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TSRTC हड़ताल : 5 नवंबर के बाद कर्मचारियों की वापसी नहीं, सरकार ने चेताया

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि टीएसआरसीटीसी कर्मी पांच नवंबर तक ड्यूटी पर वापस नहीं आते हैं तो उन्हें आगे काम पर आने की अनुमति नहीं दी जाएगी और इसके लिए कर्मी जिम्मेदार होंगे. जानें पूरा विवरण

केसीआर ( फाइल फोटो)
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Published : Nov 5, 2019, 9:05 AM IST

हैदराबाद: हड़ताल कर रहे तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरसीटीसी) कर्मियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए तेलंगाना सरकार ने चार नवंबर को फैसला किया कि ड्यूटी पर लौटने की पांच नवंबर की समयसीमा समाप्त होने के बाद किसी भी कर्मी को काम पर लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

बता दे कि इससे पहले दो नवंबर को भी मुख्यमंत्री ने घोषणा किया था यदि पांच नवंबर तक कर्मी ड्यूटी पर नहीं आते हैं तो उन्हें वापस काम पर नहीं रखा जाएगा.

सरकार ने कहा कि यदि कर्मी हड़ताल जारी रखते हैं, तो वह निजी बस चालकों को कुल 10400 मार्गों में से 5000 मार्गों पर सेवाएं देने की अनुमति दे देगी जिससे टीएसआरसीटीसी का अस्तित्व वस्तुत: समाप्त हो जाएगा.

एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि इस स्थिति के लिए कर्मी ही जिम्मेदार होंगे और इसलिए उन्हें यह फैसला करना चाहिए कि उन्हें अपनी नौकरी बचानी है या अपने परिवारों को मुश्किल में डालना है.

मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता वाली एक बैठक में कहा गया कि यूनियन नेता उच्च न्यायालय में जारी सुनवाई का हवाला देते हुए कर्मियों को गलत जानकारी दे रहे हैं.

विज्ञप्ति में कहा गया, 'लेकिन कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार उच्च न्यायालय ने हड़ताल पर सरकार को कोई निर्देश नहीं दिया है.'

पढ़ें : TSRTC कर्मचारी 5 नवंबर तक ड्यूटी पर लौटें, CM केसी राव ने दी डेड लाइन

विज्ञप्ति में बैठक में हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा गया कि मामला उच्च न्यायालय में गया तो और लंबा खिंचेगा और इससे कर्मियों का कोई भला नहीं होगा.

इस बीच, कर्मचारी यूनियनों ने कहा कि सरकार को मुद्दे को हल करने के लिए पहले बातचीत करनी चाहिए.

कई मांगों को लेकर की जा रही बेमियादी हड़ताल 30 दिनों से जारी है. टीएसआरटीसी-जेएसी नेता ई अश्वत्थामा रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री कर्मचारियों में भरोसा पैदा नहीं कर पाए, बल्कि वह उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.

रेड्डी ने यहां पत्रकारों से कहा, 'मामले को हल करने के लिए पहले बातचीत की जानी चाहिए. यह मंत्रियों या आरटीसी प्रबंधन की एक समिति हो सकती थी, लेकिन मुख्यमंत्री एकतरफा फैसले ले रहे हैं. किसी के पास किसी को नौकरी से निकालने का अधिकार नहीं है.'

(भाषा इनपुट)

हैदराबाद: हड़ताल कर रहे तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरसीटीसी) कर्मियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए तेलंगाना सरकार ने चार नवंबर को फैसला किया कि ड्यूटी पर लौटने की पांच नवंबर की समयसीमा समाप्त होने के बाद किसी भी कर्मी को काम पर लौटने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

बता दे कि इससे पहले दो नवंबर को भी मुख्यमंत्री ने घोषणा किया था यदि पांच नवंबर तक कर्मी ड्यूटी पर नहीं आते हैं तो उन्हें वापस काम पर नहीं रखा जाएगा.

सरकार ने कहा कि यदि कर्मी हड़ताल जारी रखते हैं, तो वह निजी बस चालकों को कुल 10400 मार्गों में से 5000 मार्गों पर सेवाएं देने की अनुमति दे देगी जिससे टीएसआरसीटीसी का अस्तित्व वस्तुत: समाप्त हो जाएगा.

एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि इस स्थिति के लिए कर्मी ही जिम्मेदार होंगे और इसलिए उन्हें यह फैसला करना चाहिए कि उन्हें अपनी नौकरी बचानी है या अपने परिवारों को मुश्किल में डालना है.

मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता वाली एक बैठक में कहा गया कि यूनियन नेता उच्च न्यायालय में जारी सुनवाई का हवाला देते हुए कर्मियों को गलत जानकारी दे रहे हैं.

