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BHEL की 'गन' से थर्राएगा दुश्मन, 'मेड इन इंडिया' से बढ़ेगी ताकत

हरिद्वार स्थित BHEL को रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए दो गन बनाने का ऑर्डर दिया है. इस गन के नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.

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Published : Jul 5, 2021, 10:53 PM IST

हरिद्वार : बीते कुछ सालों से जिस बीएचईएल को निजी हाथों में देने की चर्चा चल रही है, वही बीएचईएल एक बार फिर भारतीय नौसेना के लिए हथियार बनाने जा रहा है. ऐसा हथियार, जिसके बनने के बाद कोई भी दुश्मन देश भारत से भिड़ने से पहले सौ बार सोचेगा.

बता दें बीएचईएल एक ऐसी अत्याधुनिक गन तैयार कर रहा है, जो अब तक पूरे विश्व में कुछ ही देश इस्तेमाल करते हैं. खास बात यह है कि जो देश इस गन का इस्तेमाल कर भी रहे हैं, वह अमेरिका और इजरायल से मंगवाते हैं. मेड इन इंडिया के तहत हरिद्वार बीएचईएल को रक्षा मंत्रालय ने यह गन बनाने का जिम्मा सौंपा है. तमाम फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद हरिद्वार स्थित बीएचईएल ने इसके लिए हामी भर दी है. बहुत जल्द भारतीय नौसेना के बेड़े में इन दोनों को शामिल कर दिया जाएगा.

मेड इन इंडिया से बढ़ेगी ताकत

पिछले दो दशक से दे रहा सेवाएं

यूं तो बीएचईएल नौसेना को अपनी सेवाएं पिछले दो दशक से दे रहा है. इसी क्रम में भेल को भारतीय नौसेना के लिए दो गन का निर्माण करने के ऑर्डर प्राप्त हुए हैं. वहीं 7 अन्य के जल्द ही ऑर्डर प्राप्त होने की संभावना है. भेल बीते दो दशकों से भारतीय नौसेना के लिए सुपर रैपिड गन माउंटिंग 76/62 (एसआरजीएर) का निर्माण कर रहा है. हल्की और क्रासवेल सर्वो कंट्रोल्ड गन एयर डिफेंस और एंटी सरफेस भूमिका में बेहतर प्रदर्शन के साथ रैपिड फायर भी करेगी.

बीएचईएल के अधिकारी अनिल कपूर कहते हैं कि इस गन के नौसेना में शामिल होने के बाद नौसेना की शक्ति कई गुना और बढ़ जाएगी. इतना ही नहीं अगर कोई दुश्मन भारतीय नौसेना की तरफ आंख उठाकर भी देखेगा तो भारतीय नौसेना इस गन से उसे ऐसा जवाब दे सकती है कि शायद ही फिर कोई दुश्मन हमारी तरफ आंख उठाने की हिम्मत करे.

इटली की कंपनी के साथ समझौता

अनिल कपूर कहते हैं कि सुपर रैपिड गन माउंटिंग की क्षमता को लगभग दोगुना किया जा रहा है, जिसके लिए बीएचईएल द्वारा इटली की कंपनी के साथ समझौता भी किया गया है. अनिल कपूर ने बताया कि भेल द्वारा निर्मित 47 गन नौसेना द्वारा उपयोग में लाई जा रही हैं. अभी उन्हें नौसेना से दो गन का ऑर्डर प्राप्त हुआ है. 7 गन और अलग किस्म की बननी हैं.

उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि भेल को जल्द ही 55 गन का ऑर्डर मिलेगा. उन्होंने बताया कि भेल द्वारा नवनिर्मित यह गन मारक क्षमता और क्वालिटी में और बेहतर होंगी. ये नौसेना के लिए वर्ल्ड क्वालिटी का प्रोडक्ट बना रहे हैं. वहीं, ऊर्जा के क्षेत्र में भी भेल लगातार कार्य करता रहा है. 70 मेगावाट के 6 सेट का ऑर्डर अभी प्राप्त हुआ है. साथ ही हाइड्रोपावर के क्षेत्र में कार्य आगे बढ़ रहा है. इन सब कामों के साथ-साथ बीएचईएल द्वारा मेक इन इंडिया ग्रुप बनाया गया, जिसके तहत भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है.

पढ़ें- सुखबीर सिंह संधू होंगे उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव, NHAI से हुए रिलीव

वहीं, हरिद्वार भेल के महाप्रबंधक संजय गुलाटी की मानें तो भेल लंबे समय से नौसेना के लिए इस गन को बनाने का काम कर रहा है. हमें इस बात का गर्व हुआ कि हरिद्वार बीएचईएल को भारतीय नौसेना के लिए इस तरह के हथियार बनाने के लिए चुना गया है, जिसके बाद हमारे तमाम इंजीनियर अब इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए लग गए हैं. उनका कहना है कि इस प्रोजेक्ट में काम करने वाला 1-1 इंजीनियर बड़े गर्व के साथ अपने काम को अंजाम दे रहा है.

भेल को न्यूक्लियर टरबाइन बनाने का भी ऑर्डर

नौसेना के अलावा हाइड्रो पावर सेक्टर ने भी हरिद्वार बीएचईएल को न्यूक्लियर टरबाइन बनाने का ऑर्डर दिया है, जिसका काम जोरों शोरों पर चल रहा है. अनिल कपूर ने बताया कि कोरोना काल में भेल ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए उत्तराखंड सहित उत्तर प्रदेश, भोपाल, एनसीआर अन्य कई राज्यों में ऑक्सीजन की सप्लाई की. उन्होंने बताया कि भेल अपने यहां पांच और दस किलो के ऑक्सीजन प्लांट बनाने जा रहा है, जिससे किसी को ऑक्सीजन की कमी महसूस नहीं होगी.

