नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से जवाब मांगा, जिसमें दावा किया गया है कि दृष्टिबाधितों की बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी.हरिशंकर की पीठ ने सामाजिक न्याय एवं वित्त मंत्रालयों तथा आरबीआई को एक दृष्टिबाधित वकील द्वारा दायर याचिका पर पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया.
याचिकाकर्ता जॉर्ज अब्राहम ने अपनी याचिका में केंद्र और आरबीआई को निर्देश देने का कोर्ट से अनुरोध किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों की ऑनलाइन और प्रौद्योगिकी आधारित बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं तक पहुंच हो.
अब्राहम ने अधिवक्ता अभिषेक जेबराज के माध्यम से कहा कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों को 'ऑनलाइन बैंकिंग और अन्य वित्तीय सेवाओं तक पहुंच के संबंध में निरंतर भेदभाव का सामना करना पड़ता है.'
उन्होंने अपनी अर्जी में दावा किया है कि यह स्थिति कई सरकारी दिशानिर्देशों और आरबीआई के 2015 के मास्टर सर्कुलर के बावजूद बनी हुई है. उक्त सर्कुलर में कहा गया था कि बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं को दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए.
याचिका में यह भी कहा गया है कि लाखों एटीएम में से कुछ हजार ही वॉयस सक्षम हैं या उनके बटन पर ब्रेल लिपि है.
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इसमें आरबीआई को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है वह यह सुनिश्चित करे कि सभी बैंक उसके मास्टर सर्कुलर का पालन करें और ऐसी एटीएम लगाएं, जो वॉयस सक्षम हों.
इसके साथ ही याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है बैंक की वेबसाइट और मोबाइल फोन एप दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा सुलभ हों.
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अप्रैल की तिथि तय की है.