गुवाहाटी : कौन असमिया या असम का निवासी है? इस सवाल ने वर्तमान में असम के भौगोलिक परिदृश्य को देखने वाले सभी लोगों के विवेक को हिला दिया है. ऐसे में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) द्वारा हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत असम समझौते को लेकर बनाई गई क्लॉज 6 कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के बाद यह सवाल और अधिक गंभीर हो गया है.
हालांकि, कई विशेषज्ञों ने 'असमिया' या 'असम के मूल निवासी' के बचाव के बारे में अलग-अलग तरीके से विरोध किया है, केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल गठित उच्चस्तरीय समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह सवाल प्रासंगिक हो गया है कि वह लोग, जिनके पूर्वजों का नाम असम में 1951 के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) में रखा गया, वह असमिया या असम के मूल निवासी हैं.
क्लॉज 6 कमेटी का गठन केंद्र सरकार द्वारा असम समझौते के क्लॉज 6 के समुचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था, जो कि असम के स्वदेशी लोगों को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करता है और भाषा, संस्कृति, इतिहास और विरासत को संरक्षण प्रदान करता है.
क्लॉज 6 समिति ने भी असम विधानसभा में स्वदेशी लोगों के लिए कम से कम 80 प्रतिशत सीटों के आरक्षण की सिफारिश की है.
हालांकि राज्य के कुछ वर्गों ने खंड 6 समिति की सिफारिशों का स्वागत किया है, कुछ ने कहा है कि मूल निवासी की पहचान करने के लिए किसी तिथि की आवश्यकता नहीं है. वह कहते हैं कि विभिन्न जातीय मूल के लोग, जो लंबे समय से यहां रह रहे हैं निश्चित रूप से मूल निवासी हैं.
पहचान का सवाल असम में एक लंबी बहस है. राज्य, जो ब्रिटिश शासन के बाद से गंभीर घुसपैठ का गवाह रहा है, उसने छह साल लंबे छात्रों के आंदोलन को देखा. पिछले साल राज्य ने विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को पारित करने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कई गंभीर विरोधों की एक श्रृंखला देखी थी, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से कुछ गैर मुस्लिम समुदायों को नागरिकता अधिकार प्रदान करना था.