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पिता की मौत और चोट से भी नहीं टूटा हौसला : ये है मल्ल विनेश फोगाट के संघर्ष की कहानी

पहलवान विनेश फोगाट को रियो ओलंपिक के दौरान चोट लगने के कारण जनवरी 2017 तक मैट पर नहीं उतर पाईं थी. फिर भी इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और दोबारा अखाड़े में उतरकर कड़ी मेहनत की. विनेश फोगाट अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय पहलवान बन गई हैं. जानें उनके बारे में...

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Published : Jan 16, 2020, 12:06 AM IST

चरखी दादरी/ चंडीगढ़ : जुनून हो तो विनेश फोगाट जैसा, रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद करीब डेढ़ साल बिस्तर पर रही. फिर शानदार वापसी करते हुए विश्व चैंपियन ने ऐसा दांव लगाया कि गोल्ड जीतकर सीधे टोक्यो ओलंपिक 2020 का टिकट पा लिया.

इस बहादुर बेटी को पहले पिता की मौत फिर रियो ओलंपिक में ऐसी चोटी लगी कि जिंदगी ठहर सी गई. फिर भी चरखी दादरी की बहादुर बेटी का जज्बा कम न हुआ और एशियन खेलों में महिला कुश्ती में पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया.

देखें कहानी विनेश फोगाट की

यूक्रेन में जारी है ओलंपिक की तैयारी
इतना ही नहीं बल्कि शादी के बाद भी विनेश विश्व चैंपियन बनने के साथ टोक्यो ओलंपिक में रियो की चोट का बदला लेते हुए देश के लिए गोल्ड जीतने के लिए अखाड़े में उतरी हैं. विनेश अब यूक्रेन की राजधानी कीव में ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं.

साल 2003 में हुआ था पिता का निधन
हरियाणा के चरखी दादरी के गांव बलाली निवासी विनेश फोगाट के पिता का साल 2003 में देहांत हो गया था. पिता की मौत के बाद ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फोगाट ने विनेश और उनकी छोटी बहन को अपनाया और अपनी बेटियों के साथ अखाड़े में उतारा. ताऊ के विश्वास व गीता-बबीता बहनों से प्रेरणा लेते हुए विनेश फोगाट ने एशियन खेलों के साथ-साथ विश्व चैंपियनशीप में गोल्ड जीतकर पुराने जख्मों पर मरहम लगा दिया. विनेश ने अपने परिवार और जिले के लोगों की आस के अनुरूप जीत हासिल की है.

टोक्यो ओलंपिक 2020 की सीट पक्की
विनेश ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं. परिवार, क्षेत्र के लोग विनेश की इस उपलब्धि पर खुशी से झुम उठे. द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट की भतीजी और गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश फोगाट को रियो ओलंपिक के दौरान चोट लगने से जनवरी 2017 तक मैट पर नहीं उतर पाईं थी. फिर भी इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और दोबारा अखाड़े में उतरकर कड़ी मेहनत की. इसी मेहनत के बलबूते विनेश ने 53 किलोग्राम की कैटेगरी में देश के लिए कई पदक भी जीते.

2018 में की शादी
साल 2018 में पहलवान सोमबीर राठी के साथ शादी करने के बाद भी विनेश लगातार अखाड़े में उतरकर ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाली देश की पहली महिला रेसलर का खिताब हासिल करना चाहती हैं. इसी मकसद से विनेश अब यूक्रेन की राजधानी कीव में प्रेक्टिस कर रही हैं.

अर्जुन अवॉर्डी हैं विनेश
विनेश फोगाट चोट लगने से पूर्व 48 किलोग्राम वर्ग में खेलती थी. साल 2018 कॉमनवेल्थ में विनेश ने 50 किलोग्राम वर्ग में उतरते हुए गोल्ड मेडल जीता था. सरकार द्वारा विनेश की प्रतिभा और उसके खेल को देखते हुए अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था. विनेश कॉमनवेल्थ में दो गोल्ड और एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं.

