रांची : कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस बीच दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के लोगों ने एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया. इसमें शामिल हुए कई लोग कोरोना पॉजीटिव पाए गए, जिसके बाद से तबलीगी जमात पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इसके दो और शब्द हैं, जो चर्चा में हैं. पहला जमात और दूसरा मरकज.
तबलीगी, जमात और मरकज यह तीन अलग-अलग शब्द हैं. तबलीगी का मतलब है अल्लाह और कुरान, हदीस की बात दूसरों तक पहुंचाना और जमात का मतलब होता है समूह. वहीं, मरकज का मतलब है केंद्र. इस तरह तबलीगी जमात मरकज का मतलब अल्लाह की बातों को दूसरे तक पहुंचाने का केंद्र.
तबलीगी जमात (आस्था फैलाने वाला समाज) एक गैर-राजनीतिक वैश्विक सुन्नी इस्लामिक मिशनरी संगठन है, जिसके भारत के कई शहरों में केंद्र हैं.
तबलीगी जमात की शुरुआत 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने की थी.
जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के बर्कले सेंटर द्वारा प्रकाशित एक लेख के अनुसार, इस संस्थान का लक्ष्य तबलीगी (निमंत्रण) के माध्यम से इस्लाम (खिलाफत) का 'स्वर्ण युग' बनाना है. यह जमात अनुष्ठान, दृष्टिकोण और व्यक्तिगत व्यवहार के मामलों में मुसलमानों से प्राथमिक इस्लाम में लौटने का आग्रह करती है.
तबलीगी जमात की जड़ें पूरे भारतीय उप-महाद्वीप में काफी मजबूत हैं. यहां तक कि कई क्षेत्रों के लोग इस धार्मिक संस्थान से जुड़े हैं.
आमतौर पर जमात के प्रचारक अलग-अलग देशों में जाकर धार्मिक आयोजन करते हैं. यहां उनके ठहरने की व्यवस्था मस्जिदों में की जाती है.
छह स्तंभों पर केंद्रित है तबलीगी जमात
तबलीगी जमात छह स्तंभों पर केंद्रित है - कलमा (सिर्फ एक खुदा के होने में विश्वास रखना), सलाह (दैनिक प्रार्थना यानी नमाज), इल्म और जिक्र (अल्लाह की याद और उसे मानना), इकराम-ए-मुस्लिम (अपने मुसलमान भाईयों के साथ सम्मान से पेश आना), तसहीह-ए-नियात (इस्लामी आदर्शों पर चलकर जीवन गुजारना और वैसा बनना) और दवाह (अल्लाह के संदेश का प्रचार करना.)
तबलीगी जमात की जीवनशैली
इस जमात के पुरुष अनुयाई लंबी दाढ़ी रखते हैं और लंबे कुर्ते पहनते हैं. वहीं महिलाएं सार्वजनिक रूप से पर्दे में रहती हैं और आमतौर पर गृहस्थ और धार्मिक जीवन व्यतीत करती हैं.