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Power Centers Of Congress: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी में दरार, क्या बीजेपी लगा पाएगी सेंध !

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस 68 सीट जीतने में कामयाब रही तो इसकी वजह भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और मोहन मरकाम की तिकड़ी रही. ढाई ढाई साल के फाॅर्मूले को लेकर जहां भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच खटास की खबरें आईं. वहीं पीपीसी चीफ मोहन मरकाम को बदले जाने की अटकलों के बीच कांग्रेस की तीनों पावर सेंटर्स में मतभेद के कयास लगाए जा रहे हैं. मौके की ताक में बैठी बीजेपी भी इसका फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.Power Centers Of Congress

Power Centers Of Congress:
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी में दरार
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Published : Jun 20, 2023, 9:22 PM IST

Updated : Jun 21, 2023, 12:42 AM IST

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी में दरार

रायपुर: छत्तीसगढ़ की मौजूदा कांग्रेस सरकार में फिलहाल तीन पावर सेंटर्स हैं, जिनके ईर्द गिर्द ही सारे फैसले लिए जाते हैं. विधानसभा चुनाव 2018 में इसी तिकड़ी के दम पर कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल की. अब इस तिकड़ी में दरार की खबरें आ रही हैं. विधानसभा चुनाव 2023 से पहले यह दरारे नहीं भरी गईं तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है. सरकार के ढाई साल पूरे होते ही मुख्यमंत्री पद को लेकर टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल में तनातनी शुरू हो गई. अब पीपीसी चीफ मोहन मरकाम भी पद को लेकर पशोपेश में हैं. बीजेपी इसी ताक में बैठी है कि तीनों के बीच फासले बढ़े, जिनसे होकर वह सत्ता के गलियारे तक पहुंच सके. लेकिन टीएस सिंहदेव को अपने पाले में करने के मामले में उसने जल्दबाजी कर दी. फिलहाल कांग्रेस के ये तीनों धुरंधर मंच साझा करते हुए आपसी मतभेद को ढंकने और छिपाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं, ताकि चुनाव में पार्टी को कोई डेंट न पहुंचे. इस पर आखिर क्या कहते हैं राजनीतिक दल के लोग और राजनीति के जानकार, आइए जानते हैं.


कांग्रेस के पावर सेंटर में से एक भूपेश बघेल का यहां है प्रभाव: दुर्ग संभाग में 20 विधानसभा सीट है. साल 2018 में कांग्रेस ने 20 विधानसभा सीट में से 17 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं खैरागढ़ उपचुनाव जीतकर कांग्रेस ने यह आंकड़ा 18 कर लिया है. यानी भूपेश बघेल के प्रभाव वाले दुर्ग संभाग में बीजेपी के पास सिर्फ 2 सीट ही है. इनमें राजनांदगांव सीट पूर्व सीएम रमन सिंह के पास है और वैशाली नगर सीट विद्यारतन भसीन ने जीता है. रायपुर संभाग में भी 20 विधानसभा सीट हैं. साल 2018 में 14 पर कांग्रेस, 5 पर बीजेपी और 1 पर जेसीसीजे को जीत मिली. यानी रायपुर और दुर्ग संभाग की 40 सीटों में से 32 सीटें कांग्रेस के कब्जे में हैं. इन सभी सीटों पर भूपेश बघेल का बड़ा प्रभाव माना जाता है. वहीं मुख्यमंत्री होने के नाते प्रदेश की लगभग हर सीटों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भूपेश बघेल दखल रखते हैं. यही वजह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के दौरान भी भूपेश बघेल की उम्मीदवारों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.

Power Centers Of Congress
कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी

कांग्रेस के पावर सेंटर 'बाबा' के दखल वाली सीटें: सरगुजा संभाग में 14 सीटें हैं. सभी सीटों पर कांग्रेस काबिज है. इसके अलावा ओडिशा से सटे इलाके रायगढ़, सक्ती, धरमजयगढ़ यानी पुरानी रियासतों वाले इलाके में सिंहदेव का प्रभाव है. वहीं कोरबा जिले और बिलासपुर जिले की कुछ सीटों पर भी सिंहदेव का प्रभाव है. सियासी जानकारों के मुताबिक सिंहदेव का छत्तीसगढ़ की करीब 35 सीटों पर प्रभाव है.

