नई दिल्ली : राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) बुधवार को ध्वनि मत से पारित हो गया. इसके बाद असोम गण परिषद (AGP) भी CAB विरोधी आंदोलन के समर्थन में खड़ा हो गया.
ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में एजीपी के वरिष्ठ नेता और असम के कैबिनेट मंत्री केशब महंत ने कहा कि उनकी पार्टी सीएबी के विरोध का समर्थन करती है. महंत ने कहा कि हम आंदोलन का समर्थन करते हैं.
आपको यह बता दें कि यह पहली बार है कि जब एजीपी के नेता ने इस विधेयक पर खुलकर बात की है.
हालांकि महंत ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि असम के लोग विधेयक से प्रभावित न हों.
एजीपी नेता ने कहा, जिस तरह से अन्य पूर्वोत्तर राज्यों को CAB के दायरे से बाहर रखा गया है, हमने वैसे ही असम के लोगों की सुरक्षा की मांग की है.
आपको बता दें कि छठी अनुसूची क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट (ILP) प्रणाली वाले राज्यों को विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है. मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में CAB निहित नहीं होगा.
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दिलचस्प बात यह है कि एजीपी असम में बीजेपी की सहयोगी है और सर्बानंद सोनोवाल की अगुवाई वाली असम सरकार में एजीपी के तीन कैबिनेट मंत्री हैं. इस साल की शुरुआत में, एजीपी ने सीएबी के विरोध में बीजेपी के साथ अपने संबंधों को तोड़ दिया था.
हालांकि, पिछले आम चुनाव से ठीक पहले एजीपी-भाजपा एक साथ आए और दोनो ने संयुक्त रूप से आम चुनाव लड़े.
हाल के दिनों में एजीपी को विधेयक पर अपनी चुप्पी के लिए ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और विभिन्न संगठनों के क्रोध का सामना करना पड़ा था.
गौरतलब है कि एजीपी 1985 में ऐतिहासिक असम समझौते के बाद बने एएएसयू का हिस्सा था.