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तेलंगाना : जानें, किन हालात में काम कर रहे हैदराबाद के युवा चिकित्सक

कोरोना योद्धाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है. विशेष रूप से सरकारी अस्पतालों में कोरोना योद्धा अपनी जान जोखिम में डाल दिन-रात कोरोना रोगियों का इलाज कर रहे हैं. जानें, किन हालात में कोरोना योद्धा काम कर रहे हैं.

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Published : Jul 29, 2020, 5:22 PM IST

salute to the young doctors
डॉक्टरों को सलाम

हैदराबाद : कोरोना वायरस का संक्रमण दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. इसे देखते हुए तेलुगु राज्यों में युवा डॉक्टरों ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया है. कोरोना योद्धाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से सरकारी अस्पतालों में. कोरोना योद्धा अपनी जान जोखिम में डाल के दिन-रात कोरोना रोगियों का इलाज कर रहे हैं.

उपचार के मामले में संबंधित विभागों के प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर प्रमुख भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनके दिशानिर्देशों को लागू करने में प्रमुख भूमिका सहायक प्रोफेसर, पीजी छात्र और हाउस सर्जन निभाते हैं. पीजी के दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों के साथ पहले वर्ष के छात्र भी सेवा देने के लिए आगे आ रहे हैं. यहां तक क्लीनिकल विभागों से संबंधित छात्र भी हिस्सा ले रहे हैं, जो प्रेरणादायक हैं.

गांधी अस्पताल की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अलेखा गत एक अप्रैल से कोविड-19 के मरीजों की सेवा कर रही हैं. उनके पति एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. डॉ. अलेखा भले ही घर पर रह रही हों, फिर भी वह अपने बेटे को अपनी गोद में नहीं ले पा रही हैं.

उस्मानिया अस्पताल में कोविड-19 के रोगियों का उपचार नहीं किया जा रहा है, लेकिन शुरुआती लक्षण वाले मरीजों के नमूने एकत्र किए जाते हैं और उन्हें परीक्षण के लिए भेजते हैं. यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो ऐसे मरीजों को गांधी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया जाता है. इस बीच मरीजों का इलाज करते डॉक्टर भी कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं. जनरल मेडिसिन की अंतिम वर्ष की छात्रा मनीषा की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली, लेकिन उपचार के बाद वह अपनी ड्यूटी पर वापस आ गई हैं.

12 घंटे की ड्यूटी
जीजीएच विजयवाड़ा जनरल सर्जन प्रोफेसर शिव शंकर का कहना है कि छात्र डॉक्टर हर दिन कम से कम 8 घंटे के लिए ड्यूटी पर होते हैं. कुछ 12 घंटे तक भी रुक रहे हैं. कई परिवार के सदस्य मरीजों के ठीक होने के बाद भी उनके पास जाने में संकोच करते हैं, लेकिन डॉक्टर विश्वास के साथ सेवा दे रहे हैं. उनमें से, जनरल मेडिसिन और पल्मोनोलॉजी विभागों से संबंधित लोग पूरी तरह से कार्य कर रहे हैं.

मरीज की रिकवरी से मिल रही संतुष्टि
गांधी अस्पताल जनरल मेडिसिन के अंतिम वर्ष के छात्र डॉ. के. विनय का कहना है, 'शुरुआती दिनों में, हम कोविड के उपचार के लिए दिन-रात सेवा देते थे. अब हम थोड़ा राहत महसूस कर रहे हैं. मरीज की रिकवरी के बाद छुट्टी देने से संतुष्टि मिलती है.'

मेरे परिवार ने कहा- नहीं, फिर भी मैंने ज्वॉइन किया
गांधी अस्पताल में फिजियोलॉजी प्रथम वर्ष की छात्रा राम्याश्री बताती हैं कि वह शुरू से ही गांधी अस्पताल में पीजी में शामिल होना चाहती थीं. हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण उन्हें परिवार के सदस्यों ने रोकने की कोशिश की, लेकिन जब उन्होंने जोर दिया, तो वे कुछ नहीं कह सके. राम्याश्री ने बताया कि जल्द ही, उन्हें कोविड वार्डों में पोस्टिंग मिलने वाली है. वहां सेवा देने के लिए वह तैयार हैं.

पढ़ें : जून तक भारत में कोरोना से करीब 100 डॉक्टरों की मौत : आईएमए

मेरे परिवार वालों का पूरा सहयोग
तृतीय वर्ष पीजी स्टूडेंट मोनिका ने कहा, 'मेरे पति एक फार्मा कॉलेज में शोधकर्ता हैं. हमारा एक बेटा है. मेरे ससुराल वाले भी मेडिकल से जुड़े हुए हैं. वे सभी जानते हैं कि मैं कोविड-19 के मरीजों को सेवा दे रही हूं. फिर भी, मेरे घर के लोग पूरी तरह से मेरे साथ खड़े हैं. हमारे अपार्टमेंट वाले भी मेरा सहयोग कर रहे हैं. मुझे कोरोना मरीजों की सेवा करने में कोई समस्या नहीं है. मैं इससे संतुष्ट हूं.

