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विजयनगर राज्य ने कृषि और सिंचाई को दी प्राथमिकता, हम्पी है प्रमाण - irrigation in karnataka

कर्नाटक के हम्पी में 14वीं शताब्दी के दौरान सतत विकास के लिए यहां के शासकों ने कृषि और सिंचाई को बहुत अधिक प्राथमिकता दी.

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Published : Sep 2, 2020, 8:58 PM IST

बेल्लारी : कर्नाटक के बेल्लारी में हम्पी हिंदू धर्म का तीर्थस्थल होने के साथ तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है. यह एक ऐतिहासिक और विश्व विरासत स्थल है. 14वीं शताब्दी में यह विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी.

विजयनगर के राजाओं ने हम्पी में कई मूर्तियां स्थापित कीं. इसके साथ ही कई झील और तालाबों को भी बनवाया, जो यह दर्शाता है कि यहां के शासकों ने कृषि और सिंचाई को बहुत अधिक प्राथमिकता दी है.

कृषि और सिंचाई को प्राथमिकता.

विजयनगर के राजाओं ने 14वीं शताब्दी के दौरान कला, संगीत, परंपरा सहित कई चीजों को वरीयता दी. साथ ही उन्होंने कृषि गतिविधियों और सिंचाई को प्राथमिकता दी. यहां तक कि वर्तमान के दिनों में भी हम्पी में विजयनगर साम्राज्य के प्रमाण के रूप में एक पत्थर का रथ मिला, जो उस समय के दौरान बनाया गया था. यह रथ पूरे विजय नगर साम्राज्य की कहानी कह सकता है. हम्पी के आस-पास कई शिलालेख हैं, जो विजयनगर राजाओं के शासन के बारे में बताते हैं.

पढ़ें- सबसे खूनी संघर्ष माने जाने वाले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए कई युद्ध

1539 में राजा अच्युत देवराय के शासन के दौरान क्षेत्र में नारियल, कटहल, नींबू, और कई अन्य फसलों की पैदावार की गई. इस अवधि में कृषि और सिंचाई को जो प्राथमिकता दी गई है, उसने विजयनगर साम्राज्य के शिलालेख में उल्लेख किया है. हम्पी में कई तालाब मौजूद हैं, जो उस दौरान निर्मित हुए हैं.

पुर्तगाली यात्री डोमिंगो पेस ने विजय नगर साम्राज्य का दौरा किया था. उन्होंने यात्रा के दौरान उल्लेख किया कि जैकफ्रूट्स, मैंगो, अंगूर, नारंगी और कई अन्य फल और धान, मक्का और अखरोट भी विजयनगर साम्राज्य में उगाए गए हैं.

वहां पर कई तालाब थे, जो इस बात का प्रमाण है कि हम्पी साम्राज्य के विकास के लिए कृषि गतिविधियां अधिक पसंदीदा थी. कमलापुरा तालाब, विरुपाक्षेश्वर मनमाथा तालाब, अक्का-ठंगियारा पुष्करणी इसके प्रमाण थे, जो वर्तमान में हम्पी में मौजूद हैं.

बेल्लारी : कर्नाटक के बेल्लारी में हम्पी हिंदू धर्म का तीर्थस्थल होने के साथ तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है. यह एक ऐतिहासिक और विश्व विरासत स्थल है. 14वीं शताब्दी में यह विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी.

विजयनगर के राजाओं ने हम्पी में कई मूर्तियां स्थापित कीं. इसके साथ ही कई झील और तालाबों को भी बनवाया, जो यह दर्शाता है कि यहां के शासकों ने कृषि और सिंचाई को बहुत अधिक प्राथमिकता दी है.

कृषि और सिंचाई को प्राथमिकता.

विजयनगर के राजाओं ने 14वीं शताब्दी के दौरान कला, संगीत, परंपरा सहित कई चीजों को वरीयता दी. साथ ही उन्होंने कृषि गतिविधियों और सिंचाई को प्राथमिकता दी. यहां तक कि वर्तमान के दिनों में भी हम्पी में विजयनगर साम्राज्य के प्रमाण के रूप में एक पत्थर का रथ मिला, जो उस समय के दौरान बनाया गया था. यह रथ पूरे विजय नगर साम्राज्य की कहानी कह सकता है. हम्पी के आस-पास कई शिलालेख हैं, जो विजयनगर राजाओं के शासन के बारे में बताते हैं.

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1539 में राजा अच्युत देवराय के शासन के दौरान क्षेत्र में नारियल, कटहल, नींबू, और कई अन्य फसलों की पैदावार की गई. इस अवधि में कृषि और सिंचाई को जो प्राथमिकता दी गई है, उसने विजयनगर साम्राज्य के शिलालेख में उल्लेख किया है. हम्पी में कई तालाब मौजूद हैं, जो उस दौरान निर्मित हुए हैं.

पुर्तगाली यात्री डोमिंगो पेस ने विजय नगर साम्राज्य का दौरा किया था. उन्होंने यात्रा के दौरान उल्लेख किया कि जैकफ्रूट्स, मैंगो, अंगूर, नारंगी और कई अन्य फल और धान, मक्का और अखरोट भी विजयनगर साम्राज्य में उगाए गए हैं.

वहां पर कई तालाब थे, जो इस बात का प्रमाण है कि हम्पी साम्राज्य के विकास के लिए कृषि गतिविधियां अधिक पसंदीदा थी. कमलापुरा तालाब, विरुपाक्षेश्वर मनमाथा तालाब, अक्का-ठंगियारा पुष्करणी इसके प्रमाण थे, जो वर्तमान में हम्पी में मौजूद हैं.

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