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विश्व शरणार्थी दिवस : पाक विस्थापिक अब भी अपने वजूद के लिए तरस रहे

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Published : Jun 20, 2020, 9:53 PM IST

विश्व शरणार्थी दिवस पर हम बात कर रहे हैं ऐसे शरणार्थियों की जो पाकिस्‍तान से आकर भारत में अब भी अपने वजूद के लिए तरस रहे हैं. इसके लिए जब ईटीवी भारत की टीम जोधपुर शहर से दूर चोखा क्षेत्र की पथरीली जगह पर रहने वाले इन शरणार्थियों के पास पहुंची तो कई बातें सामने आई. इस कई ऐसे लोग मिले, जिन्होंने अपना दर्द ईटीवी भारत से साझा किया.

World Refugee Day special on yearning pak migrants in jodhpur rajasthan
शरणार्थी

जोधपुर : देश के कई ऐसे हिस्से हैं, जहां पाक विस्थापित अपना डेरा डालकर रह रहे हैं. कुछ ऐसे पाक विस्थापित हैं, जो आज भी अपना वजूद पाने के लिए मोहताज हो रहे हैं. ऐसे ही जोधपुर के पाक विस्थापितों की कहानी है. इन्हें शहर में आए हुए एक अरसा बीत चुका है, लेकिन आज भी कई परिवारों को भारतीय नागरिकता पाने का इंतजार है.

आलम यह है कि उन्हें कदम-कदम पर कई परेशानियों से जूझना भी पड़ता है. खासतौर पर जब उन्हें अपनी पहचान साबित करनी होती है तो उनके लिए सबसे कठिन समय होता है. कई बार तो ऐसा होता है कि उन्हें अस्पतालों में उपचार तक नहीं मिल पाता.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इस बीच 20 जून विश्व शरणार्थी दिवस (World Refugee Day) के मौके पर जब ईटीवी भारत की टीम जोधपुर में रह रहे इन पाक विस्थापितों की कहानी जानने के लिए शहर से दूर चोखा क्षेत्र की पथरीली जगह पर रहने वाले इन शरणार्थियों के पास पहुंची तो इस दौरान कई बातें सामने आई, जिससे साफ होता है कि इनका जीवन वाकई में मुश्किलों भरा है.

बच्चों की स्कूल में दाखिले की बात हो या कहीं काम की तलाश हो, हर जगह इनसे इनकी पहचान पूछी जाती है. इनके लिए इससे भी बड़ी पीड़ा यहा है कि इन परिवारों को बरसों पहले यहां आते समय पाक पासपोर्ट पर ही वीजा मिला था, जो अब एक्सपायर हो चुके हैं. इसे रिन्यूअल कराने के लिए भी काफी बड़ा खर्चा होता है.

इस बीच जोधपुर में रहने वाले सुजाराम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 6 साल पहले 18 लोग यहां आए थे, लेकिन अभी तक किसी को भी नागरिकता नहीं मिली है. पासपोर्ट भी एक्सपायर हो चुके हैं, लेकिन इन्हें वापस रिन्यूअल कराना अब इनके बस में नहीं है. उन्होंने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि सरकारी अस्पताल में बिना आधार के निशुल्क उपचार भी नहीं मिलता.

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इस विषय में जब ताजाराम से बात की गई तो उनका कहना था कि परिवार के 8 सदस्य यहां आए थे, जो आज भी नागरिकता मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. वहीं, बुधाराम का कहना है कि उन्हें आए हुए 6 साल से अधिक का समय बीत चुका है, नागरिकता के लिए सभी कागजात भी जमा हो गए, लेकिन अभी तक इंतजार ही किया जा रहा है.

गौरतलब है कि जोधपुर के 4 बस्तियों में अलग-अलग जगहों पर पाक विस्थापित परिवार निवास कर रहा है. उनकी संख्या करीब 2,300 के आसपास है. इनमें से करीब 2,000 लोग अभी भी भारतीय नागरिकता का कयास लगाए बैठे हैं. खास बात यहा है कि केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल भी पारित कर दिया गया, लेकिन फिलहाल राजस्थान सरकार ने इसे अब तक लागू नहीं किया गया, जिससे इनके लिए एक परेशान भरा इंतजार अब भी जारी है.

जोधपुर : देश के कई ऐसे हिस्से हैं, जहां पाक विस्थापित अपना डेरा डालकर रह रहे हैं. कुछ ऐसे पाक विस्थापित हैं, जो आज भी अपना वजूद पाने के लिए मोहताज हो रहे हैं. ऐसे ही जोधपुर के पाक विस्थापितों की कहानी है. इन्हें शहर में आए हुए एक अरसा बीत चुका है, लेकिन आज भी कई परिवारों को भारतीय नागरिकता पाने का इंतजार है.

आलम यह है कि उन्हें कदम-कदम पर कई परेशानियों से जूझना भी पड़ता है. खासतौर पर जब उन्हें अपनी पहचान साबित करनी होती है तो उनके लिए सबसे कठिन समय होता है. कई बार तो ऐसा होता है कि उन्हें अस्पतालों में उपचार तक नहीं मिल पाता.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इस बीच 20 जून विश्व शरणार्थी दिवस (World Refugee Day) के मौके पर जब ईटीवी भारत की टीम जोधपुर में रह रहे इन पाक विस्थापितों की कहानी जानने के लिए शहर से दूर चोखा क्षेत्र की पथरीली जगह पर रहने वाले इन शरणार्थियों के पास पहुंची तो इस दौरान कई बातें सामने आई, जिससे साफ होता है कि इनका जीवन वाकई में मुश्किलों भरा है.

बच्चों की स्कूल में दाखिले की बात हो या कहीं काम की तलाश हो, हर जगह इनसे इनकी पहचान पूछी जाती है. इनके लिए इससे भी बड़ी पीड़ा यहा है कि इन परिवारों को बरसों पहले यहां आते समय पाक पासपोर्ट पर ही वीजा मिला था, जो अब एक्सपायर हो चुके हैं. इसे रिन्यूअल कराने के लिए भी काफी बड़ा खर्चा होता है.

इस बीच जोधपुर में रहने वाले सुजाराम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 6 साल पहले 18 लोग यहां आए थे, लेकिन अभी तक किसी को भी नागरिकता नहीं मिली है. पासपोर्ट भी एक्सपायर हो चुके हैं, लेकिन इन्हें वापस रिन्यूअल कराना अब इनके बस में नहीं है. उन्होंने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि सरकारी अस्पताल में बिना आधार के निशुल्क उपचार भी नहीं मिलता.

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इस विषय में जब ताजाराम से बात की गई तो उनका कहना था कि परिवार के 8 सदस्य यहां आए थे, जो आज भी नागरिकता मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. वहीं, बुधाराम का कहना है कि उन्हें आए हुए 6 साल से अधिक का समय बीत चुका है, नागरिकता के लिए सभी कागजात भी जमा हो गए, लेकिन अभी तक इंतजार ही किया जा रहा है.

गौरतलब है कि जोधपुर के 4 बस्तियों में अलग-अलग जगहों पर पाक विस्थापित परिवार निवास कर रहा है. उनकी संख्या करीब 2,300 के आसपास है. इनमें से करीब 2,000 लोग अभी भी भारतीय नागरिकता का कयास लगाए बैठे हैं. खास बात यहा है कि केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल भी पारित कर दिया गया, लेकिन फिलहाल राजस्थान सरकार ने इसे अब तक लागू नहीं किया गया, जिससे इनके लिए एक परेशान भरा इंतजार अब भी जारी है.

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