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असोम: विवादों से घिरे आखिर कौन हैं गर्ग चटर्जी

गर्ग चटर्जी पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं. असोम के निवासी गर्ग चटर्जी के विरोध में है. चटर्जी ने अहोम साम्राज्य के पहले राजा के आगमन की स्मृति में असोम दिवस मनाने के पीछे के कारणों पर भी सवाल उठाया था. पढ़ें पूरी खबर..

who is  Gargya Chatterjee
गार्ग चटर्जी
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Published : Jun 26, 2020, 1:49 AM IST

गुवाहाटी : गर्ग चटर्जी पिछले कुछ दिनों से असोम में सुर्खियों में हैं. असोमके लोग चटर्जी के विरोध कर रहे हैं. बंगाली राष्ट्रवाद के एक प्रवक्ता ने अहोम राजा चाओ लुंग सिउ-का-फा को 'चीनी आक्रमणकारी' कहा था. चटर्जी ने अहोम साम्राज्य के पहले राजा के आगमन की स्मृति में असोम दिवस मनाने के पीछे के कारणों पर भी सवाल उठाया था.

इतिहासकारों का कहना है कि सिउ-का-फा म्यांमार के ताई राज्य का राजकुमार था. 1228 में उसने स्थानीय लोगों को एकजुट करके अहोम राज्य की स्थापना की थी. अहोमों ने 600 वर्षों तक असोम पर शासन किया.

असोम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असोम पुलिस को चटर्जी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया. चटर्जी को गिरफ्तार करने के लिए असोम पुलिस ने एक टीम को कोलकाता भी भेजा था. चटर्जी के समर्थकों के विरोध के कारण असोम पुलिस चटर्जी को गिरफ्तार नहीं कर सकी. इसके विरोध में कोलकाता में प्रदर्शनकारियों ने असोम के मुख्यमंत्री का पुतला भी जलाया था.

कौन हैं गर्ग चटर्जी ?
कोलकाता में भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आईएसआई ) के एक सहायक प्रोफेसर चटर्जी ने 1997 में कोलकाता की बोर्ड परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था. चटर्जी ने कोलकाता मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन और सर्जरी की पढ़ाई की है. इसके बाद वह हार्वर्ड विश्वविद्याल से परास्नातक की पढ़ाई करने विदेश चले गए थे. चटर्जी को प्रतिष्ठित एमआईटी से डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली है.

2015 में चटर्जी आईएसआई कोलकाता में शामिल हुए. वह पिछले पांच वर्षों से नियमित रूप से असोमऔर पूर्वोत्तर भारतीय राज्य के अन्य हिस्सों का दौरा कर रहे हैं. वह विजिटिंग फैकल्टी के रूप में तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय, नागालैंड विश्वविद्यालय, बोडोलैंड विश्वविद्यालय, मणिपुर विश्वविद्यालय और अरुणाचल प्रदेश के राजीव गांधी विश्वविद्यालय में भी पढ़ाते रहे हैं.

सवाल यह है कि चटर्जी पर बार-बार विवाद क्यों हो रहा है.

चटर्जी चलो पलटाई आंदोलन के पीछे थे, जिसने 2019 में कथित रूप से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनसीआर) के खिलाफ अल्पसंख्यक लोगों को उकसाया था. चटर्जी का दावा है कि असोम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न हिस्से में उनके हजारों समर्थक हैं.

चटर्जी ने 2017 में बांग्ला पोख नामक एक संगठन शुरू करके अपने बंगाली राष्ट्रवादी आंदोलन की शुरुआत की थी. वह विभिन्न मीडिया में हिंदी लॉबी की सर्वोच्चता के खिलाफ लिखते रहे हैं.

गुवाहाटी : गर्ग चटर्जी पिछले कुछ दिनों से असोम में सुर्खियों में हैं. असोमके लोग चटर्जी के विरोध कर रहे हैं. बंगाली राष्ट्रवाद के एक प्रवक्ता ने अहोम राजा चाओ लुंग सिउ-का-फा को 'चीनी आक्रमणकारी' कहा था. चटर्जी ने अहोम साम्राज्य के पहले राजा के आगमन की स्मृति में असोम दिवस मनाने के पीछे के कारणों पर भी सवाल उठाया था.

इतिहासकारों का कहना है कि सिउ-का-फा म्यांमार के ताई राज्य का राजकुमार था. 1228 में उसने स्थानीय लोगों को एकजुट करके अहोम राज्य की स्थापना की थी. अहोमों ने 600 वर्षों तक असोम पर शासन किया.

असोम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असोम पुलिस को चटर्जी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया. चटर्जी को गिरफ्तार करने के लिए असोम पुलिस ने एक टीम को कोलकाता भी भेजा था. चटर्जी के समर्थकों के विरोध के कारण असोम पुलिस चटर्जी को गिरफ्तार नहीं कर सकी. इसके विरोध में कोलकाता में प्रदर्शनकारियों ने असोम के मुख्यमंत्री का पुतला भी जलाया था.

कौन हैं गर्ग चटर्जी ?
कोलकाता में भारतीय सांख्यिकीय संस्थान (आईएसआई ) के एक सहायक प्रोफेसर चटर्जी ने 1997 में कोलकाता की बोर्ड परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था. चटर्जी ने कोलकाता मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन और सर्जरी की पढ़ाई की है. इसके बाद वह हार्वर्ड विश्वविद्याल से परास्नातक की पढ़ाई करने विदेश चले गए थे. चटर्जी को प्रतिष्ठित एमआईटी से डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली है.

2015 में चटर्जी आईएसआई कोलकाता में शामिल हुए. वह पिछले पांच वर्षों से नियमित रूप से असोमऔर पूर्वोत्तर भारतीय राज्य के अन्य हिस्सों का दौरा कर रहे हैं. वह विजिटिंग फैकल्टी के रूप में तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय, नागालैंड विश्वविद्यालय, बोडोलैंड विश्वविद्यालय, मणिपुर विश्वविद्यालय और अरुणाचल प्रदेश के राजीव गांधी विश्वविद्यालय में भी पढ़ाते रहे हैं.

सवाल यह है कि चटर्जी पर बार-बार विवाद क्यों हो रहा है.

चटर्जी चलो पलटाई आंदोलन के पीछे थे, जिसने 2019 में कथित रूप से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनसीआर) के खिलाफ अल्पसंख्यक लोगों को उकसाया था. चटर्जी का दावा है कि असोम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न हिस्से में उनके हजारों समर्थक हैं.

चटर्जी ने 2017 में बांग्ला पोख नामक एक संगठन शुरू करके अपने बंगाली राष्ट्रवादी आंदोलन की शुरुआत की थी. वह विभिन्न मीडिया में हिंदी लॉबी की सर्वोच्चता के खिलाफ लिखते रहे हैं.

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