लंदन : भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने लंदन हाई कोर्ट के प्रत्यर्पण संबंधी फैसले के खिलाफ ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में अपील करने की छूट के लिए सोमवार को एक आवेदन दायर किया.
माल्या ठीक दो सप्ताह पहले प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ लंदन हाई कोर्ट में मामला हार गया था. हाई कोर्ट ने वेस्टमिंस्टर की मजिस्ट्रेट अदालत माल्या के प्रत्यर्पण के आदेश को चुनौती देने वाली उसकी अपील 20 अप्रैल को खारिज कर दी थी.
इस निर्णय के खिलाफ अपील की अनुमति की अर्जी लगाने को उसके पास 14 दिन का समय था. माल्या ने इसी अवधि के अंतिम दिन हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति की अर्जी लगाई है.
ब्रिटेन में अदालती प्रक्रिया में भारत सरकार का पक्ष रही न्यायिक कंपनी यूके क्राउन प्रोसेक्यूशन सर्विस (शाही अभियोजन सेवा) के एक प्रवक्ता ने कहा, 'अपील करने की छूट को लेकर आवेदन दायर किया जा चुका है. हमारे पास उसका जवाब दाखिल करने के लिये 14 मई तक का समय है.'
प्रत्यर्पण संबंधी मामलों के विशेषज्ञ तथा गुएर्निका 37 इंटरनेशनल जस्टिस चैंबर्स के सह संस्थापक टॉबी कैडमैन ने कहा, 'उच्च न्यायालय ने प्रभावी रूप से फैसला सुनाया है कि भले ही मुख्य मजिस्ट्रेट का दृष्टिकोण गलत रहा हो, पर उनका निर्णय गलत नहीं था. अत: यह स्पष्ट है कि माल्या के समक्ष अब सर्वोच्च न्यायालय में इसे चुनौती देने की अनुमति मिलने राह में बड़ा रोड़ा है.'
माल्या इसके बाद में अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिये यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में भी इस आधार पर आवेदन कर सकता है कि उसे प्रत्यर्पण के बाद एक निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी और उसे यूरोपियन कंवेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स का उल्लंघन करते हुए हिरासत में लिया जा सकता है.
हालांकि इस तरह की अपील की शर्तें भी काफी सख्त हैं और इस बात की काफी कम संभावनाएं हैं कि माल्या की इस बाबत अपील को यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में स्वीकार किया जाएगा.
माल्या को भारत में भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. वह मार्च 2016 से ब्रिटेन में है. उसे ब्रिटेन में स्कॉटलैंड यार्ड ने 18 अप्रैल 2017 को हिरासत में लिया था. वह तब से जमानत पर है.
ब्रिटने के गृह विभाग ने भारतीय जांच एजेंसियों की मांग पर उसके प्रत्यर्पण की मंजूरी दे रखी है. माल्या उसके खिलाफ न्यायिक मंचों में फरियाद लगा रहा है लेकिन उसे सफलता नहीं मिली है.