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कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी

मोहन मरकाम भी कांग्रेस के पावर सेंटर, 29 सीटों पर है दबदबा: मोहन मरकाम की बात की जाए तो मरकाम कोंडागांव से विधायक हैं और उनकी बस्तर संभाग की 12 सीटों पर पकड़ है. वर्तमान में बस्तर संभाग की सभी 12 की 12 सीटें कांग्रेस के पास है. इसके अलावा मरकाम दूसरे संभाग की आदिवासी सीटों पर भी पकड़ रखते हैं. वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. इन सभी 29 सीटों पर मोहन मरकाम का दखल माना जाता है.

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कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी

कांग्रेस के पावर सेंटर तिकड़ी के सामने जातीय समीकरण की चुनौती: छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा की सीटें हैं. इनमें से 39 सीटें आरक्षित है. इनमें 29 सीटें अनुसूचित जनजाति और 10 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. आरक्षित सीटों के बाद बची 51 सीटें सामान्य हैं. लेकिन इन सीटों में से भी करीब एक दर्जन विधानसभा की सीटों पर अनुसूचित जाति वर्ग का खासा प्रभाव है. प्रदेश के मैदानी इलाकों की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की भी भारी संख्या है. छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 47 प्रतिशत है. मैदानी इलाकों से करीब एक चौथाई विधायक इसी वर्ग से विधानसभा में चुनकर आते हैं.

Power Centers Of Congress
विधानसभा चुनाव 2023



मरकाम को हटाने सीएम, बने रहने सिंहदेव कर रहे प्रयास: वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक जानकार रामअवतार तिवारी का मानना है कि "मोहन मरकाम आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तो ऐसी स्थिति में जो चुनाव नहीं लड़ रहा हो उसे प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग उठ रही है. ऐसी चर्चा है कि मुख्यमंत्री समेत कई लोगों ने प्रस्ताव भी दिया है. दूसरी ओर चर्चा है कि टीएस सिंह देव और चरण दास महंत चाहते हैं कि मोहन मरकाम यथावत बने रहें. मरकाम की जगह बस्तर क्षेत्र के ही सांसद दीपक बैज का नाम उभर कर सामने आ रहा है. आदिवासी की जगह बस्तर के आदिवासी को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर मंथन हो रहा है. इसकी वजह यह है कि चुनाव में बस्तर क्षेत्र की अहम भूमिका होती है. यही वजह है कि पार्टी उसी क्षेत्र के किसी नेता को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप सकती है."

"सभी जानते हैं कि कांग्रेस को गुटबाजी से ज्यादा नुकसान हुआ है. यह कहा जाता है कि कांग्रेस को कांग्रेस ही हराती है. यदि कांग्रेस नेताओं में समन्वय नहीं बैठा, तो भितरघात की आशंका बनी रहेगी. यही वजह है कि इस समय की कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा इसे नजदीक से देख रही हैं और समन्वय बनाने की कोशिश कर रही हैं. भूपेश बघेल के तमाम दौरों के दौरान विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव दिखने लगे हैं. अब वे मंच भी प्रमुखता से साझा कर रहे हैं. वर्तमान में इन नेताओं की बातें भी सुनी जा रही हैं." -रामअवतार तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक जानकार

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बघेल के एकतरफा शासन से कांग्रेस में मच सकती है भगदड़-भाजपा: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास का कहना कि "मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिस प्रकार से एकतरफा शासन चला रहे हैं, न मंत्री की सुन रहे हैं, न संगठन की सुन रहे हैं, निश्चित तौर पर यह गुटबाजी को जन्म देने का सबसे बड़ा कारण है. प्रदेश में जिस प्रकार से सत्ता और संगठन में जो सामंजस्य होना चाहिए, वह दूर दूर तक दिखाई नहीं पड़ रहा है. इसलिए खेमेबाजी बढ़ी है."

