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वन्यजीवों की तस्करी से प्रकृति और जैव विविधता को खतरा

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Published : Jul 12, 2020, 9:22 AM IST

Updated : Jul 12, 2020, 9:32 AM IST

यूएनओडीसी के कार्यकारी निदेशक घादा वाली ने कहा कि ट्रांसनेशनल संगठित अपराध नेटवर्क वन्यजीव अपराध से मुनाफे कमा रहे हैं. कोरोना के बाद दुनिया को बेहतर बनाने और सतत विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए हम वन्यजीव अपराध की अनदेखी नहीं की जा सकती

वन्यजीवों की तस्करी से प्रकृति और जैव विविधता को खतरा
वन्यजीवों की तस्करी से प्रकृति और जैव विविधता को खतरा

वियना (ऑस्ट्रिया) : ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) द्वारा जारी वर्ल्ड वाइल्डलाइफ क्राइम रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि वन्यजीवों की तस्करी से प्रकृति और जैव विविधता को खतरा है. रिपोर्ट में कुछ जंगली प्रजातियों, पैंगोलिन, पक्षियों, कछुओं, बाघों और भालू की तस्करी के बारे में बात की गई है. इसमें कहा गया है जानवरों की बीमारी के फैलने का खतरा तब बढ़ जाता है जब जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास से निकालकर मार दिया जाता है या फिर उनको कहीं और बेच दिया जाता है.

जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों को जूनोटिक बीमारी कहा जाता है. संक्रामक बीमारियों में 75 प्रतिशत बीमारियां जूनोटिक हैं. इनमें SARS-CoV-2 शामिल है, जिसने कोविड-19 महामारी का रूप ले लिया.

जिन वन्यजीवों की तस्करी की जाती है उन्हें एक जगह से दूसरे जगह ले जाने में किसी तरह की साफ-सफाई या ऐहतियात नहीं बरती जाती. जब ऐसे जीवों का उपभोग किया जाता है तो मानव शरीर में गंभीर बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि पैंगोलिन, जिसे कोरोना वायरस के संभावित स्रोत के रूप में पहचाना गया, उसकी दुनिया में सबसे अधिक तस्करी की जाती है. 2014 और 2018 के बीच जब्त की गई पैंगोलिन की खाल में दस गुना वृद्धि दर्ज की गई.

रिपोर्ट में यूएनओडीसी के वर्ल्ड वाइज डेटाबेस के बारे में प्रमुखता से बात की गई है, जिसमें 149 देशों और क्षेत्रों से लगभग 180,000 वन्यजीवों की बरामदगी हुई है. डेटाबेस से पता चलता है कि 1999-2019 के बीच लगभग 6,000 प्रजातियों को जब्त किया गया है, जिसमें न केवल स्तनधारी, बल्कि सरीसृप, प्रवाल, पक्षी और मछली शामिल हैं.

पढ़ें-क्या कोरोना महामारी से बचने में मददगार साबित होगी पैंगोलिन

यूएनओडीसी के कार्यकारी निदेशक घादा वाली ने कहा कि 'ट्रांसनेशनल संगठित अपराध नेटवर्क वन्यजीव अपराध से मुनाफे कमा रहे हैं. कोरोना के बाद दुनिया को बेहतर बनाने और सतत विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए हम वन्यजीव अपराध की अनदेखी नहीं कर सकते. वन्यजीव अपराध रोकने के लिए 2020 की यह वर्ल्ड वाइल्डलाइफ क्राइम रिपोर्ट काफी हद तक मदद कर सकती है. इसके जरिए हमें इस खतरे को अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के रूप में उठाना होगा, सरकारों को आवश्यक कानून अपनाने के लिए समर्थन बढ़ाना होगा, वन्यजीव अपराधों से निबटने के लिए एजेंसी बनानी होगी, ताकि इस अपराध को रोकने के लिए मजबूत व्यवस्था का निर्माण किया जा सके.'

वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) के महासचिव इवोन हिगुएरो ने कहा कि सटीक डेटा नीति निर्धारण का आधार है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ क्राइम रिपोर्ट 2020 इसमें शामिल है. यह रिपोर्ट सरकारों को स्थिति की स्पष्ट तस्वीर प्रदान करती है और हमारी सबसे मूल्यवान प्रजातियों और पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करती है.

इसके अलावा, रिपोर्ट प्रमुख वैश्विक वन्यजीव अपराध प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालती है और अवैध शीशम, हाथीदांत, गैंडे के सींग, पैंगोलिन खाल, जिंदा सरीसृप, बड़ी बिल्लियों और यूरोपीय ईल की तस्करी का विश्लेषण करती है. यह बताता है कि अफ्रीकी हाथीदांत और गैंडे के सींग की मांग में गिरावट है और उनके लिए अवैध बाजारों का आकार पहले की तुलना में छोटा है. 2016 और 2018 के बीच हाथीदांत और राइनो हॉर्न ट्रैफिकिंग से वार्षिक अवैध आय क्रमश: करीब 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 230 मिलियन अमेरिकन डालर थी.

