं. इनमें जहरीली गैसों जैसे हाइड्रोजन सल्फाइड या विस्फोटक प्राकृतिक गैसों का रिसाव, विशेष रूप से फायरडैम्प या मीथेन, धूल विस्फोट, खदान के चाल का धंसना, खनन प्रेरित भूकंपीयता, बाढ़ या सामान्य यांत्रिक त्रुटियों का अनुचित तरीके से उपयोग या सामान्य यांत्रिक त्रुटियां शामिल हैं. इसके अलावा खराब खनन उपकरण भी इन हादसों को न्योता देते हैं. भारत में अब तक हुए सबसे बड़े खनन हादसों पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट.
इसे भी पढ़ें- Dhanbad Mine Accident: अवैध उत्खनन के दौरान हुए हादसे में 3 की मौत, दो की हालत गंभीर
धनबाद खदान हादसाः 9 जून 2023, धनबाद में खदान हादसा हुआ. भौरा ओपी क्षेत्र में अवैध खदान में चाल धंसने से ये दुर्घटना हुई. इसमें तीन लोगों की मौत हो गयी और दो लोग जख्मी हैं. खदान के मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है.
निरसा खदान हादसाः 1 फरवरी 2022 को धनबाद में के निरसा में खदान हादसा हुआ. निरसा में अवैध उत्खनन के दौरान चाल धंसने से 12 लोगों की मौत हो गयी. निरसा थाना क्षेत्र गोपीनाथपुर ओसीपी में 1 फरवरी को सुबह-सुबह अवैध उत्खनन में चाल धंस गया. जिसमें कई ग्रामीण दब गए. प्रशासन और ईसीएल की ओर से किये गये रेस्क्यू ऑपरेशन में 12 शव निकाले गये. जांच में यह बात सामने आई कि पास के गांव के लोगों के द्वारा उस स्थान पर कोयला चुनने का काम किया जाता है. इस दौरान ओबी का अचानक स्खलन हुआ और कोयला चुनने वाले ग्रामीण मलबे में दब गए.
मिजोरम में खदान हादसाः मिजोरम के हनथियाल जिले में 14 नवंबर 2022 को एक पत्थर खदान ढह गई. खनन के दौरान कई बड़े-बड़े पत्थर ऊपर से टूटकर उन पर गिर पड़े, जिसके मलबे के ढेर में 12 मजदूर दब गए. हादसे की सूचना मिलने पर 15 नवंबर सुबह असम राइफल्स और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) स्थानीय पुलिस, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. इसके बाद रेस्क्यू टीम ने खदान में दबे 11 मजदूरों के शव बरामद किए.
मेघालय में खदान हादसाः 23 दिसंबर 2018 को मेघालय के कसान में माइनिंग एक्सीडेंट हुआ. इस हादसे में दो की मौत की पुष्टि की गयी. जबकि 13 लोगों को लापता घोषित किया गया. और पांच फरार बताया गया. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, कोल इंडिया, एयरफोर्स, नेवी ने मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन किया.
बागडिडी खदान हादसाः खान आपदा की सूची में झरिया का बागडिगी कोलियरी भी शामिल है. 2 फरवरी 2001 को खान दुर्घटना में बागडिगी कोलियरी के 29 श्रमिक मारे गये. हादसे को लेकर बताया जाता है कि 2001 को 2 फरवरी के दोपहर 12 बजे लोदना क्षेत्र की बागडिगी कोलियरी में खान दुर्घटना हुई थी. 12 नंबर खदान में बांध की दीवार टूटी और पानी खदान में घुस गया था. यहां एक सप्ताह से पानी रिस रहा था, पुख्ता इंतजाम न होने से बांध टूट गया. 5 फरवरी की रात 12 बजे गोताखोरों की टीम ने शवों को खदान से बाहर निकाला. इसके बाद हर साल 2 फरवरी को बागडिगी के शहीद स्मारक पर श्रमिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है.
न्यू केंदा आपदाः पश्चिम बंगाल के रानीगंज में 25 जनवरी 1994 को न्यू केंदा कोयला खदान हादसे में 55 लोगों की मौत हो गई थी. ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड के स्वामित्व में था. हादसे को लेकर बताया जाता है कि डाउनकास्ट शाफ्ट के करीब मुख्य सेवन वायुमार्ग में आग लगी थी. आग से धुआं और जहरीली गैस पूरे खदान में फैल गया, जिसकी चपेट में आने से वहां काम करने 55 लोगों की मौत हो गई.