हैदराबाद : कोरोना वायरस का संक्रमण दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. इसे देखते हुए तेलुगु राज्यों में युवा डॉक्टरों ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया है. कोरोना योद्धाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से सरकारी अस्पतालों में. कोरोना योद्धा अपनी जान जोखिम में डाल के दिन-रात कोरोना रोगियों का इलाज कर रहे हैं.

उपचार के मामले में संबंधित विभागों के प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर प्रमुख भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनके दिशानिर्देशों को लागू करने में प्रमुख भूमिका सहायक प्रोफेसर, पीजी छात्र और हाउस सर्जन निभाते हैं. पीजी के दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों के साथ पहले वर्ष के छात्र भी सेवा देने के लिए आगे आ रहे हैं. यहां तक क्लीनिकल विभागों से संबंधित छात्र भी हिस्सा ले रहे हैं, जो प्रेरणादायक हैं.

गांधी अस्पताल की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अलेखा गत एक अप्रैल से कोविड-19 के मरीजों की सेवा कर रही हैं. उनके पति एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. डॉ. अलेखा भले ही घर पर रह रही हों, फिर भी वह अपने बेटे को अपनी गोद में नहीं ले पा रही हैं.

उस्मानिया अस्पताल में कोविड-19 के रोगियों का उपचार नहीं किया जा रहा है, लेकिन शुरुआती लक्षण वाले मरीजों के नमूने एकत्र किए जाते हैं और उन्हें परीक्षण के लिए भेजते हैं. यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो ऐसे मरीजों को गांधी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया जाता है. इस बीच मरीजों का इलाज करते डॉक्टर भी कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं. जनरल मेडिसिन की अंतिम वर्ष की छात्रा मनीषा की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली, लेकिन उपचार के बाद वह अपनी ड्यूटी पर वापस आ गई हैं.

12 घंटे की ड्यूटी
जीजीएच विजयवाड़ा जनरल सर्जन प्रोफेसर शिव शंकर का कहना है कि छात्र डॉक्टर हर दिन कम से कम 8 घंटे के लिए ड्यूटी पर होते हैं. कुछ 12 घंटे तक भी रुक रहे हैं. कई परिवार के सदस्य मरीजों के ठीक होने के बाद भी उनके पास जाने में संकोच करते हैं, लेकिन डॉक्टर विश्वास के साथ सेवा दे रहे हैं. उनमें से, जनरल मेडिसिन और पल्मोनोलॉजी विभागों से संबंधित लोग पूरी तरह से कार्य कर रहे हैं.

मरीज की रिकवरी से मिल रही संतुष्टि
गांधी अस्पताल जनरल मेडिसिन के अंतिम वर्ष के छात्र डॉ. के. विनय का कहना है, 'शुरुआती दिनों में, हम कोविड के उपचार के लिए दिन-रात सेवा देते थे. अब हम थोड़ा राहत महसूस कर रहे हैं. मरीज की रिकवरी के बाद छुट्टी देने से संतुष्टि मिलती है.'

मेरे परिवार ने कहा- नहीं, फिर भी मैंने ज्वॉइन किया
गांधी अस्पताल में फिजियोलॉजी प्रथम वर्ष की छात्रा राम्याश्री बताती हैं कि वह शुरू से ही गांधी अस्पताल में पीजी में शामिल होना चाहती थीं. हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण उन्हें परिवार के सदस्यों ने रोकने की कोशिश की, लेकिन जब उन्होंने जोर दिया, तो वे कुछ नहीं कह सके. राम्याश्री ने बताया कि जल्द ही, उन्हें कोविड वार्डों में पोस्टिंग मिलने वाली है. वहां सेवा देने के लिए वह तैयार हैं.

पढ़ें : जून तक भारत में कोरोना से करीब 100 डॉक्टरों की मौत : आईएमए

मेरे परिवार वालों का पूरा सहयोग
तृतीय वर्ष पीजी स्टूडेंट मोनिका ने कहा, 'मेरे पति एक फार्मा कॉलेज में शोधकर्ता हैं. हमारा एक बेटा है. मेरे ससुराल वाले भी मेडिकल से जुड़े हुए हैं. वे सभी जानते हैं कि मैं कोविड-19 के मरीजों को सेवा दे रही हूं. फिर भी, मेरे घर के लोग पूरी तरह से मेरे साथ खड़े हैं. हमारे अपार्टमेंट वाले भी मेरा सहयोग कर रहे हैं. मुझे कोरोना मरीजों की सेवा करने में कोई समस्या नहीं है. मैं इससे संतुष्ट हूं.

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