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बंगाल में बढ़ा बवाल, सड़क पर उतरी ममता और भाजपा की लड़ाई

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Published : Oct 9, 2020, 1:34 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 3:00 PM IST

इस लेख में ईटीवी भारत के रीजनल न्यूज कॉर्डिनेटर दीपांकर बोस ने रेखांकित किया है कि कैसे बीजेपी नेताओं द्वारा आज की 'नवान्न चलो' रैली (जो हिंसक हो गई थी) का बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों में व्यापक प्रभाव पड़ेगा. तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ जमा हुई भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ के ऊपर पुलिस द्वारा वॉटर कैनन छोड़े गए. इस बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं पर जमकर लाठियां बरसाईं, जिसमें कई कार्यकर्ता घायल हो गए. आगे जाकर इन सबका क्या प्रभाव देखने को मिलेगा, इस पर सिर्फ विचार विमर्श जारी है.

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नबन्ना चलो

कोलकात्ता : पश्चिम बंगाल में एक बार फिर बीजेपी-तृणमूल कांग्रेस की लड़ाई सड़कों पर उतर आई है. कोलकाता में बीजेपी समर्थकों और पुलिस के बीच इस वक्त जबरदस्त भिड़ंत हुई. बीजेपी कार्यकर्ता सचिवालय मार्च पर उतरे तो पुलिस उनका रास्ता रोककर खड़ी हो गई है. इस तनातनी में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, पानी की बौछार करनी पड़ी. दरअसल, पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ हालिया हिंसा के खिलाफ पार्टी के कार्यकर्ता और नेता राज्य के अलग-अलग हिस्सों में रैलियां कर रहे हैं. इस बीच गुरुवार को कोलकाता में प्रदर्शन के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं और बंगाल पुलिस में भिड़ंत हो गई. बीजेपी युवा मोर्चा ने नवान्न (राज्य सचिवालय) तक मार्च निकालने की तैयारी की थी.

वॉटर कैनन से दिया पत्थरबाजी का जवाब
बताया जा रहा है कि मामले को बिगड़ता देख पुलिस ने हाबड़ा ब्रिज और विद्यासागर सेतु को बंद कर दिया. इसके साथ ही जगह-जगह बैरिकेडिंग लगा दिए. इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पत्थरबाजी शुरू कर दी. जवाब में कोलकाता पुलिस ने लाठीचार्ज किया और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया. इसके बाद भगदड़ मच गई. जिसके बाद बीजेपी कार्यकर्ता पीछे हटने लगे.

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बीजेपी नेताओं पर ममता सरकार का तांडव

नबन्ना से मार्च निकालने का आह्वान
विपक्षी भाजपा के युवा मोर्चे ने बंगाल में बढ़ती बेरोजगारी, एसएससी और प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में कथित गड़बड़ियों के साथ-साथ कानून-व्यवस्था के ध्वस्त होने के खिलाफ राज्य सचिवालय नबन्ना से मार्च निकालने का आह्वान किया था. हिंसक दृश्य, जो कोलकाता और हावड़ा के दो शहरों में देखा जा रहा है. इसके साथ ही एक विशाल पुलिस दल भी देखा गया, जिन्होंने संतरागाछी, हावड़ा मैदान, बाराबाजार, सेंट्रल एवेन्यू और हेस्टिंग्स क्षेत्रों में बीजेपी प्रदर्शनकारियों को दबाने का प्रयास किया. यह भी एक उपक्रम था क्योंकि पुलिस ने दिलीप घोष, मुकुल रॉय, अरविंद मेनन, कैलाश विजयवर्गीय और तेजस्वी सूर्या को रोक दिया था. इससे ममता बनर्जी की लगातार तीसरी बार इस तरह के व्यवहार से कोई अचंभा नहीं होगा.

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युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं को रोकने की तैयारी

आखिरी मिनट में ममता का वार
बीजेपी के युवा मोर्चा ने करीब एक महीने पहले 'नबन्ना चोलो' मार्च का आह्वान किया था और पूरी तैयारी की थी, लेकिन ममता ने आखिरी मिनट में सभी को चौंका दिया. नियोजित मार्च से एक दिन पहले राज्य सरकार ने नबन्ना को निस्संक्रामक करने का निर्णय लिया गया. इसी के साथ ही अपने कर्मचारियों सहित सभी के लिए सीमा से बाहर रहने की घोषणा कर दी.