विज्ञप्ति में कहा गया, 'लेकिन कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार उच्च न्यायालय ने हड़ताल पर सरकार को कोई निर्देश नहीं दिया है.'

पढ़ें : TSRTC कर्मचारी 5 नवंबर तक ड्यूटी पर लौटें, CM केसी राव ने दी डेड लाइन

विज्ञप्ति में बैठक में हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा गया कि मामला उच्च न्यायालय में गया तो और लंबा खिंचेगा और इससे कर्मियों का कोई भला नहीं होगा.

इस बीच, कर्मचारी यूनियनों ने कहा कि सरकार को मुद्दे को हल करने के लिए पहले बातचीत करनी चाहिए.

कई मांगों को लेकर की जा रही बेमियादी हड़ताल 30 दिनों से जारी है. टीएसआरटीसी-जेएसी नेता ई अश्वत्थामा रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री कर्मचारियों में भरोसा पैदा नहीं कर पाए, बल्कि वह उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.

रेड्डी ने यहां पत्रकारों से कहा, 'मामले को हल करने के लिए पहले बातचीत की जानी चाहिए. यह मंत्रियों या आरटीसी प्रबंधन की एक समिति हो सकती थी, लेकिन मुख्यमंत्री एकतरफा फैसले ले रहे हैं. किसी के पास किसी को नौकरी से निकालने का अधिकार नहीं है.'

(भाषा इनपुट)

ZCZC
PRI GEN NAT
.HYDERABAD MDS15
TL-LD RTC
'Striking workers will not be taken back after Nov 5 deadline'
(Eds: adding details of meeting chaired by CM)
Hyderabad, Nov 4 (PTI) Toughening its stance against the
striking TSRCTC employees, the Telangana government on Monday
decided not to allow any of them to work after the expiry of
the November 5 deadline set by it to rejoin duty.
The government said if the employees continued their
stir, it would go ahead with the plan to permit private bus
operators to run services in 5,000 of the total of 10,400
routes, leading to a situation where the Telangana State
Road Transport Corporation virtually ceased to exist.
Employees would solely be responsible for such a
situation and should therefore decide whether to save their
jobs or trouble their families, a press release said.
A meeting chaired by Chief Minister K Chandrasekhar Rao,
in which transport minister P Ajay Kumar and top officials
took part, felt union leaders were giving a false impression
to the workers, citing ongoing proceedings in the High Court.
"But according to legal experts, the High Court has not
given any directives to the government on the strike. There is
nothing the court can do.
"If the High Court verdict is (on the) contrary, having
come this far on the matter, both the RTC and government will
move the Supreme Court," the release said.
         The meeting opined that the matter would get delayed
further if it goes to the Supreme Court, it said.
"Going by past experience, the case in Supreme Court may
drag on for months and years. It will be a never-ending
battle. Hence this will not do any good to the workers," it
said, quoting opinions expressed in the meeting.
Chief Minister K Chandrasekhar Rao had on Saturday said
the state cabinet decided to allot 5,100 of 10,400 routes to
private operators and warned that the other routes would also
be given to them if those on strike don't join duty by the
midnight of November 5.
Meanwhile, the unions urged the government to hold talks
with them to end the nearly month long state-wide strike,even
as officials hoped a good number would report for duty by the
November 5 deadline.
The leader of employees unions' Joint Action Committee
(JAC) E Ashwathama Reddy claimed that five of the 11 employees
who reported for work on Sunday following the government's
deadline, had since "returned".
"We once again appeal (to the Chief Minister)... invite
the JAC for talks," he told reporters.
Citing alleged suicides and deaths of employees due to
heart attacks, he asked the government to adopt a
humanitarian stance on the issue.
On the 31st day of the stir on Monday, workers staged sit
ins in front of depots,raised slogans in support of their
demands and tried to prevent some buses being taken out by
RTC, part of alternative arrangements being tried out.
The unions claimed that an employee died of a heart
attack in Nalgonda district.
Three employees had allegedly ended their lives and at
least five suicide attempts were reported since the strike
began on October 5.
JAC, which is spearheading the strike, had said that the
government should first hold talks with them to resolve the
issue and reiterated it would continue the stir.
TSRTC workers have been taking out protest rallies across
the state over their demands, with political parties and
different organizations extending support to the stir.
Nearly 48,000 employees had boycotted work and begun an
indefinite strike from October 5 across Telangana on a call by
the JAC, demanding merger of RTC with the government, pay
revision, recruitment to various posts, among others resulting
in state-run buses staying off the roads. PTI SJR
APR
APR
11042216
NNNN
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