"मोहन मरकाम का अलग खेमा, टीएस सिंहदेव का अलग खेमा है. चुनाव आते-आते सर फुटव्वल के हालात बनेंगे और पार्टी में भगदड़ मचेगी. निश्चित तौर पर इसका लाभ भाजपा को मिलेगा, यह कांग्रेस पार्टी की पुरानी रीति नीति रही है. जिस प्रकार भूपेश बघेल संगठन और सरकार चला रहे हैं, उसका नुकसान कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ेगा." -गौरी शंकर श्रीवास, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता

पावर सेंटर में दरार पर कांग्रेस का पलटवार: गुटबाजी और आपस में फूट वाले भाजपा के बयान पर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने पलटवार किया है. सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "कांग्रेस पार्टी कलेक्टिव लीडरशिप के आधार पर चुनाव में जा रही है. हमारा चेहरा इस समय भूपेश बघेल हैं. मुख्यमंत्री होने के नाते पार्टी ने उनके चेहरे को आगे किया हुआ है. उनके कार्यक्रम को आगे चलाया है. टीएस सिंहदेव हमारे वरिष्ठ नेता हैं. मोहन मरकाम हमारे प्रदेश अध्यक्ष हैं और हमारे संगठन के चेहरे हैं. यह भारतीय जनता पार्टी का शिगूफा है. कांग्रेस में कहीं गुटबाजी नहीं है."

"आज की तारीख में कई रमन सिंह दिख रहे हैं. धरमलाल कौशिक को पद से अलग कर दिया गया. विष्णुदेव साय कहां गए, वो तो प्रदेश अध्यक्ष थे न. विक्रम उसेंडी भी कहीं बैनर पोस्टर में नहीं दिख रहे हैं. नंद कुमार साय इतने प्रताड़ित हुए कि वे भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आ गए. गुटबाजी वहां है, हमारे यहां कोई गुटबाजी नहीं है." -सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस मीडिया विभाग

कांग्रेस के तीनों पावर सेंटर एकसाथ चुनाव की तैयारी में जुटे: बीजेपी की ओर से कांग्रेस नेताओं को तोड़ने की कोशिश पर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "बाबा ने इनको इनकी औकात दिखा दी है. उन्हें बता दिया कि भारतीय जनता पार्टी का कलंकित कार्य छत्तीसगढ़ में नहीं चलेगा." मोहन मरकाम को हटाने का कोई प्रस्ताव की बात को सुशील आनंद शुक्ला ने सिरे से खारिज कर दिया. साथ ही साफ किया कि पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के नेतृत्व में चुनावी तैयारी शुरू हो चुकी है.

कांग्रेस और भाजपा के दावों में कितना दम है यह तो चुनाव नजदीक आते ही पता चल जाएगा. हालांकि इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि छत्तीसगढ़ की जनता को चुनाव से पहले बहुते से उतार चढ़ाव देखने पड़ सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी में दरार

रायपुर: छत्तीसगढ़ की मौजूदा कांग्रेस सरकार में फिलहाल तीन पावर सेंटर्स हैं, जिनके ईर्द गिर्द ही सारे फैसले लिए जाते हैं. विधानसभा चुनाव 2018 में इसी तिकड़ी के दम पर कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल की. अब इस तिकड़ी में दरार की खबरें आ रही हैं. विधानसभा चुनाव 2023 से पहले यह दरारे नहीं भरी गईं तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है. सरकार के ढाई साल पूरे होते ही मुख्यमंत्री पद को लेकर टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल में तनातनी शुरू हो गई. अब पीपीसी चीफ मोहन मरकाम भी पद को लेकर पशोपेश में हैं. बीजेपी इसी ताक में बैठी है कि तीनों के बीच फासले बढ़े, जिनसे होकर वह सत्ता के गलियारे तक पहुंच सके. लेकिन टीएस सिंहदेव को अपने पाले में करने के मामले में उसने जल्दबाजी कर दी. फिलहाल कांग्रेस के ये तीनों धुरंधर मंच साझा करते हुए आपसी मतभेद को ढंकने और छिपाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं, ताकि चुनाव में पार्टी को कोई डेंट न पहुंचे. इस पर आखिर क्या कहते हैं राजनीतिक दल के लोग और राजनीति के जानकार, आइए जानते हैं.


कांग्रेस के पावर सेंटर में से एक भूपेश बघेल का यहां है प्रभाव: दुर्ग संभाग में 20 विधानसभा सीट है. साल 2018 में कांग्रेस ने 20 विधानसभा सीट में से 17 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं खैरागढ़ उपचुनाव जीतकर कांग्रेस ने यह आंकड़ा 18 कर लिया है. यानी भूपेश बघेल के प्रभाव वाले दुर्ग संभाग में बीजेपी के पास सिर्फ 2 सीट ही है. इनमें राजनांदगांव सीट पूर्व सीएम रमन सिंह के पास है और वैशाली नगर सीट विद्यारतन भसीन ने जीता है. रायपुर संभाग में भी 20 विधानसभा सीट हैं. साल 2018 में 14 पर कांग्रेस, 5 पर बीजेपी और 1 पर जेसीसीजे को जीत मिली. यानी रायपुर और दुर्ग संभाग की 40 सीटों में से 32 सीटें कांग्रेस के कब्जे में हैं. इन सभी सीटों पर भूपेश बघेल का बड़ा प्रभाव माना जाता है. वहीं मुख्यमंत्री होने के नाते प्रदेश की लगभग हर सीटों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भूपेश बघेल दखल रखते हैं. यही वजह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के दौरान भी भूपेश बघेल की उम्मीदवारों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.

