भोपाल। रिटायर्ड आईएएस रमेश थेटे और उनकी पत्नी पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में 20 साल बाद लोकायुक्त ने FIR दर्ज की है. रमेश थेटे ने पत्नी मंदा थेटे के नाम पर 68 अलग-अलग बैंकों से लोन लिया था और साल 2012-13 में इस लोन को अल्प अवधि में वापस जमा कर दिया था. जांच में तत्कालीन आय के परिप्रेक्ष्य में अनुपातहीन संपत्ति होना पाया गया है और इसी के आधार पर रमेश थेटे व उनकी पत्नी मंदा थेटे के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. लोकायुक्त केसो में फंसने वाले रमेश थेटे व उनकी पत्नी पर रिटायरमेंट के बाद फिर एक एफआईआर दर्ज हुई है.
कौन हैं रमेश थेटे: ये वे आईएएस रहे हैं, जिन्होंने सीएम शिवराज सिंह पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया था. IAS रमेश थेटे ने रिटायर होने से पहले सीएम शिवराज सिंह को प्रमोशन को लेकर चिट्ठी लिखी थी, लेकिन इसके बावजूद उनका प्रमोशन नहीं किया गया. थेटे ने आरोप लगाया था कि दलित होने के कारण उन्हें कलेक्टर नहीं बनाया गया.
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विवादों से नाता रहा है रमेश थेटे का: रमेश थेटे ने आईएएस राधेश्याम जुलानिया को जातिवादी होने का आरोप लगाया तो वहीं आईएएस जेएन कंसोटिया के आरक्षण बचाओ आंदोलन की रिजर्व केटेगरी के होने के बाद भी खिलाफत की थी. 2016 में उन्हें आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया के अधीन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में सचिव बनाया गया, लेकिन जब उन्हें कार्य आवंटन में मनचाहा काम नहीं मिला तो उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. उसमें जुलानिया पर जातिवादी मानसिकता का आरोप लगाया था. उसी दौरान आईएएस अधिकारी जेएन कंसोटिया के संगठन द्वारा आरक्षण बचाओ आंदोलन चलाया गया था, लेकिन थेटे ने आरक्षित वर्ग के होने के बाद भी उनकी खिलाफत की थी. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने मीडिया को लिखित में अपने साथ सरकार द्वारा पक्षपात का व्यवहार करने का आरोप भी लगाया.
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लोकायुक्त ने इनके खिलाफ एफआईआर की दर्ज: आईएएस अधिकारी रमेश थेटे 2001-02 में नगर निगम जबलपुर में आयुक्त थे और फिर वहां से संचालक रोजगार व प्रशिक्षण बने थे. उसी दौरान उनके व पत्नी मंदा थेटे के नाम से जबलपुर के कई बैंकों में 68 लाख रुपए का ऋण लिया था. मगर उनके ऋण राशि को बहुत कम समय में ही चुका दिया था. जिसमें 2013 में लोकायुक्त संगठन ने उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी. इस प्राथमिकी की जांच के बाद लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना जबलपुर इकाई ने की. उनके व उनकी पत्नी के खिलाफ पीसी एक्ट और भादवि के तहत एफआईआर दर्ज की है. रमेश थेटे के खिलाफ लोकायुक्त में कई केस दर्ज हुए थे. जिनमें उन्हें कोर्ट से राहत मिलने के बाद सरकार ने पोस्टिंग दी. अपने आपको आंबेडकरवादी बताते हुए थेटे ने आरोप लगाया था कि इसी की कीमत उन्होंने चुकाई और आईएएस होने के बाद भी एक भी जिले में कलेक्टर की जिम्मेदारी नहीं दी गई. 25 केस उन पर लगा दिए गए और जब कोर्ट से राहत मिली तो पत्नी पर केस बनाकर उन्हें सह आरोपी बनाया दिया गया. अभी थेटे नागपुर में रह रहे हैं. वे फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतरे हैं, कंपनी बनाकर फिल्म भी प्रोड्यूस की है, जो कि दलितों पर आधारित है.