हैदराबाद : डब्ल्यूएचओ के 2019 ग्लोबल हेल्थ इस्टीमेट के अनुसार विश्व में होने वाली मौतों में गैर-संचारी रोग (नॉन कम्युनिकेबल डिजीज) 10 में से 7 मौतों का कारण बनते हैं. जबकि 2000 में यह आंकड़ा सिर्फ 4 का था, जो 2019 में बढ़ गया है. यह नया डेटा 2000 से 2019 का है.
पिछले दो दशकों में बीमारी और चोट के कारण मृत्यु दर और रोगों की संख्या बढ़ी है. विश्व को ह्रदय रोग, कैंसर, मधुमेह और क्रानिक सांस संबंधी बीमारियों को रोकने और इलाज पर ध्यान देने की आवश्यकता हैं.
मौत के प्रमुख कारणों में ह्रदय रोग पहले स्थान पर
ह्रदय रोग मौत का प्रमुख कारण है. मधुमेह और डिमेंशिया ने टॉप टेन की सूची में जगह बना ली है. वैश्विक स्तर पर पिछले 20 वर्षों से हृदय रोग मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है. हालांकि, इससे अब पहले से अधिक लोगों को मौतें हो रही हैं.
साल 2000 के बाद से ह्रदय की बीमारी से मरने वालों की संख्या दो मिलियन से अधिक थी, जो साल 2019 में लगभग 9 मिलियन पहुंच गई है. दो मिलियन से अधिक मौतें पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में हुईं. इसके उलट यूरोपीय क्षेत्र में हृदय रोग में गिरावट देखी गई है, जिसमें मृत्यु 15% तक कम हुई.
अल्जाइमर और डिमेंशिया के कई रूप अब दुनिया भर में मौत के शीर्ष 10 कारणों में से हैं. 2019 में अमेरिका और यूरोप में 2019 में दोनों बीमारियों को तीसरी रैंकिग दी गई है. महिलाएं इन दोनों बीमारियों से प्रमुखता से प्रभावित हैं. विश्व स्तर पर 65% महिलाओं की मौतें अल्जाइमर और डिमेंशियां से हुई है.
2000-2019 के बीच मधुमेह से होने वाली मौतों में 70% की वृद्धि हुई, जिसमें 80% मौतें पुरुषों की हुई. पूर्वी भूमध्य सागर क्षेत्र में मधुमेह से होने वाली मौतें दोगुनी से अधिक हो गई हैं. यह सभी पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रों के सबसे बड़े प्रतिशत वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं.
संचारी रोगों (काम्यूनिकेबल डिजीज) से होने वाली मौतों में वैश्विक गिरावट देखी गई है, लेकिन अभी भी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में एक बड़ी चुनौती है.
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साल 2019 में निमोनिया और अन्य श्वसन संक्रमण संचारी रोगों के सबसे घातक समूह थे. यह एक साथ मृत्यु के चौथे सबसे प्रमुख कारण के रूप में रैंक किए गए थे. हालांकि साल 2000 की तुलना में श्वसन संक्रमण पहले की तुलना में मौतें कम हो रही हैं, अगर ग्लोबल आंकड़ों की बात करें तो, वो पांच लाख तक कम हो गया है.
उदाहरण के लिए साल 2000 में एचआईवी/ एड्स मृत्यु के 8वें प्रमुख कारण से गिरकर 2019 में 199 तक पहुंच गया, जो इसके संक्रमण को रोकने, वायरस का परीक्षण और पिछले दो दशकों में बीमारी का इलाज करने के प्रयासों की सफलता को दर्शाता है. जबकि यह अफ्रीका में मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण है. अफ्रीका में साल 2000 में एक मिलियन से 2019 में 4,35,000 तक कम हो गए.
क्षय रोग (टीबी) भी वैश्विक बीमारी में अब शीर्ष 10 की गिनती में नहीं है. साल 2000 में टीबी 7वें स्थान पर था जो, 2019 में गिरकर 13 स्थान पर पहुंच गया. वैश्विक मौतों में 30% की कमी हुई. फिर भी यह अफ्रीका में 8वां और दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रों में 5वां प्रमुख कारण है. अफ्रीका में साल 2000 के बाद टीबी से होने वाली मृत्यु दर में वृद्धि देखी गई, हालांकि यह पिछले कुछ वर्षों में घटने लगी है.