नई दिल्ली: आरटीआई से प्राप्त दास्तावेज़ों के आधार पर युवाओं की बेरोजगारी और एसएससी भर्ती में अनियमितताओं के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन छेड़ने वाले संगठन 'युवा हल्ला बोल' ने दावा किया है कि एसएससी चेयरमैन अशीम खुराना की नियुक्ति में नियमों की भारी अनदेखी हुई है और न केवल उनकी नियुक्ति असंवैधानिक थी, बल्कि उनके सेवा काल का बढ़ाया जाना भी असंवैधानिक था.
गौरतलब है कि अशीम खुराना को नवंबर 2015 में एसएससी का चेयरमैन नियुक्त किया गया था. खुराना गुजरात से 1983 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.
आरटीआई दस्तावेजों का हवाला देते हुए यूथ फॉर स्वराज के नेता और युवा हल्ला बोल के संयोजक अनुपम ने कहा कि जब एसएससी चेयरमैन पद के लिये नियुक्ति के लिये कुल 35 अधिकारियों ने आवेदन किया, तो अशीम खुराना उनमें नहीं थे. जब 35 अधिकारियों में से कुल चार अधिकारियों को इंटरव्यू के लिये बुलाया गया, तो खुराना उसमें भी नहीं थे. लेकिन अचानक से एक दिन चार सदस्यीय बेंच ने फैसला किया कि वो 'सर्च मोड' के जरिये नियुक्ति करेंगे और उसी दिन अशीम खुराना को उनका नाम भी सूझ गया, जिसके बाद तीन अधिकारियों की अंतिम सूची में अशीम खुराना पहले नंबर पर थे.
युवा हल्ला बोल ने ये भी कहा कि नियम के अनुसार 59 साल से कम आयु के अधिकारी ही इस पद के लिये नियुक्त हो सकते हैं, लेकिन जब खुराना की नियुक्ति हुई तो उनकी उम्र 59 से ज्यादा थी. जैसे ही खुराना की नियुक्ति नवंबर 2015 में हुई, उसके बाद जनवरी 2016 में एक प्राइवेट कंपनी को एसएससी ऑनलाइन परीक्षा करवाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया.जिसके बाद पेपर लीक का बड़ा मामला सामने आया.
'युवा हल्ला बोल' ने तमाम कागजात सार्वजनिक किये हैं, जिससे अशीम खुराना की नियुक्ति पर बड़े सवाल खड़े होते हैं. युवा संगठन ने इस मुद्दे को ले कर दिल्ली हाई कोर्ट में गई है.
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छात्र संगठन का कहना है कि जब अशीम खुराना नियुक्ति प्रक्रिया में कहीं भी नहीं थे, तो अचानक से अंतिम सूची में पहले नंबर पर कैसे आ गए. और जब उम्र और आवेदन के हिसाब से भी वह उपयुक्त नहीं थे, तो कैसे एसएससी के चेयरमैन जैसे बड़े संवैधानिक पद पर उनको बिठाया गया.