हरिद्वार : बीते कुछ सालों से जिस बीएचईएल को निजी हाथों में देने की चर्चा चल रही है, वही बीएचईएल एक बार फिर भारतीय नौसेना के लिए हथियार बनाने जा रहा है. ऐसा हथियार, जिसके बनने के बाद कोई भी दुश्मन देश भारत से भिड़ने से पहले सौ बार सोचेगा.

बता दें बीएचईएल एक ऐसी अत्याधुनिक गन तैयार कर रहा है, जो अब तक पूरे विश्व में कुछ ही देश इस्तेमाल करते हैं. खास बात यह है कि जो देश इस गन का इस्तेमाल कर भी रहे हैं, वह अमेरिका और इजरायल से मंगवाते हैं. मेड इन इंडिया के तहत हरिद्वार बीएचईएल को रक्षा मंत्रालय ने यह गन बनाने का जिम्मा सौंपा है. तमाम फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद हरिद्वार स्थित बीएचईएल ने इसके लिए हामी भर दी है. बहुत जल्द भारतीय नौसेना के बेड़े में इन दोनों को शामिल कर दिया जाएगा.

मेड इन इंडिया से बढ़ेगी ताकत

पिछले दो दशक से दे रहा सेवाएं

यूं तो बीएचईएल नौसेना को अपनी सेवाएं पिछले दो दशक से दे रहा है. इसी क्रम में भेल को भारतीय नौसेना के लिए दो गन का निर्माण करने के ऑर्डर प्राप्त हुए हैं. वहीं 7 अन्य के जल्द ही ऑर्डर प्राप्त होने की संभावना है. भेल बीते दो दशकों से भारतीय नौसेना के लिए सुपर रैपिड गन माउंटिंग 76/62 (एसआरजीएर) का निर्माण कर रहा है. हल्की और क्रासवेल सर्वो कंट्रोल्ड गन एयर डिफेंस और एंटी सरफेस भूमिका में बेहतर प्रदर्शन के साथ रैपिड फायर भी करेगी.

बीएचईएल के अधिकारी अनिल कपूर कहते हैं कि इस गन के नौसेना में शामिल होने के बाद नौसेना की शक्ति कई गुना और बढ़ जाएगी. इतना ही नहीं अगर कोई दुश्मन भारतीय नौसेना की तरफ आंख उठाकर भी देखेगा तो भारतीय नौसेना इस गन से उसे ऐसा जवाब दे सकती है कि शायद ही फिर कोई दुश्मन हमारी तरफ आंख उठाने की हिम्मत करे.

इटली की कंपनी के साथ समझौता

अनिल कपूर कहते हैं कि सुपर रैपिड गन माउंटिंग की क्षमता को लगभग दोगुना किया जा रहा है, जिसके लिए बीएचईएल द्वारा इटली की कंपनी के साथ समझौता भी किया गया है. अनिल कपूर ने बताया कि भेल द्वारा निर्मित 47 गन नौसेना द्वारा उपयोग में लाई जा रही हैं. अभी उन्हें नौसेना से दो गन का ऑर्डर प्राप्त हुआ है. 7 गन और अलग किस्म की बननी हैं.

उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि भेल को जल्द ही 55 गन का ऑर्डर मिलेगा. उन्होंने बताया कि भेल द्वारा नवनिर्मित यह गन मारक क्षमता और क्वालिटी में और बेहतर होंगी. ये नौसेना के लिए वर्ल्ड क्वालिटी का प्रोडक्ट बना रहे हैं. वहीं, ऊर्जा के क्षेत्र में भी भेल लगातार कार्य करता रहा है. 70 मेगावाट के 6 सेट का ऑर्डर अभी प्राप्त हुआ है. साथ ही हाइड्रोपावर के क्षेत्र में कार्य आगे बढ़ रहा है. इन सब कामों के साथ-साथ बीएचईएल द्वारा मेक इन इंडिया ग्रुप बनाया गया, जिसके तहत भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है.

पढ़ें- सुखबीर सिंह संधू होंगे उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव, NHAI से हुए रिलीव

वहीं, हरिद्वार भेल के महाप्रबंधक संजय गुलाटी की मानें तो भेल लंबे समय से नौसेना के लिए इस गन को बनाने का काम कर रहा है. हमें इस बात का गर्व हुआ कि हरिद्वार बीएचईएल को भारतीय नौसेना के लिए इस तरह के हथियार बनाने के लिए चुना गया है, जिसके बाद हमारे तमाम इंजीनियर अब इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए लग गए हैं. उनका कहना है कि इस प्रोजेक्ट में काम करने वाला 1-1 इंजीनियर बड़े गर्व के साथ अपने काम को अंजाम दे रहा है.

भेल को न्यूक्लियर टरबाइन बनाने का भी ऑर्डर

नौसेना के अलावा हाइड्रो पावर सेक्टर ने भी हरिद्वार बीएचईएल को न्यूक्लियर टरबाइन बनाने का ऑर्डर दिया है, जिसका काम जोरों शोरों पर चल रहा है. अनिल कपूर ने बताया कि कोरोना काल में भेल ने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए उत्तराखंड सहित उत्तर प्रदेश, भोपाल, एनसीआर अन्य कई राज्यों में ऑक्सीजन की सप्लाई की. उन्होंने बताया कि भेल अपने यहां पांच और दस किलो के ऑक्सीजन प्लांट बनाने जा रहा है, जिससे किसी को ऑक्सीजन की कमी महसूस नहीं होगी.

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