नई दिल्ली: द्वारका कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी है. अदालत ने उन्हें 30 हजार रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत दी है. उन्हें गुरुवार असम पुलिस ने गिरफ्तार किया था. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कथित टिप्पणियों को लेकर अपने खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों में राहत के लिए गुरुवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. खेड़ा ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ टिप्पणियों को लेकर उनके विरुद्ध उत्तर प्रदेश के लखनऊ और वाराणसी तथा असम में कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को राहत दी है और उन्हें अंतरिम जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया गया है. इस आदेश के बाद असम पुलिस पवन खेड़ा को अपने साथ नहीं ले जा पाएगी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने असम पुलिस, लखनऊ पुलिस और वाराणसी पुलिस को नोटिस जारी कर यह पूछा है कि उन्हें किस आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पवन खेड़ा पर 3 एफआईआर दर्ज की गईं हैं, जिनकी सुनवाई एक साथ ही की जाएगी.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को उनके द्वारा दी गई टिप्पणी को लेकर फटकार भी लगाई है. खेड़ा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि महाराष्ट्र शिवसेना मामले में संविधान पीठ की सुनवाई के बाद गुरुवार अपराह्न इस मामले की सुनवाई की गई है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पवन खेड़ा की गिरफ्तारी मंगलवार से पहले नहीं की जा सकती है.
कांग्रेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में भाग लेने के लिए रायपुर जा रहे पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा को रायपुर जाने वाले विमान से नीचे उतार दिया गया और बाद में पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. मोदी के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी के सिलसिले में असम पुलिस के अनुरोध पर यह कार्रवाई की गई. सिंघवी ने पीठ को बताया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर खेड़ा के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.
कांग्रेस ने खेड़ा के खिलाफ कार्रवाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिशोध, उत्पीड़न और धमकी की राजनीति का नया उदाहरण और तानाशाही करार दिया. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने उच्चतम न्यायालय से खेड़ा को राहत मिलने पर कहा कि टाइगर जिंदा है, सुप्रीम कोर्ट जिंदा है. गिरफ्तार किए जाने के कुछ घंटे बाद ही उच्चतम न्यायालय से खेड़ा को राहत मिल गई. न्यायालय ने उन्हें 28 फरवरी तक अंतरिम जमानत देने का गुरुवार को आदेश दिया.
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि दिल्ली में सक्षम मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने पर खेड़ा को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाये. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता (खेड़ा) जब तक कि सभी प्राथमिकियों के संबंध में न्यायिक अदालतों के समक्ष नियमित जमानत के लिए आवेदन नहीं करते हैं, हम निर्देश देते हैं कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को दिल्ली में सक्षम मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा.
खेड़ा के खिलाफ प्रधानमंत्री के बारे में उनकी कथित टिप्पणी के लिए असम के हाफलोंग थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें 153 बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ प्रभाव डालने वाले बयान देना, लांछन लगाना), 500 (मानहानि) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) शामिल हैं.