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बीजेपी के प्रदर्शन के दौरान आगजनी

पढ़ें:नौ अक्टूबर : पाकिस्तान में मलाला यूसुफजई पर हुआ था तालिबानी हमला

युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं को रोकने की तैयारी
बहुतों ने सोचा था कि सरकार का यह फैसला भाजपा को हिला कर रख देगा. सचिवालय में कोई मौजूद नहीं होने के कारण मार्च आखिरकार एक निरर्थक अभ्यास साबित हुआ. पश्चिम बंगाल की कोलकाता पुलिस ने युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए नबन्ना के आसपास जोन बनाए और फिर भीड़ बढ़ने पर बैटन चार्ज करना शुरू कर दिया. हालांकि, यह राज्य में भाजपा के आधार को मजबूत करेगा.

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तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ जमा हुई भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़

राजनीतिक नजरिये के पहलू
राजनीतिक नजर रखने वाले पहले ही बता चुके हैं कि, अगर पुलिस सचिवालय की ओर रैलियों को प्रतिबंधित करने में इतनी सक्रियता नहीं दिखाती, तो हालात अलग होते.

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा

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भाजपाइयों पर लाठीचार्ज, छोड़े गए वॉटर कैनन
पुलिस पर जिस तरह से ईंट-पत्थर और कांच की बोतलें फेंकीं गई. उसके बाद बैटन का सहारा लिया गया और भीड़ को खदेड़ा गया. इसके साथ ही स्थिति को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने वॉटर कैनन से प्रदर्शनकारियों पर बौछारें की और आंसू गैस के गोले दागे. जिसके बाद कई भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती होने के साथ ही इस पूरे प्रकरण को केवल भगवा पार्टी के खिलाफ बताया. वहीं बंगाल के राजनीतिक स्पेक्ट्रम पर अपनी राय को और अधिक पुख्ता कर दिया.

जेपी नड्डा ने ममता पर किया ट्वीट
बीजेपी अपने पक्ष में समर्थन हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्विटर पर कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने वाम शासन से बेहतर काम किया है कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ क्रूरता और राजनीतिक हिंसा बढ़े. बंगाल और भाजपा के लोग उसके शासन के ताले, स्टॉक और बैरल को हरा देंगे.

रविशंकर प्रसाद ने ममता सरकार पर उठाये सवाल
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ भी कहा कि पश्चिम बंगाल में अब तक लगभग 115 भाजपा कार्यकर्ता राजनीतिक रूप से मारे गए हैं. क्या ममता बनर्जी के शासन में विरोध की अनुमति है? किसी के कार्टून बनाने वाले को उसके कार्यकाल में जेल में डाल दिया जाता है और उसकी पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को मार दिया जाता है. इसके पीछे एकमात्र कारण राज्य में टीएमसी का अपना राजनीतिक आधार खोना है. युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष पुलिस कार्रवाई और सरकार के समान रूप से आलोचक थे.

पढ़ें: एलएसी विवाद : चीनी सेना ने ठंड से बचने के लिए बनाए थर्मल शेल्टर

आरोपों की सिरे से किया खारिच
राज्य सरकार द्वारा पुलिस के प्रति जारी आरोपों को स्पष्ट रूप से नकार दिया गया है. मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय ने कहा कि पुलिस ने संयम दिखाते हुए पेशेवर स्थिति से निपटने की कोशिश की है. प्रदर्शनकारियों पर छिड़काव किए गए बैंगनी रंग के पानी में किसी भी रसायन की उपस्थिति से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की पहचान करने के लिए सरल गैर विषैले रंग के एजेंटों को मिलाकर व्यापक रूप से स्वीकृत प्रोटोकॉल का पालन किया.

राज्य के मंत्री ने की उचित जांच की मांग
राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि पुलिस को जांच करनी चाहिए कि प्रदर्शनकारियों से बम और आग्नेयास्त्र क्यों बरामद किए गए. यदि मार्च प्रकृति में शांतिपूर्ण थे, तो वे क्यों उपस्थित थे? एक उचित जांच होनी चाहिए.

विधानसभा चुनाव में होगी कांटे की टक्कर
आरोप-प्रत्यारोप जारी रहेंगे, लेकिन नबन्ना के आसपास जो झड़पें और जो हालात राज्य में देखे गये वो राज्य की स्पष्टता दिखाने के लिए काफी हैं. जिस तरह से भगवा पार्टी ने मुश्किल से दस साल में कद काठी हासिल की है, वो सचमुच ममता के गले में फांस की तरह चुभ रही है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव तृणमूल के लिए कांटे की टक्कर साबित होंगे.

2011 के समय में बदलती राजनीति
बंगाल में राजनीतिक नजर रखने वाले अब किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच रहे हैं. वे याद दिलाते हैं कि 2011 के विधानसभा चुनावों से पहले वाम मोर्चे की ब्रिगेड परेड ग्राउंड रैली आकार में विशाल थी और इस बात का कोई संकेत नहीं था कि एक बदलाव में शासन बदल गया था.