रिपोर्ट में बताया गया है कि अवैध वन्यजीव व्यापार डिजिटल मीडिया पर बढ़ रहा है. वन्यजीवों के मांस की बिक्री ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप में बदल गई है, क्योंकि तस्करो ने संभावित खरीदारों से जुड़ने के नए तरीके ढूंढ लिए हैं. हालांकि, एक मजबूत आपराधिक न्याय प्रणाली, कानूनी ढांचे में सुधार किया जा रहा है ताकि मौजूदा अवैध व्यापार को रोका जा सके.

वियना (ऑस्ट्रिया) : ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) द्वारा जारी वर्ल्ड वाइल्डलाइफ क्राइम रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि वन्यजीवों की तस्करी से प्रकृति और जैव विविधता को खतरा है. रिपोर्ट में कुछ जंगली प्रजातियों, पैंगोलिन, पक्षियों, कछुओं, बाघों और भालू की तस्करी के बारे में बात की गई है. इसमें कहा गया है जानवरों की बीमारी के फैलने का खतरा तब बढ़ जाता है जब जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास से निकालकर मार दिया जाता है या फिर उनको कहीं और बेच दिया जाता है.

जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों को जूनोटिक बीमारी कहा जाता है. संक्रामक बीमारियों में 75 प्रतिशत बीमारियां जूनोटिक हैं. इनमें SARS-CoV-2 शामिल है, जिसने कोविड-19 महामारी का रूप ले लिया.

जिन वन्यजीवों की तस्करी की जाती है उन्हें एक जगह से दूसरे जगह ले जाने में किसी तरह की साफ-सफाई या ऐहतियात नहीं बरती जाती. जब ऐसे जीवों का उपभोग किया जाता है तो मानव शरीर में गंभीर बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि पैंगोलिन, जिसे कोरोना वायरस के संभावित स्रोत के रूप में पहचाना गया, उसकी दुनिया में सबसे अधिक तस्करी की जाती है. 2014 और 2018 के बीच जब्त की गई पैंगोलिन की खाल में दस गुना वृद्धि दर्ज की गई.

रिपोर्ट में यूएनओडीसी के वर्ल्ड वाइज डेटाबेस के बारे में प्रमुखता से बात की गई है, जिसमें 149 देशों और क्षेत्रों से लगभग 180,000 वन्यजीवों की बरामदगी हुई है. डेटाबेस से पता चलता है कि 1999-2019 के बीच लगभग 6,000 प्रजातियों को जब्त किया गया है, जिसमें न केवल स्तनधारी, बल्कि सरीसृप, प्रवाल, पक्षी और मछली शामिल हैं.

पढ़ें-क्या कोरोना महामारी से बचने में मददगार साबित होगी पैंगोलिन

यूएनओडीसी के कार्यकारी निदेशक घादा वाली ने कहा कि 'ट्रांसनेशनल संगठित अपराध नेटवर्क वन्यजीव अपराध से मुनाफे कमा रहे हैं. कोरोना के बाद दुनिया को बेहतर बनाने और सतत विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए हम वन्यजीव अपराध की अनदेखी नहीं कर सकते. वन्यजीव अपराध रोकने के लिए 2020 की यह वर्ल्ड वाइल्डलाइफ क्राइम रिपोर्ट काफी हद तक मदद कर सकती है. इसके जरिए हमें इस खतरे को अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के रूप में उठाना होगा, सरकारों को आवश्यक कानून अपनाने के लिए समर्थन बढ़ाना होगा, वन्यजीव अपराधों से निबटने के लिए एजेंसी बनानी होगी, ताकि इस अपराध को रोकने के लिए मजबूत व्यवस्था का निर्माण किया जा सके.'

वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) के महासचिव इवोन हिगुएरो ने कहा कि सटीक डेटा नीति निर्धारण का आधार है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ क्राइम रिपोर्ट 2020 इसमें शामिल है. यह रिपोर्ट सरकारों को स्थिति की स्पष्ट तस्वीर प्रदान करती है और हमारी सबसे मूल्यवान प्रजातियों और पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करती है.

इसके अलावा, रिपोर्ट प्रमुख वैश्विक वन्यजीव अपराध प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालती है और अवैध शीशम, हाथीदांत, गैंडे के सींग, पैंगोलिन खाल, जिंदा सरीसृप, बड़ी बिल्लियों और यूरोपीय ईल की तस्करी का विश्लेषण करती है. यह बताता है कि अफ्रीकी हाथीदांत और गैंडे के सींग की मांग में गिरावट है और उनके लिए अवैध बाजारों का आकार पहले की तुलना में छोटा है. 2016 और 2018 के बीच हाथीदांत और राइनो हॉर्न ट्रैफिकिंग से वार्षिक अवैध आय क्रमश: करीब 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 230 मिलियन अमेरिकन डालर थी.

रिपोर्ट में बताया गया है कि अवैध वन्यजीव व्यापार डिजिटल मीडिया पर बढ़ रहा है. वन्यजीवों के मांस की बिक्री ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप में बदल गई है, क्योंकि तस्करो ने संभावित खरीदारों से जुड़ने के नए तरीके ढूंढ लिए हैं. हालांकि, एक मजबूत आपराधिक न्याय प्रणाली, कानूनी ढांचे में सुधार किया जा रहा है ताकि मौजूदा अवैध व्यापार को रोका जा सके.

Last Updated : Jul 12, 2020, 9:32 AM IST
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