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हिन्दी दिवस: मिलिए इनसे, जिनके हाथों से गद्य और पद्य समान धारा से बहा

हिंदी दिवस के मौके पर मिलिए एक महान साहित्यकार और कवि विनोद शुक्ल से. विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य का वो जगमगाता सितारा हैं, जिनकी सादगी के आप भी कायल हो जाएंगे. साहित्यिक रचना की बात करें तो विनोद जी उतने ही बड़े कवि हैं, जितने बड़े वे उपन्यासकार हैं. गद्य और पद्य दोनों ही विधा में उनकी कलम ने ढेरों शब्द उगले हैं.

कवि विनोद कुमार शुक्ल
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Published : Sep 14, 2019, 8:58 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 3:14 PM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ में न जाने कितने ही महान साहित्यकार और रचनाकार हुए हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं से लोगों की वाहवाही बटोरी है. हिन्दी दिवस के अवसर पर ETV भारत अपने दर्शकों की मुलाकात साहित्य जगत के एक ऐसे सितारे से करा रहा है, जिन्होंने अपनी कलम से अलग-अलग विधाओं में न जाने कितनी रचनाओं को जन्म दिया.

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य का वो जगमगाता सितारा हैं, जिनकी सादगी के आप भी कायल हो जाएंगे. साहित्यिक रचना की बात करें तो विनोद जी उतने ही बड़े कवि हैं, जितने बड़े वे उपन्यासकार हैं. गद्य और पद्य दोनों ही विधा में उनकी कलम ने ढेरों शब्द उगले हैं.

कवि विनोद कुमार शुक्ल से खास बातचीत

इटली के साहित्यकार वेमिला फिडी ने एक बार कहा था कि विनोद जी की रचनाओं का इतना गहरा असर होता है कि आप उन्हें पढ़ने के बाद वैसे नहीं रह जाते जैसा कि आप उन्हें पढ़ने से पहले होते हैं.

पढ़ें: दशरथ नें किया था यज्ञ, इसलिए मखौड़ा धाम के हुए श्री राम

मुक्तिबोध बने मार्गदर्शक
1937 में राजनांदगांव में जन्म लेने वाले विनोद जी ने जब किशोरावस्था में कविताएं लिखनी शुरू की तो उन्हें मुक्तिबोध जैसे मार्गदर्शक और आदर्श मिले. उनकी प्रेरणा से उन्होंने कई रचनाएं लिखी, जो हिंदी साहित्य की इस महान यात्रा में मिल का पत्थर साबित हुई.

कई काव्य रचना और उपन्यास हुए प्रकाशित
पिछले 50 सालों में उनकी कई काव्य रचना, कई उपन्यास प्रकाशित हुए हैं. उनमें 'नौकर की कमीज', 'दीवार में खिड़की रहती थी', 'खिलेगा तो देखेंगे', 'लगभग जय हिंद' जैसे कई नाम शामिल हैं.

विनोद जी की रचनाओं में छत्तीसगढ़ी खुशबू
विनोद जी की कविताओं और उपन्यासों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की भीनी-भीनी खुशबू मिलती है. इस महक को पूरी दुनिया के साहित्य प्रेमी पसंद करते हैं. छत्तीसगढ़ के गांवों-जंगलों को अपनी कलम से उकेर कर पूरी दुनिया को दीवाना बनाने के पीछे शायद बड़ी वजह जब हम तलाशते हैं तो उसका जवाब भी विनोद जी के एक वक्तव्य में मिलता है.. विनोद कुमार शुक्ल कहते हैं कि 'जो जितना ज्यादा स्थानीय है वो उतना ज्यादा वैश्विक है.'

रायपुरः छत्तीसगढ़ में न जाने कितने ही महान साहित्यकार और रचनाकार हुए हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं से लोगों की वाहवाही बटोरी है. हिन्दी दिवस के अवसर पर ETV भारत अपने दर्शकों की मुलाकात साहित्य जगत के एक ऐसे सितारे से करा रहा है, जिन्होंने अपनी कलम से अलग-अलग विधाओं में न जाने कितनी रचनाओं को जन्म दिया.

विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य का वो जगमगाता सितारा हैं, जिनकी सादगी के आप भी कायल हो जाएंगे. साहित्यिक रचना की बात करें तो विनोद जी उतने ही बड़े कवि हैं, जितने बड़े वे उपन्यासकार हैं. गद्य और पद्य दोनों ही विधा में उनकी कलम ने ढेरों शब्द उगले हैं.

