अयोध्या : वैसे तो धार्मिक नगरी अयोध्या को भगवान श्री राम की पावन जन्म स्थली के रूप में पूरी दुनिया में जाना पहचाना जाता है. वहीं शहर में स्वर्गद्वार इलाके में सैयद इब्राहिम शाह रहमतुल्लाह अलैह की पाक दरगाह भी है. जहां पर वैसे तो रोजाना जियारत करने वालों का तांता लगा रहता है, लेकिन सप्ताह के हर गुरुवार को यहां खास तौर पर दिमागी बीमारियों से ग्रसित लोग आकर दरगाह के सामने खुद के ठीक होने की दुआ मांगते हैं.
गुरुवार को दिखता है अलग नजारा
गुरुवार के दिन इस दरगाह की चौहद्दी में नजारा हैरान करने वाला होता है. अर्जी लगाने पहुंचे लोग जमीन पर पड़ते ही चीखने-चिल्लाने लगते हैं. अपने बालों को नोचने लगते हैं. इधर-उधर भागने, चीख चीख कर रोते हुए पूरे परिसर में इधर-उधर भागते हुए नजर आते हैं.
बीमारी ठीक होने का लोग करते हैं दावा
इस दरगाह की खास बात यह भी है कि दरगाह पर जितनी तादाद मुस्लिम जायरीनों की होती है. उतनी ही तादाद हिंदू जायरीनों की भी होती है. जो अपनी बीमारियों का इलाज ढूंढते हुए यहां तक आते हैं.
पड़ोसी जनपद बस्ती के हरैया तहसील से आए साबिर अली का दावा है कि उन्हें हृदय से संबंधित बीमारी थी. तमाम इलाज के बाद भी उन्हें राहत नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने इस दरगाह पर जियारत की और वह ठीक हो गए.
वहीं. बस्ती जिले से ही आई मीरा देवी का भी यह कहना है कि भले ही वह हिंदू हैं, लेकिन इस दरगाह पर उन्हें वह सब कुछ मिला जो उन्होंने चाहा. इसलिए वह इतनी दूर से चलकर आती हैं.
संत कबीर नगर से आए शिव कुमार यादव का दावा भी इन सब से अलग नहीं है. शिव कुमार का भी कहना है कि तमाम तकलीफ और मुसीबतों से हार मान जाने के बाद इस दरगाह पर उन्होंने अर्जी लगाई थी. अब वह काफी राहत महसूस कर रहे हैं. इसीलिए वह हर गुरुवार को यहां आते हैं.
बीमारी का इलाज सिर्फ दवा, आत्मसंतुष्टि के लिए है दुआ
दरगाह पर आने वाले जायरीनों और दरगाह के खादिम के दावे से अलग चिकित्सा विज्ञान किसी भी तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक से किसी भी मानसिक बीमारी का इलाज न होने की बात कहता है.
'ईटीवी भारत' से खास बातचीत करते हुए अयोध्या जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. चंद्र भूषण नाथ त्रिपाठी ने कहा की आस्था और विज्ञान के बीच तर्क नहीं हो सकता है. अगर कोई बीमार है तो लगभग हर बीमारी का समुचित इलाज चिकित्सा विज्ञान के जरिए हम करते हैं. किसी भी दरगाह पर जाने से या किसी भी देवी देवता की पूजा कर लेने भर से कोई भी गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज ठीक नहीं हो सकता है.
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उन्होंने कहा कि यह बात अलग है की आस्थावान लोग आस्था और विश्वास के चलते देवी देवताओं की पूजा और दरगाह के चक्कर लगाते हैं. हम उनकी आस्था पर सवाल नहीं उठा सकते, लेकिन किसी दरगाह पर जाकर किसी मानसिक बीमार रोगी की बीमारी ठीक हो जाए. इस बात को कतई सही नहीं कहा जा सकता.
तकलीफों से घिरा व्यक्ति अपनी परेशानी से छुटकारा पाने के लिए हर जतन करता है. यही वजह है कि वह तांत्रिक ओझा के चक्कर में पड़कर मानसिक शांति के लिए इधर-उधर भटकता है.