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दिल्ली हिंसा मामले में सात आरोपियों को दी गई जमानत

दिल्ली हिंसा में गिरफ्तार आरोपियों में सात को जमानत दे दी गई है. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बेकाबू हो जाने के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 44 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे. पढे़ं खबर विस्तार से

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दिल्ली हिंसा मामले में सात आरोपियों को जमानत
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Published : Mar 26, 2020, 10:28 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किए गए लोगों में सात आरोपियों को जमानत दे दी है.

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विजयश्री राठौड़ ने मोहम्मद अकरम, शाकिर, दिलशाद, जाकिब, भूरे खान, रजी और शब्बीर को 20-20 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी.

सुनवाई के दौरान पुलिस ने जमानत याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया कि मामले की जांच शुरुआती चरण में है और उनपर लगे आरोप संगीन हैं.

पढे़ं : कोरोना इफेक्ट : हरियाणा सरकार ने बढ़ाई कैदियों की पैरोल अवधि

आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अब्दुल गफ्फार ने दलील दी कि गिरफ्तार किए गए इन सात लोगों पर लगे आरोप झूठे हैं और उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया, जैसा कि पुलिस दावा कर रही है.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बेकाबू हो जाने के बाद सांप्रदायिक हिंसा भडक गई थी, जिसमें 44 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे.

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किए गए लोगों में सात आरोपियों को जमानत दे दी है.

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विजयश्री राठौड़ ने मोहम्मद अकरम, शाकिर, दिलशाद, जाकिब, भूरे खान, रजी और शब्बीर को 20-20 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी.

सुनवाई के दौरान पुलिस ने जमानत याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया कि मामले की जांच शुरुआती चरण में है और उनपर लगे आरोप संगीन हैं.

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आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अब्दुल गफ्फार ने दलील दी कि गिरफ्तार किए गए इन सात लोगों पर लगे आरोप झूठे हैं और उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया, जैसा कि पुलिस दावा कर रही है.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बेकाबू हो जाने के बाद सांप्रदायिक हिंसा भडक गई थी, जिसमें 44 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे.

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