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जल संरक्षण है एक मिशन - Water conservation in india

जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल्द ही मंत्रालय मिशन भागीरथ की तर्ज पर पानी के लिए एक मुहिम शुरू करने वाला है.

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Published : Nov 17, 2019, 11:58 PM IST

इंसान के लिये जीवित रहने के लिये खाने से ज्यादा जरूरी पानी है. पानी के बिना धरती पर जीवन ज्यादा दिन नही पनप पायेगा.इसी कारण से सुप्रीम कोर्ट ने पीने के पानी को जीने के लिये जरूरी हक माना, और जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी पीने का पानी मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की मानी. हाल ही में हैदराबाद आये जल शक्ति मंत्री ने कहा कि जल्द ही उनका मंत्रालय मिशन भागीरथ की तर्ज पर पीने के पानी के लिये एक मुहिम शुरू करने जा रहा है.

शेखावत ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत सरकार 2024 तक 14.60 करोड़ परिवारों को पीने का पानी मुहैया कराने की तैयारी कर रही है. इस मिशन की कुल लागत 3.60 लाख करोड़ के करीब आयेगी. इस मिशन के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के बजट भाषण में भी जिक्र था. तीन महीने पहले, ये बात सामने आई थी कि केंद्र सरकार नल से जल स्कीम को लागू करने के लिये राज्य सरकारों के साथ काम करेगी और जल जीवन मिशन को हर राज्य की जरूरत के हिसाब से ही लागू किया जायेगा.

शेखावत ने ये साफ किया कि इस योजना पर आने वाली लागत के कारण ये सिर्फ राज्यों के सहयोग से ही पूरी हो सकती है. केंद्र सरकार ने स्थानीय ऐजंसियों को 256 जिलों के 1592 ब्लॉक में जल शक्ति अभियान को लागू करने के निर्देश दिये थे. सरकार का अब कहना है कि राज्य सरकारों की मदद से अब पीने के पानी की पूर्ती की जा सकेगी. अगर राज्य सरकारें अपने बजट में से अतिरक्त खर्चें कम कर लें तो इन जरूरी योजनाओँ के लिये बजट मुहैया काराया जा सकता है.

जो लोग कुछ लीटर पीने के पानी के लिये कई किलोमीटर पैदल सफर करते हैं, उनके दर्द को समझना भी जरूरी है. युनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में महिलाएं और बच्चे पानी जमा करने में 20 करोड़ घंटे रोजाना लगाते हैं, जो 22,780 साल के बराबर है. लोक सभा में केंद्र सरकार द्वारा पेश किये आंकड़ो के मुताबिक 21 राज्यों के 153 जिलों में लोग रोजाना खतरनाक रसायन से प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं.

पिछले साल ड्यूक युनिवर्सिटी के शोध में ये बात सामने आई थी कि 16 राज्यों में जमीन के नीचे के पानी में युरेनियम पाया जाता है. नीति आयोग के आंकड़े बताते हैं कि देश में आज भी 60 करोड़ लोग पानी के किल्लत से जूझ रहे हैं. देश में शहरों और गांवों में हो रही पानी कि किल्लत कुछ समय पहले दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में हुई पानी की किल्लत की याद दिला रही है. लोगों को पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधा मुहैया कराने में सरकार की विफलता साफ है.

गंगा समेत देश की ज्यादातर नदियां रोजाना फैक्ट्रियों आदि के कूड़े से प्रदूषित हो रही हैं. अगर जल संरक्षण पर ध्यान नही दिया गया तो बहुत जल्द जमीन का पानी और जलाशय सूखने की कगार पर पहुंच जायेंगे. अब जरूरत है कि हम जल संरक्षण को लेकर अपनी नींद से जागे. पूर्व में प्लैनिंग कमीशन में काम कर चुके मिहिर शाह की अध्यक्षता में बनी कमेटी अगले छह महीने में राष्ट्रीय जल नीति पर एक नया मसौदा पेश करने वाली है.

