नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon case) में एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका बरकरार रखी है.
दरअसल, 2018 भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद जाति हिंसा मामले में जेल में बंद सुधा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर को डिफॉल्ट जमानत दे दी थी. हाईकोर्ट के इस फैसले को NIA ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने NIA की याचिका को खारिज कर दिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट के डिफॉल्ट जमानत देने के फैसले पर मुहर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दखल देने की कोई वजह दिखाई नहीं देती. लिहाजा एनआईए की ये याचिका खारिज की जाती है.
दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर को सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को 2018 भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद जाति हिंसा मामले में डिफॉल्ट जमानत दे दी थी. अदालत ने सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) को जमानत की शर्तें तय करने के लिए आठ दिसंबर को विशेष NIA अदालत में पेश करने का भी निर्देश दिया.
अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज
हालांकि, कोर्ट ने 8 अन्य आरोपियों सुधीर डावले, डॉ पी वरवर राव, रोना विल्सन, एडवोकेट सुरेंद्र गाडलिंग, प्रोफेसर शोमा सेन, महेश राउत, वरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. उन्हें जून-अगस्त 2018 के बीच गिरफ्तार किया गया था.
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क्या है मामला?
जनवरी 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव ((Bhima Koregaon case)) लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया था, जहां हिंसा होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इस मामले में सुधा भारद्वाज को अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था. सुधा भारद्वाज (Sudha Bharadwaj) पर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) का सदस्य होने का आरोप है.