Power Centers Of Congress
कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी

कांग्रेस के पावर सेंटर 'बाबा' के दखल वाली सीटें: सरगुजा संभाग में 14 सीटें हैं. सभी सीटों पर कांग्रेस काबिज है. इसके अलावा ओडिशा से सटे इलाके रायगढ़, सक्ती, धरमजयगढ़ यानी पुरानी रियासतों वाले इलाके में सिंहदेव का प्रभाव है. वहीं कोरबा जिले और बिलासपुर जिले की कुछ सीटों पर भी सिंहदेव का प्रभाव है. सियासी जानकारों के मुताबिक सिंहदेव का छत्तीसगढ़ की करीब 35 सीटों पर प्रभाव है.

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कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी

मोहन मरकाम भी कांग्रेस के पावर सेंटर, 29 सीटों पर है दबदबा: मोहन मरकाम की बात की जाए तो मरकाम कोंडागांव से विधायक हैं और उनकी बस्तर संभाग की 12 सीटों पर पकड़ है. वर्तमान में बस्तर संभाग की सभी 12 की 12 सीटें कांग्रेस के पास है. इसके अलावा मरकाम दूसरे संभाग की आदिवासी सीटों पर भी पकड़ रखते हैं. वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. इन सभी 29 सीटों पर मोहन मरकाम का दखल माना जाता है.

Power Centers Of Congress
कांग्रेस की पावर सेंटर तिकड़ी

कांग्रेस के पावर सेंटर तिकड़ी के सामने जातीय समीकरण की चुनौती: छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा की सीटें हैं. इनमें से 39 सीटें आरक्षित है. इनमें 29 सीटें अनुसूचित जनजाति और 10 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. आरक्षित सीटों के बाद बची 51 सीटें सामान्य हैं. लेकिन इन सीटों में से भी करीब एक दर्जन विधानसभा की सीटों पर अनुसूचित जाति वर्ग का खासा प्रभाव है. प्रदेश के मैदानी इलाकों की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की भी भारी संख्या है. छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 47 प्रतिशत है. मैदानी इलाकों से करीब एक चौथाई विधायक इसी वर्ग से विधानसभा में चुनकर आते हैं.

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विधानसभा चुनाव 2023



मरकाम को हटाने सीएम, बने रहने सिंहदेव कर रहे प्रयास: वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक जानकार रामअवतार तिवारी का मानना है कि "मोहन मरकाम आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तो ऐसी स्थिति में जो चुनाव नहीं लड़ रहा हो उसे प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग उठ रही है. ऐसी चर्चा है कि मुख्यमंत्री समेत कई लोगों ने प्रस्ताव भी दिया है. दूसरी ओर चर्चा है कि टीएस सिंह देव और चरण दास महंत चाहते हैं कि मोहन मरकाम यथावत बने रहें. मरकाम की जगह बस्तर क्षेत्र के ही सांसद दीपक बैज का नाम उभर कर सामने आ रहा है. आदिवासी की जगह बस्तर के आदिवासी को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर मंथन हो रहा है. इसकी वजह यह है कि चुनाव में बस्तर क्षेत्र की अहम भूमिका होती है. यही वजह है कि पार्टी उसी क्षेत्र के किसी नेता को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप सकती है."