नये रंग हैं परिवर्तन का सूचक?
राजनेता क्या सोचते हैं या घटाते हैं, यह हमेशा ईवीएम में बंगाल की राजनीति से परिलक्षित नहीं होता है. 2021 का जवाब होगा कि यह केवल एक प्रकार का संकेत हो सकता है तो क्या बैंगनी रंग के पानी का छिड़काव भाजपा के लिए नबन्ना में एक नये रंग परिवर्तन का सूचक है?

कोलकात्ता : पश्चिम बंगाल में एक बार फिर बीजेपी-तृणमूल कांग्रेस की लड़ाई सड़कों पर उतर आई है. कोलकाता में बीजेपी समर्थकों और पुलिस के बीच इस वक्त जबरदस्त भिड़ंत हुई. बीजेपी कार्यकर्ता सचिवालय मार्च पर उतरे तो पुलिस उनका रास्ता रोककर खड़ी हो गई है. इस तनातनी में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, पानी की बौछार करनी पड़ी. दरअसल, पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के खिलाफ हालिया हिंसा के खिलाफ पार्टी के कार्यकर्ता और नेता राज्य के अलग-अलग हिस्सों में रैलियां कर रहे हैं. इस बीच गुरुवार को कोलकाता में प्रदर्शन के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं और बंगाल पुलिस में भिड़ंत हो गई. बीजेपी युवा मोर्चा ने नवान्न (राज्य सचिवालय) तक मार्च निकालने की तैयारी की थी.

वॉटर कैनन से दिया पत्थरबाजी का जवाब
बताया जा रहा है कि मामले को बिगड़ता देख पुलिस ने हाबड़ा ब्रिज और विद्यासागर सेतु को बंद कर दिया. इसके साथ ही जगह-जगह बैरिकेडिंग लगा दिए. इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पत्थरबाजी शुरू कर दी. जवाब में कोलकाता पुलिस ने लाठीचार्ज किया और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया. इसके बाद भगदड़ मच गई. जिसके बाद बीजेपी कार्यकर्ता पीछे हटने लगे.

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बीजेपी नेताओं पर ममता सरकार का तांडव

नबन्ना से मार्च निकालने का आह्वान
विपक्षी भाजपा के युवा मोर्चे ने बंगाल में बढ़ती बेरोजगारी, एसएससी और प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में कथित गड़बड़ियों के साथ-साथ कानून-व्यवस्था के ध्वस्त होने के खिलाफ राज्य सचिवालय नबन्ना से मार्च निकालने का आह्वान किया था. हिंसक दृश्य, जो कोलकाता और हावड़ा के दो शहरों में देखा जा रहा है. इसके साथ ही एक विशाल पुलिस दल भी देखा गया, जिन्होंने संतरागाछी, हावड़ा मैदान, बाराबाजार, सेंट्रल एवेन्यू और हेस्टिंग्स क्षेत्रों में बीजेपी प्रदर्शनकारियों को दबाने का प्रयास किया. यह भी एक उपक्रम था क्योंकि पुलिस ने दिलीप घोष, मुकुल रॉय, अरविंद मेनन, कैलाश विजयवर्गीय और तेजस्वी सूर्या को रोक दिया था. इससे ममता बनर्जी की लगातार तीसरी बार इस तरह के व्यवहार से कोई अचंभा नहीं होगा.

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युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं को रोकने की तैयारी

आखिरी मिनट में ममता का वार
बीजेपी के युवा मोर्चा ने करीब एक महीने पहले 'नबन्ना चोलो' मार्च का आह्वान किया था और पूरी तैयारी की थी, लेकिन ममता ने आखिरी मिनट में सभी को चौंका दिया. नियोजित मार्च से एक दिन पहले राज्य सरकार ने नबन्ना को निस्संक्रामक करने का निर्णय लिया गया. इसी के साथ ही अपने कर्मचारियों सहित सभी के लिए सीमा से बाहर रहने की घोषणा कर दी.

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बीजेपी के प्रदर्शन के दौरान आगजनी

पढ़ें:नौ अक्टूबर : पाकिस्तान में मलाला यूसुफजई पर हुआ था तालिबानी हमला

युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं को रोकने की तैयारी
बहुतों ने सोचा था कि सरकार का यह फैसला भाजपा को हिला कर रख देगा. सचिवालय में कोई मौजूद नहीं होने के कारण मार्च आखिरकार एक निरर्थक अभ्यास साबित हुआ. पश्चिम बंगाल की कोलकाता पुलिस ने युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए नबन्ना के आसपास जोन बनाए और फिर भीड़ बढ़ने पर बैटन चार्ज करना शुरू कर दिया. हालांकि, यह राज्य में भाजपा के आधार को मजबूत करेगा.

