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दक्षिण भारतीयों पर हिन्दी नहीं थोपी जा रही : केन्द्रीय मंत्री सदानंद गौडा

केंद्रीय उर्वरक और रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौडा ने लोगों को सरकार की मंशा साफ तौर बताई. उन्होंने कहा कि सरकार किसी पर भी हिन्दी भाषा नहीं थोप रही है. जानबूझकर भ्रम फैलाया जा रहा है.

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Published : Jun 3, 2019, 4:57 PM IST

डीवी सदानंदगौड़ा.

बैंगलुरु: केंद्रीय उर्वरक और रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौडा ने कहा कि हिंदी किसी पर थोपी नहीं जा रही है. सरकार की स्थिति साफ है. जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है.

बेंगलुरु में बीजेपी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सदानंद गौड़ा ने कहा कि जबरन दक्षिण भारत पर हिंदी भाषा नहीं थोपी जा रही है. सरकार ने ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया है. ये सारे विवाद एक राजनीतिक एजेंडे के तहत खड़े किए जा रहे हैं.

सदानंद गौड़ा ने कहा कि साल 1969 से ही स्कूलों में तीन भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं और हिंदी को लेकर कोई जबरन पढ़ाने का नियम नहीं आया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक के दौरान बात करते हुए नारा (NARA) के बारे में बात की. नारा का अर्थ है राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा क्षेत्रीय आकांक्षाएं. इसलिए यह कहने के लिए कोई बात ही पैदा नहीं होती कि हम हिंदी को किसी पर भी थोप रहे हैं.

डीवी सदानंदगौड़ा की प्रेस कॉन्फ्रेंस.

बता दें, नई शिक्षा नीति (एनईपी) के उस मसौदे पर विवाद जारी है, जिसमें क्षेत्रीय भाषा और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी पढ़ाने जाने की वकालत की गई है. गैर हिन्दी भाषी राज्यों ने इस पर आपत्ति जताई है. विवाद बढ़ने के बाद केन्द्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने तुरंत सफाई दी है. उनका कहना है कि यह अभी ड्राफ्ट स्टेज में है. सरकार ने कहा है कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी. यह छात्रों की मर्जी पर निर्भर करेगा.

इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतरमन और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर सरकार का पक्ष रखा. दोनों मंत्री तमिलनाडु से आते हैं. इस कवायद का हिस्सा बनते हुए सदानंदगौड़ा ने भी पार्टी की मंशा साफ की है.

बैंगलुरु: केंद्रीय उर्वरक और रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौडा ने कहा कि हिंदी किसी पर थोपी नहीं जा रही है. सरकार की स्थिति साफ है. जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है.

बेंगलुरु में बीजेपी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सदानंद गौड़ा ने कहा कि जबरन दक्षिण भारत पर हिंदी भाषा नहीं थोपी जा रही है. सरकार ने ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया है. ये सारे विवाद एक राजनीतिक एजेंडे के तहत खड़े किए जा रहे हैं.

सदानंद गौड़ा ने कहा कि साल 1969 से ही स्कूलों में तीन भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं और हिंदी को लेकर कोई जबरन पढ़ाने का नियम नहीं आया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक के दौरान बात करते हुए नारा (NARA) के बारे में बात की. नारा का अर्थ है राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा क्षेत्रीय आकांक्षाएं. इसलिए यह कहने के लिए कोई बात ही पैदा नहीं होती कि हम हिंदी को किसी पर भी थोप रहे हैं.

डीवी सदानंदगौड़ा की प्रेस कॉन्फ्रेंस.

बता दें, नई शिक्षा नीति (एनईपी) के उस मसौदे पर विवाद जारी है, जिसमें क्षेत्रीय भाषा और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी पढ़ाने जाने की वकालत की गई है. गैर हिन्दी भाषी राज्यों ने इस पर आपत्ति जताई है. विवाद बढ़ने के बाद केन्द्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने तुरंत सफाई दी है. उनका कहना है कि यह अभी ड्राफ्ट स्टेज में है. सरकार ने कहा है कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी. यह छात्रों की मर्जी पर निर्भर करेगा.

इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतरमन और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर सरकार का पक्ष रखा. दोनों मंत्री तमिलनाडु से आते हैं. इस कवायद का हिस्सा बनते हुए सदानंदगौड़ा ने भी पार्टी की मंशा साफ की है.

Intro:Byte : D V Sadananda GowdaBody:We have not imposed Hindi: D V Sadanandagowda


Bengaluru: Center government has not imposed Hindi on South India forcefully said Fertiliser and Chemical minister D V Sadanandagowda.


In a press conference held in Bangalore's BJP office, Hindi language is not forcefully imposed on southern India and this decision is not taken by center. All these allegations are done with political motives clarified DVS


From 1969 , 3 languages are being taught in schools, and there as no imposition of Hindi. While Prime Minister Narendra Modi spoke during meeting he said NARA which means National Ambitions Regional Aspirations , so there is no room to say we are imposing Hindi he added.Conclusion:
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