कवि विनोद कुमार शुक्ल से खास बातचीत

इटली के साहित्यकार वेमिला फिडी ने एक बार कहा था कि विनोद जी की रचनाओं का इतना गहरा असर होता है कि आप उन्हें पढ़ने के बाद वैसे नहीं रह जाते जैसा कि आप उन्हें पढ़ने से पहले होते हैं.

पढ़ें: दशरथ नें किया था यज्ञ, इसलिए मखौड़ा धाम के हुए श्री राम

मुक्तिबोध बने मार्गदर्शक
1937 में राजनांदगांव में जन्म लेने वाले विनोद जी ने जब किशोरावस्था में कविताएं लिखनी शुरू की तो उन्हें मुक्तिबोध जैसे मार्गदर्शक और आदर्श मिले. उनकी प्रेरणा से उन्होंने कई रचनाएं लिखी, जो हिंदी साहित्य की इस महान यात्रा में मिल का पत्थर साबित हुई.

कई काव्य रचना और उपन्यास हुए प्रकाशित
पिछले 50 सालों में उनकी कई काव्य रचना, कई उपन्यास प्रकाशित हुए हैं. उनमें 'नौकर की कमीज', 'दीवार में खिड़की रहती थी', 'खिलेगा तो देखेंगे', 'लगभग जय हिंद' जैसे कई नाम शामिल हैं.

विनोद जी की रचनाओं में छत्तीसगढ़ी खुशबू
विनोद जी की कविताओं और उपन्यासों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की भीनी-भीनी खुशबू मिलती है. इस महक को पूरी दुनिया के साहित्य प्रेमी पसंद करते हैं. छत्तीसगढ़ के गांवों-जंगलों को अपनी कलम से उकेर कर पूरी दुनिया को दीवाना बनाने के पीछे शायद बड़ी वजह जब हम तलाशते हैं तो उसका जवाब भी विनोद जी के एक वक्तव्य में मिलता है.. विनोद कुमार शुक्ल कहते हैं कि 'जो जितना ज्यादा स्थानीय है वो उतना ज्यादा वैश्विक है.'

Intro:विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य का वो जगमगाता सितारा जिनकी सादगी के आप कायल हो जाएंगे. बात साहित्यिक रचान की करें तो विनोद जी उतने ही बड़े कवि हैं, जितने बड़े वे उपन्यासकार हैं. गद्य और पद्य दोनों विधा में उनकी कलम ने जमकर शब्द उगले हैं. 1937 में राजनांदगांव में जन्म लेने वाले विनोद जब किशोरा अवस्था में कविताएं लिखना शुरू की तो उन्हें मुक्तिबोध जैसा मार्गदर्शक या आदर्श मिला और उनकी प्रेरणा से उन्होंने कई रचनाएं की जो हिंदी साहित्य की इस महान यात्रा में मिल के पत्थर साबित होती हैं. पिछले पचास सालों में उनके कई काव्य रचना कई उपन्यास प्रकाशित हुए उनमें नौकर की कमीज, दीवाल में खिड़की रहती थी, खिलेगा तो देखेंगे, लगभग जयहिंद जैसी कई नाम शामिल हैं.
Body:विनोद जी की कविताओं और उपन्यासों में छत्तीसगढ़ की संस्कृति की भीनी भीनी खुशबू मिलती है. इस महक को पूरी दुनिया के साहित्य प्रेमी पसंद करते हैं. छत्तीसगढ़ के गांवों जंगलों को अपनी कलम से उकेर कर पूरी दुनिया को दीवाना बनाने के पीछे शायद बड़ी वजह जब हम तलाशते हैं तो उसका जवाब भी विनोदी जी के एक वक्तव्य में मिलता है.. विनोद कुमार शुक्ल कहते हैं कि जो जितना ज्यादा स्थानीय है वो उतना ज्यादा वैश्विक है.
इटली के साहित्यकार वेमिला फिडी ने एक बार कहा था कि विनोदी जी की रचनाओं का इतना गहरा असर होता है कि आप उन्हें पढ़ने के बाद वैसे नहीं होते जैसा कि आप उन्हें पढ़ने से पहले ।
हिंदी दिवस के मौके पर हम ईटीवी भारत के दर्शकों की मुलाकात कराते हैं इस जानेमाने साहित्यकार से -
Conclusion:
Last Updated : Sep 30, 2019, 3:14 PM IST
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