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तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ जमा हुई भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़

राजनीतिक नजरिये के पहलू
राजनीतिक नजर रखने वाले पहले ही बता चुके हैं कि, अगर पुलिस सचिवालय की ओर रैलियों को प्रतिबंधित करने में इतनी सक्रियता नहीं दिखाती, तो हालात अलग होते.

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा

Bengal colour
भाजपाइयों पर लाठीचार्ज, छोड़े गए वॉटर कैनन
पुलिस पर जिस तरह से ईंट-पत्थर और कांच की बोतलें फेंकीं गई. उसके बाद बैटन का सहारा लिया गया और भीड़ को खदेड़ा गया. इसके साथ ही स्थिति को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने वॉटर कैनन से प्रदर्शनकारियों पर बौछारें की और आंसू गैस के गोले दागे. जिसके बाद कई भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती होने के साथ ही इस पूरे प्रकरण को केवल भगवा पार्टी के खिलाफ बताया. वहीं बंगाल के राजनीतिक स्पेक्ट्रम पर अपनी राय को और अधिक पुख्ता कर दिया.

जेपी नड्डा ने ममता पर किया ट्वीट
बीजेपी अपने पक्ष में समर्थन हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्विटर पर कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने वाम शासन से बेहतर काम किया है कि राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ क्रूरता और राजनीतिक हिंसा बढ़े. बंगाल और भाजपा के लोग उसके शासन के ताले, स्टॉक और बैरल को हरा देंगे.

रविशंकर प्रसाद ने ममता सरकार पर उठाये सवाल
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ भी कहा कि पश्चिम बंगाल में अब तक लगभग 115 भाजपा कार्यकर्ता राजनीतिक रूप से मारे गए हैं. क्या ममता बनर्जी के शासन में विरोध की अनुमति है? किसी के कार्टून बनाने वाले को उसके कार्यकाल में जेल में डाल दिया जाता है और उसकी पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को मार दिया जाता है. इसके पीछे एकमात्र कारण राज्य में टीएमसी का अपना राजनीतिक आधार खोना है. युवा मोर्चा के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष पुलिस कार्रवाई और सरकार के समान रूप से आलोचक थे.

पढ़ें: एलएसी विवाद : चीनी सेना ने ठंड से बचने के लिए बनाए थर्मल शेल्टर

आरोपों की सिरे से किया खारिच
राज्य सरकार द्वारा पुलिस के प्रति जारी आरोपों को स्पष्ट रूप से नकार दिया गया है. मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय ने कहा कि पुलिस ने संयम दिखाते हुए पेशेवर स्थिति से निपटने की कोशिश की है. प्रदर्शनकारियों पर छिड़काव किए गए बैंगनी रंग के पानी में किसी भी रसायन की उपस्थिति से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की पहचान करने के लिए सरल गैर विषैले रंग के एजेंटों को मिलाकर व्यापक रूप से स्वीकृत प्रोटोकॉल का पालन किया.

राज्य के मंत्री ने की उचित जांच की मांग
राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि पुलिस को जांच करनी चाहिए कि प्रदर्शनकारियों से बम और आग्नेयास्त्र क्यों बरामद किए गए. यदि मार्च प्रकृति में शांतिपूर्ण थे, तो वे क्यों उपस्थित थे? एक उचित जांच होनी चाहिए.

विधानसभा चुनाव में होगी कांटे की टक्कर
आरोप-प्रत्यारोप जारी रहेंगे, लेकिन नबन्ना के आसपास जो झड़पें और जो हालात राज्य में देखे गये वो राज्य की स्पष्टता दिखाने के लिए काफी हैं. जिस तरह से भगवा पार्टी ने मुश्किल से दस साल में कद काठी हासिल की है, वो सचमुच ममता के गले में फांस की तरह चुभ रही है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव तृणमूल के लिए कांटे की टक्कर साबित होंगे.

2011 के समय में बदलती राजनीति
बंगाल में राजनीतिक नजर रखने वाले अब किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच रहे हैं. वे याद दिलाते हैं कि 2011 के विधानसभा चुनावों से पहले वाम मोर्चे की ब्रिगेड परेड ग्राउंड रैली आकार में विशाल थी और इस बात का कोई संकेत नहीं था कि एक बदलाव में शासन बदल गया था.

नये रंग हैं परिवर्तन का सूचक?
राजनेता क्या सोचते हैं या घटाते हैं, यह हमेशा ईवीएम में बंगाल की राजनीति से परिलक्षित नहीं होता है. 2021 का जवाब होगा कि यह केवल एक प्रकार का संकेत हो सकता है तो क्या बैंगनी रंग के पानी का छिड़काव भाजपा के लिए नबन्ना में एक नये रंग परिवर्तन का सूचक है?

Last Updated : Oct 9, 2020, 3:00 PM IST
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