महावीर फोगाट को विनेश पर भरोसा
बेटी की उपलब्धि पर ताऊ महावीर फोगाट ने बताया कि विनेश ने हिम्मत से चोट से लड़ाई लड़ी और देश के लिए कई मेडल जीते हैं. भाई हरविंद्र ने बताया कि विनेश और हमने महाबीर फोगाट को ही अपना पिता माना और उनके दिखाए मार्ग पर चले. प्रेरणा लेते हुए विनेश ने अपने रिकार्ड को बढ़ाते हुए गोल्ड जीतकर मेडलों की संख्या में इजाफा किया है. टोक्यो ओलंपिक में विनेश गोल्ड जीतेगी और दोहरी खुशी देगी.

सहेलियां विनेश की उपलब्धियों से खुश
विनेश की बचपन की सहेलियां कविता और सुनीता ने बताया कि वे पहली से आठवीं कक्षा तक साथ पढ़ी हैं. बचपन से ही विनेश का ध्यान खेलों पर रहा है. बड़ी बहन गीता और बबीता के कुश्ती के अखाड़े में उतरीं तो पहलवानी शुरू कर दी थी. विनेश ने गीता और बबीता से भी बढ़कर अनेक मेडल जीते हैं और अब ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतकर लाएंगी. विनेश की मेहनत को सलाम करते हुए सहेलियों ने कहा कि विनेश विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बनकर उनके गांव व देश का नाम रोशन करेंगी. देश को उम्मीद है कि विनेश टॉक्यो ओलंपिक 2020 पदक जरूर लाएंगी.

ये भी पढ़ें- भारत का 'मिनी क्यूबा' भिवानी, जहां हर घर में पैदा होता है बॉक्सर

चरखी दादरी/ चंडीगढ़ : जुनून हो तो विनेश फोगाट जैसा, रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद करीब डेढ़ साल बिस्तर पर रही. फिर शानदार वापसी करते हुए विश्व चैंपियन ने ऐसा दांव लगाया कि गोल्ड जीतकर सीधे टोक्यो ओलंपिक 2020 का टिकट पा लिया.

इस बहादुर बेटी को पहले पिता की मौत फिर रियो ओलंपिक में ऐसी चोटी लगी कि जिंदगी ठहर सी गई. फिर भी चरखी दादरी की बहादुर बेटी का जज्बा कम न हुआ और एशियन खेलों में महिला कुश्ती में पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया.

देखें कहानी विनेश फोगाट की

यूक्रेन में जारी है ओलंपिक की तैयारी
इतना ही नहीं बल्कि शादी के बाद भी विनेश विश्व चैंपियन बनने के साथ टोक्यो ओलंपिक में रियो की चोट का बदला लेते हुए देश के लिए गोल्ड जीतने के लिए अखाड़े में उतरी हैं. विनेश अब यूक्रेन की राजधानी कीव में ओलंपिक की तैयारी कर रही हैं.

साल 2003 में हुआ था पिता का निधन
हरियाणा के चरखी दादरी के गांव बलाली निवासी विनेश फोगाट के पिता का साल 2003 में देहांत हो गया था. पिता की मौत के बाद ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फोगाट ने विनेश और उनकी छोटी बहन को अपनाया और अपनी बेटियों के साथ अखाड़े में उतारा. ताऊ के विश्वास व गीता-बबीता बहनों से प्रेरणा लेते हुए विनेश फोगाट ने एशियन खेलों के साथ-साथ विश्व चैंपियनशीप में गोल्ड जीतकर पुराने जख्मों पर मरहम लगा दिया. विनेश ने अपने परिवार और जिले के लोगों की आस के अनुरूप जीत हासिल की है.

टोक्यो ओलंपिक 2020 की सीट पक्की
विनेश ने टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं. परिवार, क्षेत्र के लोग विनेश की इस उपलब्धि पर खुशी से झुम उठे. द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट की भतीजी और गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश फोगाट को रियो ओलंपिक के दौरान चोट लगने से जनवरी 2017 तक मैट पर नहीं उतर पाईं थी. फिर भी इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और दोबारा अखाड़े में उतरकर कड़ी मेहनत की. इसी मेहनत के बलबूते विनेश ने 53 किलोग्राम की कैटेगरी में देश के लिए कई पदक भी जीते.

