नई दिल्ली : दिल्ली के बुराड़ी स्थित डीडीए ग्राउंड पर कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को जुटने के लिये दिल्ली सरकार और प्रशासन की ओर से तमाम इंतजाम किये गए, लेकिन आज यहां पहुंचने वाले किसानों की संख्या 500 के आस-पास ही रही.
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा है कि किसानों के बीच भ्रम फैलाया गया है कि बुराड़ी मैदान को सरकार ने एक खुली जेल के रूप में परिवर्तित कर दिया है, जबकि वास्तविकता यह नहीं है. आज उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसान भारी संख्या में दिल्ली पहुंच रहे हैं जो, बुराड़ी में एकत्रित होंगे. वह मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन आगे बढ़ाएंगे.
सरकार को घेरते हुए वीएम सिंह ने कहा कि गृह मंत्री ने आश्वस्त किया था कि किसान संगठन दिल्ली पुलिस द्वारा निर्धारित जगह पर आ कर धरना प्रदर्शन करें, तो वह उनसे बात करेंगे, आज तीस से ज्यादा किसान संगठन के प्रतिनिधि बुराड़ी पहुंच चुके हैं. इसके बावजूद उनके पास सरकार की तरफ से बातचीत का कोई न्योता नहीं आया है.
किसान समूहों के बीच मतभेद पर वीएम सिंह ने कहा है कि पंजाब के किसान संगठनों को समझना चाहिये कि बिना उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों का समर्थन लिये सरकार उनके सामने नहीं झुकेगी. इस आंदोलन में दो अलग-अलग विचार हो सकते हैं, लेकिन लक्ष्य एक है और इसलिये सबको एकजुट होकर काम करना चाहिये.
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बुराड़ी मैदान की बात करें तो यहां एक लाख से भी ज्यादा लोगों के रुकने का इंतजाम है और दिल्ली सरकार की तरफ से टेंट, भोजन और अन्य सुविधाओं का इंतजाम किया गया है. इन सब के बावजूद यहां जुटे किसानों की संख्या कम ही है. ज्यादातर किसान दिल्ली हरियाणा बॉर्डर जाम कर वहीं टिके हुए हैं. कुछ अन्य किसान संगठन उत्तर प्रदेश दिल्ली बॉर्डर को भी ब्लॉक करने की तैयारी कर रहे हैं.
पंजाब के किसान संगठन दिल्ली आने वाले सभी मुख्य राजमार्गों को रोक कर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा के कुछ किसान संगठन बुराड़ी मैदान में एकत्रित हो कर आंदोलन को आगे बढ़ाने पर सहमत हैं. ऐसी स्थिति में किसानों का यह आंदोलन किसी निष्कर्ष की ओर बढ़ता दिखाई नहीं दे रहा है.