शाह कमेटी के लिये मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बदलाव सुझाने होंगे जिससे जल संरक्षण पर गंभीरता से काम हो सके.

इंसान के लिये जीवित रहने के लिये खाने से ज्यादा जरूरी पानी है. पानी के बिना धरती पर जीवन ज्यादा दिन नही पनप पायेगा.इसी कारण से सुप्रीम कोर्ट ने पीने के पानी को जीने के लिये जरूरी हक माना, और जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी पीने का पानी मुहैया कराने की जिम्मेदारी सरकार की मानी. हाल ही में हैदराबाद आये जल शक्ति मंत्री ने कहा कि जल्द ही उनका मंत्रालय मिशन भागीरथ की तर्ज पर पीने के पानी के लिये एक मुहिम शुरू करने जा रहा है.

शेखावत ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत सरकार 2024 तक 14.60 करोड़ परिवारों को पीने का पानी मुहैया कराने की तैयारी कर रही है. इस मिशन की कुल लागत 3.60 लाख करोड़ के करीब आयेगी. इस मिशन के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन के बजट भाषण में भी जिक्र था. तीन महीने पहले, ये बात सामने आई थी कि केंद्र सरकार नल से जल स्कीम को लागू करने के लिये राज्य सरकारों के साथ काम करेगी और जल जीवन मिशन को हर राज्य की जरूरत के हिसाब से ही लागू किया जायेगा.

शेखावत ने ये साफ किया कि इस योजना पर आने वाली लागत के कारण ये सिर्फ राज्यों के सहयोग से ही पूरी हो सकती है. केंद्र सरकार ने स्थानीय ऐजंसियों को 256 जिलों के 1592 ब्लॉक में जल शक्ति अभियान को लागू करने के निर्देश दिये थे. सरकार का अब कहना है कि राज्य सरकारों की मदद से अब पीने के पानी की पूर्ती की जा सकेगी. अगर राज्य सरकारें अपने बजट में से अतिरक्त खर्चें कम कर लें तो इन जरूरी योजनाओँ के लिये बजट मुहैया काराया जा सकता है.

जो लोग कुछ लीटर पीने के पानी के लिये कई किलोमीटर पैदल सफर करते हैं, उनके दर्द को समझना भी जरूरी है. युनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में महिलाएं और बच्चे पानी जमा करने में 20 करोड़ घंटे रोजाना लगाते हैं, जो 22,780 साल के बराबर है. लोक सभा में केंद्र सरकार द्वारा पेश किये आंकड़ो के मुताबिक 21 राज्यों के 153 जिलों में लोग रोजाना खतरनाक रसायन से प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं.

पिछले साल ड्यूक युनिवर्सिटी के शोध में ये बात सामने आई थी कि 16 राज्यों में जमीन के नीचे के पानी में युरेनियम पाया जाता है. नीति आयोग के आंकड़े बताते हैं कि देश में आज भी 60 करोड़ लोग पानी के किल्लत से जूझ रहे हैं. देश में शहरों और गांवों में हो रही पानी कि किल्लत कुछ समय पहले दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में हुई पानी की किल्लत की याद दिला रही है. लोगों को पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधा मुहैया कराने में सरकार की विफलता साफ है.

गंगा समेत देश की ज्यादातर नदियां रोजाना फैक्ट्रियों आदि के कूड़े से प्रदूषित हो रही हैं. अगर जल संरक्षण पर ध्यान नही दिया गया तो बहुत जल्द जमीन का पानी और जलाशय सूखने की कगार पर पहुंच जायेंगे. अब जरूरत है कि हम जल संरक्षण को लेकर अपनी नींद से जागे. पूर्व में प्लैनिंग कमीशन में काम कर चुके मिहिर शाह की अध्यक्षता में बनी कमेटी अगले छह महीने में राष्ट्रीय जल नीति पर एक नया मसौदा पेश करने वाली है.

शाह कमेटी के लिये मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बदलाव सुझाने होंगे जिससे जल संरक्षण पर गंभीरता से काम हो सके.

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