महाबीर कोलियरी हादसाः भारत में खनन के इतिहास में पहली बार जमीन के नीचे फंसे 65 खनिकों को सतह से ड्रिल कर एक बड़े बोरहोल के माध्यम से बचाया गया. 13 नवंबर 1989 को पश्चिम बंगाल के रानीगंज में महाबीर कोलियरी में हादसा हुआ. जिसमें यहां काम कर रहे 65 खनिक खदान के भीतर फंस गये. तत्कालीन मुख्य खनन अभियंता जेएस गिल इस बचाव अभियान में सीधे जुड़े. जिन्होंने कैप्सूल के बोरहोल में प्रवेश किया और फंसे हुए खनिकों को व्यवस्थित तरीके से बाहर निकालने का काम किया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 6 घंटे लगे लेकिन एक-एक करके सभी 65 श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया. इस अदम्य साहस के लिए जसवंत सिंह गिल को तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक वीरता पुरस्कार सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक (एसजेआरपी) से सम्मानित किया गया.
सुदामडीह कोयला खदान हादसाः 04 अक्टूबर 1976 को धनबाद जिला के सुदामडीह कोयला खदान में विस्फोट हुआ था. फायर डैंप से हुआ ये धमाका इतना जोरदार था कि इसमें 43 खनिक मारे गए थे. ये खदान बीसीसीएल कोलियरी के अधीन था.
इसे भी पढ़ें- खदान हादसाः धनबाद में चाल धंसने के बाद अब तक 12 शव निकाले गए, रेस्क्यू जारी
चासनाला खनन आपदाः ढोरी त्रासदी के एक दशक के बाद 27 दिसंबर 1975 को एक और कोयला खदान आपदा ने धनबाद को दहला दिया. इस बार चासनाला कोयला खदान में बाढ़ के बाद हुए विस्फोट में 372 खनिक मारे गए. खदान में विस्फोट से चाल धंस गई और सात मिलियन गैलन पानी अंदर घुस गया. इस कारण खदान के अंदर काम कर रहे 300 से अधिक लोग पानी में डूब गए. कंपनी का स्वामित्व इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी के पास था.
23 दिन बाद पहुंची रेस्क्यू टीमः खदान में पानी इतना भर गया था कि खदान से पानी निकालने में 20 दिन से भी अधिक का समय लग गया. 23 दिन के बाद जब रेस्क्यू टीम खदान के अंदर दाखिल हुए तो वहां केवल कंकाल और हड्डियां ही निकाली जा सकी. कुछ शवों के अवशेषों की पहचान उनके कैप-लैंप, पहने हुए कपड़े, जेब में मौजूद चाबियों, चाकू जैसी सामग्रियों से की जा सकी. उनमें से अधिकांश की पहचान नहीं की जा सकी क्योंकि कैप-लैंप उनके साथ नहीं लगे थे. इस दर्दनाक हादसे में जान गंवाने वाले खनिकों की याद में शहीद स्मारक बनाया गया है.
चितपुर खदान हादसाः 18 मार्च 1973 को झारखंड में धनबाद के चितपुर कोलियरी में हादसा हुआ. यहां फायर डैंप विस्फोट से 48 लोगों की मौत हो गयी. ये कोयला खदान तत्कालीन इंडियन आयरन एंड स्टील कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआईएससीओ) के अधीन था.
ढोरी कोयला खदान आपदाः झारखंड में धनबाद के बेरमो में स्थित ढोरी कोयला खदान में 28 मई 1965 को हुआ विस्फोट इतना भयंकर था कि इसमें 268 खनिक मारे गए थे. खदान निजी तौर पर बोकारो और रामगढ़ लिमिटेड के स्वामित्व में थी. इस घटना को ढोरी कोलियरी आपदा के रूप में भी जाना जाता है.
चिनकुरी कोलियरी आपदाः पश्चिम बंगाल के रानीगंज में स्थित चिनकुरी कोलियरी में 19 फरवरी 1958 को हुए विस्फोट में 183 लोग मारे गए थे. इस कोलियरी का स्वामित्व तत्कालीन बंगाल कोल कंपनी लिमिटेड के पास था. इस भीषण विस्फोट के बाद आग को फैलने से रोकने के लिए अधिकारियों ने पूरे क्षेत्र को सील कर दिया था.
गजलीटांड़ खदान हादसाः धनबाद में स्थित झरिया कोल फील्ड का सबसे पुराना खदान जिसे 1896 में शुरु किया गया था. कतरी नदी के किनारे ये खदान स्थित है. 26 सितंबर 1896 भारी बारिश के कारण माइंस में पानी घुस गया और यहां 64 मजदूरों की खदान के पानी में डूबने से मौत हो गयी.
इसे भी पढ़ें- बोकारो खदान हादसा: मौत को मात देकर 96 घंटे बाद खदान से बाहर निकले 4 मजदूर