2018 में की शादी
साल 2018 में पहलवान सोमबीर राठी के साथ शादी करने के बाद भी विनेश लगातार अखाड़े में उतरकर ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाली देश की पहली महिला रेसलर का खिताब हासिल करना चाहती हैं. इसी मकसद से विनेश अब यूक्रेन की राजधानी कीव में प्रेक्टिस कर रही हैं.

अर्जुन अवॉर्डी हैं विनेश
विनेश फोगाट चोट लगने से पूर्व 48 किलोग्राम वर्ग में खेलती थी. साल 2018 कॉमनवेल्थ में विनेश ने 50 किलोग्राम वर्ग में उतरते हुए गोल्ड मेडल जीता था. सरकार द्वारा विनेश की प्रतिभा और उसके खेल को देखते हुए अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था. विनेश कॉमनवेल्थ में दो गोल्ड और एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं.

महावीर फोगाट को विनेश पर भरोसा
बेटी की उपलब्धि पर ताऊ महावीर फोगाट ने बताया कि विनेश ने हिम्मत से चोट से लड़ाई लड़ी और देश के लिए कई मेडल जीते हैं. भाई हरविंद्र ने बताया कि विनेश और हमने महाबीर फोगाट को ही अपना पिता माना और उनके दिखाए मार्ग पर चले. प्रेरणा लेते हुए विनेश ने अपने रिकार्ड को बढ़ाते हुए गोल्ड जीतकर मेडलों की संख्या में इजाफा किया है. टोक्यो ओलंपिक में विनेश गोल्ड जीतेगी और दोहरी खुशी देगी.

सहेलियां विनेश की उपलब्धियों से खुश
विनेश की बचपन की सहेलियां कविता और सुनीता ने बताया कि वे पहली से आठवीं कक्षा तक साथ पढ़ी हैं. बचपन से ही विनेश का ध्यान खेलों पर रहा है. बड़ी बहन गीता और बबीता के कुश्ती के अखाड़े में उतरीं तो पहलवानी शुरू कर दी थी. विनेश ने गीता और बबीता से भी बढ़कर अनेक मेडल जीते हैं और अब ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतकर लाएंगी. विनेश की मेहनत को सलाम करते हुए सहेलियों ने कहा कि विनेश विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बनकर उनके गांव व देश का नाम रोशन करेंगी. देश को उम्मीद है कि विनेश टॉक्यो ओलंपिक 2020 पदक जरूर लाएंगी.