"सभी जानते हैं कि कांग्रेस को गुटबाजी से ज्यादा नुकसान हुआ है. यह कहा जाता है कि कांग्रेस को कांग्रेस ही हराती है. यदि कांग्रेस नेताओं में समन्वय नहीं बैठा, तो भितरघात की आशंका बनी रहेगी. यही वजह है कि इस समय की कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा इसे नजदीक से देख रही हैं और समन्वय बनाने की कोशिश कर रही हैं. भूपेश बघेल के तमाम दौरों के दौरान विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव दिखने लगे हैं. अब वे मंच भी प्रमुखता से साझा कर रहे हैं. वर्तमान में इन नेताओं की बातें भी सुनी जा रही हैं." -रामअवतार तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक जानकार

Tension Over Conversion: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मुद्दे पर सुलगी आग, भाजपा को मिलेगा सियासी लाभ !
Politics on Udaan: सीएम भूपेश बोले- भाजपाध्यक्ष को देना चाहिए धरना, अरुण साव का पलटवार
Politics On MSP: कांग्रेस सरकार पर खाद की कालाबाजारी का आरोप, मिट्टी और गिट्टी को वर्मी कंपोस्ट कह कर बेचा

बघेल के एकतरफा शासन से कांग्रेस में मच सकती है भगदड़-भाजपा: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास का कहना कि "मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिस प्रकार से एकतरफा शासन चला रहे हैं, न मंत्री की सुन रहे हैं, न संगठन की सुन रहे हैं, निश्चित तौर पर यह गुटबाजी को जन्म देने का सबसे बड़ा कारण है. प्रदेश में जिस प्रकार से सत्ता और संगठन में जो सामंजस्य होना चाहिए, वह दूर दूर तक दिखाई नहीं पड़ रहा है. इसलिए खेमेबाजी बढ़ी है."

"मोहन मरकाम का अलग खेमा, टीएस सिंहदेव का अलग खेमा है. चुनाव आते-आते सर फुटव्वल के हालात बनेंगे और पार्टी में भगदड़ मचेगी. निश्चित तौर पर इसका लाभ भाजपा को मिलेगा, यह कांग्रेस पार्टी की पुरानी रीति नीति रही है. जिस प्रकार भूपेश बघेल संगठन और सरकार चला रहे हैं, उसका नुकसान कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ेगा." -गौरी शंकर श्रीवास, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता

पावर सेंटर में दरार पर कांग्रेस का पलटवार: गुटबाजी और आपस में फूट वाले भाजपा के बयान पर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने पलटवार किया है. सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "कांग्रेस पार्टी कलेक्टिव लीडरशिप के आधार पर चुनाव में जा रही है. हमारा चेहरा इस समय भूपेश बघेल हैं. मुख्यमंत्री होने के नाते पार्टी ने उनके चेहरे को आगे किया हुआ है. उनके कार्यक्रम को आगे चलाया है. टीएस सिंहदेव हमारे वरिष्ठ नेता हैं. मोहन मरकाम हमारे प्रदेश अध्यक्ष हैं और हमारे संगठन के चेहरे हैं. यह भारतीय जनता पार्टी का शिगूफा है. कांग्रेस में कहीं गुटबाजी नहीं है."

"आज की तारीख में कई रमन सिंह दिख रहे हैं. धरमलाल कौशिक को पद से अलग कर दिया गया. विष्णुदेव साय कहां गए, वो तो प्रदेश अध्यक्ष थे न. विक्रम उसेंडी भी कहीं बैनर पोस्टर में नहीं दिख रहे हैं. नंद कुमार साय इतने प्रताड़ित हुए कि वे भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आ गए. गुटबाजी वहां है, हमारे यहां कोई गुटबाजी नहीं है." -सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस मीडिया विभाग

कांग्रेस के तीनों पावर सेंटर एकसाथ चुनाव की तैयारी में जुटे: बीजेपी की ओर से कांग्रेस नेताओं को तोड़ने की कोशिश पर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "बाबा ने इनको इनकी औकात दिखा दी है. उन्हें बता दिया कि भारतीय जनता पार्टी का कलंकित कार्य छत्तीसगढ़ में नहीं चलेगा." मोहन मरकाम को हटाने का कोई प्रस्ताव की बात को सुशील आनंद शुक्ला ने सिरे से खारिज कर दिया. साथ ही साफ किया कि पीसीसी चीफ मोहन मरकाम के नेतृत्व में चुनावी तैयारी शुरू हो चुकी है.

कांग्रेस और भाजपा के दावों में कितना दम है यह तो चुनाव नजदीक आते ही पता चल जाएगा. हालांकि इससे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि छत्तीसगढ़ की जनता को चुनाव से पहले बहुते से उतार चढ़ाव देखने पड़ सकते हैं.

Last Updated : Jun 21, 2023, 12:42 AM IST
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