ये भी पढ़ें- भारत का 'मिनी क्यूबा' भिवानी, जहां हर घर में पैदा होता है बॉक्सर

Intro:पहले पिता की मौत फिर ओलंपिक में चोट के बाद भी विनेश का जज्बा...
: विनेश फौगाट से टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड की आश
: शादी के बाद पहली बार ओलंपिक के रिंग में उतरेगी विनेश
: परिजनों को रियो ओलंपिक की चोट का गम जरूर, इतिहास रचने की है आश
प्रदीप साहू
चरखी दादरी। जुनून हो तो विनेश फौगाट बहादुर बेटी जैसा, रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद करीब डेढ़ साल बिस्तर पर रही। फिर शानदार वापसी करते हुए विश्व चैंपियन में ऐसा दांव लगाया कि गोल्ड जीतकर सीधे टोक्यो ओलंपिक का टिकट पा लिया। इस बहादुर बेटी ने पहले पिता की मौत फिर रियो ओलंपिक में ऐसी चोटी लगी कि जिंदगी ठहर सी गई। फिर भी चरखी दादरी की बहादुर बेटी का जज्बा कम नहीं हुआ और एशियन खेलों में महिला कुश्ती में पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रचा है। इतना ही नहीं बल्कि शादी के बाद भी विनेश विश्व चैंपियन बनने के साथ टोक्यो ओलंपिक में रियो की चोट का बदला लेते हुए देश के लिए गोल्ड जीतने के लिए अखाड़े में उतरी है। विनेश अब यूके्रन की राजधानी कीव में ओलंपिक की तैयारी कर रही है।Body:बता दें कि चरखी दादरी के गांव बलाली निवासी विनेश फौगाट के पिता का वर्ष 2003 में देहांत हो गया था। पिता की मौत के बाद ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फौगाट ने विनेश व उसकी छोटी बहन को अपनाया और अपनी बेटियों के साथ अखाड़े में उतारा। ताऊ के विश्वास व गीता-बबीता बहनों से प्रेरणा लेते हुए विनेश फौगाट ने एशियन खेलों के साथ-साथ विश्व चैंपियनशीप में गोल्ड जीतकर पुराने जख्मों पर मरहम लगा दिया। विनेश ने अपने परिवार व जिले के लोगों की आश के अनुरूप जीत हांसिल की है। इसी का परिणाम है कि विनेश ने टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाई किया। परिवार, क्षेत्र के लोग विनेश की इस उपलब्धि पर खुशी से झुम उठे। द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फौगाट की भतीजी और गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश फौगाट को रियो ओलंपिक के दौरान चोट लगने से जनवरी 2017 तक मैट पर नहीं उतर पाईं थी। फिर भी इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और दोबारा अखाड़े में उतरकर कड़ी मेहनत की। इसी मेहनत के बलबूते विनेश ने 53 किलोग्राम की कैटेगरी में देश के लिए कई मेडल भी जीते। वर्ष 2018 में पहलवान सोमबीर राठी के साथ शादी करने के बाद भी विनेश लगातार अखाड़ेे में उतरकर ओलंपिक में गोल्ड जीतकर देश की पहली महिला रेसलर का खिताब हांसिल करना चाहती है। इसी मकसद से विनेश अब यूके्रन की राजधानी कीव में सोना जीतने के लिए प्रेक्टिस कर रही है।
विनेश फौगाट चोट लगने से पूर्व 48 किलोग्राम वर्ग में खेलती थी। पिछले वर्ष अपै्रल माह में हुए कॉमनलवेल्थ में विनेश ने 50 किलोग्राम वर्ग में रिंग में उतरते हुए गोल्ड मेडल जीता था। सरकार द्वारा विनेश की प्रतिभा व उसके खेल को देखते हुए अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था। विनेश कॉमनवेल्थ में दो गोल्ड और एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं।Conclusion:बाक्स:-
ताऊ की हिम्मत ने विनेश का सपना पूरा किया
गीता-बबीता की मां दयाकौर की छोटी बहन प्रेमलता विनेश की मां हैं। मौसी की बेटियों के साथ ही विनेश ने ज्यादतर समय अखाड़े में ही बिताया है। बेटी की उपलब्धि पर ताऊ महावीर फौगाट ने बताया कि विनेश की हिम्मत ने कर चोट से लड़ाई लड़ी और देश के लिए कई मेडल जीते हैं। भाई हरविंद्र ने बताया कि विनेश व हमने महाबीर फौगाट को ही अपना पिता माना और उनके दिखाए मार्ग पर चले। प्रेरणा लेते हुए विनेश ने अपने रिकार्ड को बढाते हुए गोल्ड जीतकर मैडलों की संख्या में इजाफा किया है। टोक्यो ओलंपिक में विनेश गोल्ड जीतेगी और दोहरी खुशी देगी।
बाक्स:-
सहेलियां बोली, विनेश की मेहनत को सलाम
विनेश की बचपन की सहेलियां कविता व सुनीता ने बताया कि वे पहली से आठवीं कक्षा तक साथ पढ़ी हैं। बचपन से ही विनेश का ध्यान खेलों पर रहा है। बड़ी बहन गीता व बबीता के कुश्ती के अखाड़े में उतरी तो पहलवानी शुरू कर दी थी। विनेश ने गीता व बबीता से भी बढ़कर अनेक मेडल जीते हैं और अब ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतकर लाएंगी। विनेश की मेहनत को सलाम करते हुए सहेलियों ने कहा कि विनेश विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बनकर उनके गांव व देश का नाम रोशन करेंगी।
विजवल:- 1
चरखी दादरी का गांव बलाली का गेट, टीवी देखते ग्रामीण व परिजन, खुशियां मनाते व अन्य जीत के कट शाटस
बाईट:- 2
अमित कुमार, सरपंच
बाईट:- 3
कविता, विनेश की सहेली
बाईट:- 4
सुनीता, विनेश की सहेली
बाईट:- 5
हरविंद्र, विनेश का भाई
बाईट:- 6
महावीर फौगाट, ताऊ व द्रोणाचार्य अवार्डी
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